पाकिस्तान ७१ की गलती दोहराने की तैयारी में – विपक्षी नेता का गंभीर आरोप

इस्लामाबाद – आखरी सैनिक, आखरी दम और आखरी गोली तक कश्मीर के लिए युद्ध करेंगे, यह डिंग पाकिस्तान की सेना ने लगाई है| वर्ष १९७१ के युद्ध में पाकिस्तान के उस समय के राष्ट्राध्यक्ष और सेनाप्रमुख याह्या खान ने भी ऐसी ही डिंग लगाई थी| लेकिन, दुसरे ही दिन पाकिस्तान सेना ने भारत के सामने घुटनें टिके थे, इस ओर पाकिस्तान के सिंध प्रांत के नेता मौलाना फझलुर रेहमान ने ध्यान आकर्षित किया है| उनके इस वक्तव्य के साथ ही पाकिस्तान में पडी दरार सामने आ चुकी है|

वर्ष १९६५ में हुई जंग की यादें ताजी करने के लिए पाकिस्तान में ६ सितंबर के दिन ‘डिफेन्स डे’ मनाया जाता है| साथ ही हर शुक्रवार के दिन कश्मीर मसले पर एकता दिखाने के लिए पाकिस्तान की सरकार ने दोपहर १२ से १२.३० के बीच जनता को रास्ते पर उतरने का निवेदन किया था| शुक्रवार के दिन पाकिस्तान में यह दोनों दिन मनाए गए| इन अवसर पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खान और सेनाप्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने कश्मीर की नियंत्रण रेखा पर भेंट देने का समाचार है| इस दौरान कश्मीर यानी पाकिस्तान की रक्त धमनी होने का ऐलान प्रधानमंत्री इम्रान खान ने किया| साथ ही कश्मीर संबंधी निर्णय करके भारत ने पाकिस्तान की सुरक्षा और एकता पर घाव किया है, यह आरोप भी इम्रान खान ने रखा| यह आरोप करके उन्होंने भारत ने किए निर्णय के विरोध में लडने का ऐलान भी किया|

प्रधानमंत्री इम्रान खान और पाकिस्तान के सेना अधिकारी भारत के साथ आखरी समय तक लडने की चेतावनी दे रहे है, और ऐसे में पाकिस्तान के विपक्षी नेता अपने देश की धारणा ही स्पष्ट ना होने की आलोचना कर रहे है| ‘जमात उलेमा ए इस्लाम फजल’ के नेता मौलाना फजलुर रेहमान ने वर्ष ७१ में पाकिस्तान के तानाशाह याह्या खान ने ऐसे ही दावे किए थे और दुसरे ही दिन पाकिस्तान के जनरल नियाझी ने भारतीय सेना के सामने घुटने टिके थे, इसकी याद दिलाई| इस शरणागती के बाद हमने हेडक्वार्टर से प्राप्त सुचना के अनुसार घुंटने टिके थे, ऐसा नियाझी ने कहा था| कम से कम इस बार वैसा नही होगा, यह उम्मीद होने की बात कहकर मौलाना फजलुर रेहमान ने पाकिस्तानी सेना को जोरदार फटकार लगाई.

प्रधानमंत्री इम्रान खान के कडे विरोधक और आलोचक फजलुर रेहमान ही नही, बल्कि अन्य विपक्षी नेता भी ऐसी ही आलोचना करके पाकिस्तानी जनता को होश में लाने की कोशिश कर रहे है| पाकिस्तान पिपल्स पार्टी के नेता बिलावल भुत्तो ने इम्रान खान की सरकार कम से कम पीओके की राजधानी मुझफ्फराबाद की रक्षा करके दिखाए, यह तमाचा जडा था| पाकिस्तान की भूतपूर्व विदेशमंत्री हिना रब्बानी खार ने भारत के प्रधानमंत्री रशियन राष्ट्राध्यक्ष पुतिन के साथ बातचीत कर रहे है और पाकिस्तान के विदेशमंत्री आईसलैंड के विदेशमंत्री के साथ फोन पर बातचीत कर रहे है, इस फरक पर ध्यान आकर्षित किया|

एक ओर पाकिस्तान की सरकार कश्मीर के लिए भारत के विरोध में एक होने का निवेदन कर रही है| वही, दुसरी बाजू यही सरकार विपक्षी नेताओं को जे में बंद कर रही है, यह विरोधाभास है| इम्रान खान की सरकार को कश्मीर मसले की गंभीरता ही अभी समझी नही है|

इसीलिए परमाणु युद्ध की धमकियां देने जैसी बचकानी हरकतों में यह सरकार फंस चुकी है और इस सरकार के मंत्री जोकर की तरह वक्तव्य कर रहे है, ऐसी कडी आलोचना खार ने की है|

पाकिस्तान की सेना पर सीधे आलोचना करने से दूर रहकर कुछ विपक्षी नेता सरकार को लक्ष्य कर रहे है| इसपर जवाब देना पाकिस्तान की सरकार और सेना के लिए भी मुश्किल हो रहा है| ऐसे में महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर पिछले वर्ष से इम्रान खान की सरकार का काम काफी निराशा करनेवाला होने से जनता में क्रोध बढ रहा है| ऐसी स्थिति में पाकिस्तान के सत्तारूढ नेता हमेशा बडी गलती करते है, यही इतिहास है| मौलाना फजलुर रेहमान जैसे नेता यही गलती दोहराने की आशंका होने के संकेत दे रहे है|

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