अफ़गानिस्तान की तालिबानी हुकूमत से पाकिस्तान को लाभ नहीं – भारत के पूर्व राजनीतिक अधिकारी का दावा

नई दिल्ली – अफ़गानिस्तान में तालिबानी हुकूमत स्थापित होने के बाद पाकिस्तान को इससे कुछ भी लाभ प्राप्त नहीं हुआ है। उल्टा तालिबानी हुकूमत के अफ़गानिस्तान की वजह से पाकिस्तान को भारत से भी अधिक बड़े खतरे का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही अफ़गानिस्तान की सत्ता परिवर्तन का लाभ चीन को भी प्राप्त नहीं हुआ है, ऐसा बयान भारत के पूर्व राजनीतिक अधिकारी श्याम सरन ने किया है। एक कार्यक्रम के दौरान माध्यम प्रतिनिधि से बातचीत करते हुए श्याम सरन ने यह अनुमान व्यक्त किया। 

तालिबानी हुकूमतअफ़गानिस्तान की पहले की सरकार हमले मित्रता के संबंध नहीं रखती, इस विचार में पाकिस्तान था। इसी वजह से पाकिस्तान ने तालिबान को हर तरह की सहायता मुहैया करायी और अमरीका की सेना वापसी के बाद अफ़गानिस्तान में तालिबानी हुकूमत स्थापित हुई। इस सत्ता परिवर्तन के बाद पाकिस्तान को उम्मीद के अनुसार लाभ प्राप्त नहीं हुए। उल्टा पाकिस्तान ही अफ़गानिस्तान से अधिक असुरक्षित हुआ। मौजूदा समय में तालिबानी हुकूमत में अफ़गानिस्तान से पाकिस्तान को ही भारत से अधिक ज्यादा खतरा हो सकता है, ऐसा श्याम सरन ने कहा।

साथ ही चीन को भी तालिबानी हुकूमत से उम्मीद के अनुसार सहयोग प्राप्त नहीं हो रहा है, इस पर सरन ने ध्यान आकर्षित किया। झिंजियांग प्रांत के लिए चीन तालिबान की सहायता मिलने की मंशा रखता था। लेकिन, तालिबान ने चीन की उम्मीद तोड़ दी है। पिछले डेढ़ सालों में तालिबान ने पाकिस्तान और चीन को ऐसे झटके दिए हैं और इन्हीं कारणों से इन दोनों देशों ने अफ़गानिस्तान की तालिबानी हुकूमत को स्वीकृति प्रदान नहीं की है, ऐसा अनुमान सरन ने बयान किया।

अफ़गानिस्तान में चीन का प्रभाव बढ़ाने के लिए मध्यस्थता की भूमिका निभाने का इरादा पाकिस्तान रखता था। लेकिन, तालिबान ने ऐसा होने नहीं दिया। अफ़गानिस्तान की स्थिति पाकिस्तान महसूस कर रहा था उससे कई ज्यादा पेचिदा साबित होने के मुद्दे पर सरन ने ध्यान आकर्षित किया। साथ ही भारत के अफ़गानिस्तान से रहे ऐतिहासिक और सांस्कृति ताल्लुकात पाकिस्तान की कक्षा के बाहर के होने की बात स्पष्ट हुई है। भारत और अफ़गानिस्तान के यह ताल्लुकात आनेवाले समय में भारत के मध्य एशियाई देशों से संबंधित नीति में अहम भूमिका निभाएंगे, यह विश्वास सरन ने व्यक्त किया।

इसी बीच, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कुछ ही दिन पहले भारत को शांति और चर्चा का प्रस्ताव दिया था। लेकिन, भारत ने इसपर भरोसा किए बिना सतर्क भूमिका अपनाए, ऐसी सलाह भी श्याम सरन ने दी है।

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