पाकिस्तानी प्रधानमंत्री द्वारा चीन की तानाशाही की प्रशंसा – पाकिस्तानी विश्लेषकों से जोरदार आलोचना

इस्लामाबाद – चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की एकाधिकारशाही की प्रशंसा करके पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खान ने, चीन ने पश्चिमियों की राजनीतिक व्यवस्था के सामने नया विकल्प रखा होने का दावा किया। साथ ही, चीन के झिंजियांग प्रांत के उइगरवंशियों पर अत्याचार नहीं किए जाते, यह चीन ने किया हुआ दावा हमें पूरी तरह मान्य है, ऐसा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने घोषित कर दिया। उनके इन दावों की गूंजें सुनाई देने लगीं हैं और इम्रान खान के समर्थक ही ऐसी आलोचना करने लगे हैं कि ऐसे दावे करना इम्रान खान ने टालना चाहिए था। उसी समय, अमरीका से बचाव करने के लिए पाकिस्तान अब पूरी तरह चीन पर ही निर्भर होने की बात इम्रान खान के बयानों से सामने आ रही है।

‘लोकतंत्र के समर्थक’ ऐसी इम्रान खान की आज तक की छवि थी। लेकिन पाकिस्तान की जनता में अप्रियता बढ़ने के कारण इम्रान खान को अब चीन की तानाशाही प्रिय लगने लगी है, ऐसी आलोचना उनके विरोधक कर रहे हैं। चीन की एकपक्षीय तानाशाही की प्रशंसा करके इम्रान खान ने अप्रत्यक्ष रूप में पाकिस्तान के लोकतंत्र को लक्ष्य किया, यह उनके भी ध्यान में नहीं आया है, ऐसा दावा कुछ पाकिस्तानी पत्रकारों ने किया है। साथ ही, झिंजियांग प्रांत के उइगरवंशीय इस्लामधर्मियों को लेकर चीन ने किए दावे ज्यों कि त्यों मान्य करने की घोषणा करके, इम्रान खान ने यह दिखा दिया कि पाकिस्तान कितना कमज़ोर है, ऐसी आलोचना उनके कट्टर समर्थक रहे पत्रकार कर रहे हैं।

अफगानिस्तान में तालिबान पर हमले करने के लिए अमरीका को लष्करी अड्डा नकारने की खुद्दारी हालांकि प्रधानमंत्री इमरान खान ने दिखाई, लेकिन आनेवाले समय में उसके भयंकर राजनीतिक और आर्थिक परिणाम सामने आएंगे, ऐसा विशेषज्ञ जता रहे हैं। दरअसल उसकी शुरुआत हो चुकी होकर, अमरीका ने १८ साल से कम उम्र के युवाओं को जवान के तौर पर इस्तेमाल करनेवाले देशों में पाकिस्तान का किया समावेश, उसी का प्रमाण दे रहा है, ऐसा पत्रकारों का कहना है। आनेवाले समय में अमरीका का पाकिस्तान पर दबाव भारी मात्रा में बढ़ेगा और इम्रान खान मुश्किल में पड़ जायेंगे, ऐसी गहरी संभावना यह पत्रकार जता रहे हैं। चीन के साथ सभी स्तरों पर सहयोग बढ़ाकर प्रधानमंत्री इम्रान खान अपना और अपनी सरकार का बचाव करने की कोशिश कर रहे हैं।

इसी कारण, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की मुँह भरकर प्रशंसा करते समय इम्रान खान ने, चीन की राज्यव्यवस्था ने पश्चिमी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए उत्तम विकल्प दिया होने का दावा किया। चीन की आर्थिक प्रगति और विकास यह हालांकि नेत्रदीपक बात है, फिर भी चीन ने आर्थिक प्रगति के साथ राजनीतिक विकास नहीं किया है, ऐसी आलोचना अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हो रही है। मानवाधिकारों के मुद्दे पर उनकी कड़ी आलोचना हो रही होकर, इस मसले पर चीन पर दबाव बढ़ता चला जा रहा है। ऐसी परिस्थिति में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने, चीन की एकपक्षीय तानाशाही और उइगरों के मुद्दे पर चीन का साथ देकर अपनी बची कुची विश्‍वासार्हता मिट्टी में मिलाई दिख रही है। आनेवाले समय में इसके परिणाम पाकिस्तान को भुगतने पड़ सकते हैं।

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