प्रधानमंत्री इम्रान खान के बाद अब पाकिस्तान के लष्करप्रमुख द्वारा भारत को चर्चा का प्रस्ताव

इस्लामाबाद – पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खान ने भारत के पास चर्चा की माँग करते समय, मध्य एशियाई देशों के साथ भारत के व्यापार के लिए मार्ग खुला कर देने का प्रस्ताव दिया था। उसके बाद अब पाकिस्तान के लष्करप्रमुख जनरल बाजवा ने भी लगभग उन्हीं शब्दों में भारत को यह प्रस्ताव दिया है। दोनों देशों ने अपने मतभेदों को मिटाकर सहयोग स्थापित करना चाहिए, ऐसा जनरल बाजवा ने सूचित किया है। भारतविरोधी विद्वेष के लिए कुविख्यात होनेवाले पाकिस्तान के लष्कर का यह सुझाव अलग ही संकेत दे रहा है।

पाकिस्तान में आयोजित की गई सुरक्षाविषयक परिषद में बात करते समय प्रधानमंत्री इम्रान खान ने भारत के पास चर्चा की माँग की थी। भारत और पाकिस्तान के बीच केवल कश्मीर यही एकमात्र समस्या है। उसे सुलझाने के लिए अगर चर्चा हुई, तो उसके बहुत बड़े बड़े फ़ायदे भारत को मिलेंगे। पाकिस्तान भारत के मध्य एशियाई देशों के साथ के व्यापार के लिए मार्ग खुला कर सकता है, ऐसा प्रस्ताव इस समय पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने दिया। उसके बाद लष्करप्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने भी भारत को यह प्रस्ताव देकर, प्रधानमंत्री के प्रस्ताव को लष्कर का समर्थन होने का संदेश दिया। भारत और पाकिस्तान भूतकाल के मतभेद मिटा दें और प्रगति के मार्ग से आगे बढ़ें, ऐसा उन्हें लग रहा है ऐसा जनरल बाजवा ने कहा।

भारत और पाकिस्तान गरीब देश होने के बावजूद भी, विकास पर खर्च करने के बजाय रक्षा पर सर्वाधिक खर्च कर रहे हैं, ऐसा खेद बाजवा ने व्यक्त किया और इसी कारण भारत और पाकिस्तान मतभेद बाजू में रखकर बातचीत करें, ऐसी उन्हें उम्मीद होने की बात बाजवा ने कही। ऐसे आदर्शवादी विचार प्रस्तुत करते समय भी, पाकिस्तान कश्मीर की ज़िद छोड़ने के लिए तैयार नहीं है ऐसा दिख रहा है। भारत पाकिस्तान के साथ चर्चा के लिए अनुकूल माहौल तैयार करें और कश्मीर का मसला सुलझाएँ, ऐसी माँग पाकिस्तान के लष्करप्रमुख ने की है।

कुछ दिन पहले, कश्मीर की नियंत्रण रेखा पर संघर्ष बंदी लागू करने का प्रस्ताव पाकिस्तानी लष्कर ने दिया था। भारत ने उसे मान्य किया होकर, उससे फिलहाल तो नियंत्रण रेखा पर शांति है। उसके बाद पाकिस्तान से भारत को चर्चा के प्रस्ताव में मिलने लगे हैं। लेकिन कश्मीर का मसला इस चर्चा में अग्रस्थान में होगा, ऐसा पाकिस्तान का कहना है। उसके बगैर चर्चा संभव नहीं है, ऐसा पाकिस्तान बार-बार जता रहा है। लेकिन भारत ने इस चर्चा के लिए माहौल का निर्माण करने की जिम्मेदारी पाकिस्तान की ही है, ऐसा बताकर अपनी भूमिका स्पष्ट की है।

भारत के साथ यदि सहयोग नहीं किया, तो पाकिस्तान बच नहीं सकेगा, ऐसीं चेतावनियाँ इस देश के कुछ बुद्धिमान, राजनयिक और पत्रकार तथा व्यापारी वर्ग खुलेआम दे रहा है। बहुत देर बाद यह बात पाकिस्तान के सत्ताधारियों की समझ में आने के संकेत मिलने लगे हैं।

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