राजनीतिक मतभेद का भारत एवं चीन के इंधन विषयक सहयोग पर असर – चीन के अभ्यासको का दावा

बीजिंग – इंधन की कीमत में बढ़ोतरी करने के लिए इंधन उत्पादक देशों की गतिविधियां शुरू हुई है| ‘ओपेक’इस इंधन उत्पादक देशों की संघटना से इसके संकेत दिए जा रहे हैं और इंधन आयात करने वाले भारत और चीन जैसे देशों की चिंता बढी है| इंधन के दाम बढ़ने से भारत एवं चीन के वित्त व्यवस्था पर उसके विपरीत परिणाम हो सकते है| यह बात को ध्यान में रखकर भारत ने इंधन के दामों में नियंत्रण रखने के लिए ग्राहक देशों के संगठन का प्रस्ताव रखा था| इस प्रस्ताव को प्रतिसाद देनेवाला चीन, अब राजनीतिक मतभेद का परिणाम इस सहयोग पर हो सकता है, ऐसी भूमिका लेता दिखाई दे रहा है|

राजनीतिक मतभेद

भारत के पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस संदर्भ में चर्चा का प्रस्ताव रखा था| चीन से उसे प्रतिक्रिया मिल रही थी| इसके अनुसार इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन  के (आईओसी) अध्यक्ष संजीव सिंह ने हालही में चीन का दौरा किया था| इस दौरे में उन्होंने चायना नेशनल पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (सीएनजीसी) अध्यक्ष वैंग इलिन से मुलाकात की थी| इस मुलाकात के बाद इंधन के बड़े तादाद में आयात करनेवाले भारत एवं चीन में इस संगठन पर सहमती बनती दिखाई दे रही था| पर चीन के सरकार के मुखपत्र  ग्लोबल टाइम्स ने,  अब अलग सुर लगाना शुरु किया था| ग्लोबल टाइम्स चीन के सरकार की सच्ची भूमिका दुनिया के सामने पेश की है| इसकी वजह से उसका महत्व बढ़ा था|

चीन के जियानमेंग विद्यापीठ के चाइना सेंटर फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स रिसर्च विभाग के संचालक लीन बोकियांग ने इंधन के क्षेत्र में चीन के भारत के साथ सहयोग को मर्यादा लगने का दावा किया है|

भारत एवं चीन में राजनीतिक मतभेद तीव्र है| यह मतभेद दूर करना दोनों देशों को संभव नहीं हुआ है| इस पर ध्यान केंद्रित करते हुए लीन ने इसके लिए चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव, बीआरआय के महत्वाकांक्षी प्रकल्प का दाखिला दिया है| यह परियोजना भारत के विरोध में हो रही है, यह परियोजना कल भारत के सार्वभौमत्व को चुनौती देने दे सकती है, ऐसा भारत ने कहा था|

इसीलिए हालही में संपन्न हुए शांघाय कॉर्पोरेशन काउंसिल की बैठक में भारत ने इस प्रस्ताव को समर्थन नहीं दिया था| वैसा करने वाला इस बैठक में भारत यह एकमेव देश था| चीन को यह बात काफी चुभी है और इंधन दाम के बढ़ोतरी के मुद्दे पर भारत से सहयोग करते समय इन मतभेदों की बाधा हो सकती है, ऐसा लीनने सूचित किया है| पर ‘बीआरआय’ के बारे में तीव्र मतभेद होते हुए भी भारत चीन के साथ व्यापारी सहयोग कर रहा है एवं चीन भारतीय बाजारपेठ का लाभ ले रहा है, इस पर लीन आसानी से नजरअंदाज करते दिखाई दे रहे है|

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