जम्मू-कश्मीर में हुई दुर्लभ खनिज ‘लिथियम’ के प्रचंड़ भंड़ार की खोज़

नई दिल्ली – जम्मू और कश्मीर में दुर्लभ लिथियम खनिज का प्रचंड़ बड़े भंड़ार की खोज़ हुई हैं। भारत में इतनी भारी मात्रा में पहली बार लिथियम पाया गया है, यह जानकारी केंद्रीय खदान सचिव विवेक भारद्वाज ने प्रदान की। जिओलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) ने जम्मू के रियासी जिले में इस भंड़ार की खोज होने की और वहां पर कूल ५९ लाख टन लिथियम बरामद होने जानकारी साझा की है।

लिथियम की आयात कर रहे देशों की सुचि में भारत चौथे स्थान पर हैं और भारत में जरूरी ८० प्रतिशत से भी अधिक लिथियम चीन से आयात होता है। इलेक्ट्रिक वाहन और मोबाईल का बाज़ार बढ़ने के साथ लिथियम की आयात कम हुई तो भविष्य में इलेक्ट्रिक वाहन और मोबाईक कीमते भारी मात्रा में कम हो सकती है। इससे देश को बड़े आर्थिक लाभ प्राप्त होंगे। लिथियम बैटरी निर्माण के क्षेत्र में काफी निवेश बढ़ेगा। देश को इसकी बड़ी ज़रूरत हैं, ऐसा दावा किया जा रहा है। इसी वजह से जम्मू-कश्मीर में खोज़ हुए लिथियम के प्रचंड़ भंड़ार की अहमियत बढ़ी है।

‘जीएसआई’ के बोर्ड की बैठक का गुरूवार को आयोजन हुआ। इस बैठक में ‘जीएसआई’ ने देश के विभिन्न राज्यों में खोज़ हुए खनिज भंड़ारों की रपट जारी की। यह रपट राज्य सरकारे एवं केंद्रीय खदान मंत्रालय को सौंप गई है। इस रपट के अनुसार देश में कुल ५१ ठिकानों पर खनिजों के नए भंड़ार देखे गए हैं। इनमें लिथियम समेत सोने के पोटैश, मोलिब्डेनम, बेस मेटल के भंड़ार होने की जानकारी ‘जीएसआई’ ने साझा की है। ‘जीएसआई’ ने जम्मू-कश्मीर में किए भूगर्भ परिक्षण के दौरान रिसायी जिले में लिथियम का बड़ा भंड़ार पाया गया। यहां के सलाल-हैमान क्षेत्र में चिनाब नदी के तटीय इलाके में ५९ लाख टन लिथियम भंड़ार मोजूद होने का बयान ‘जीएसआई’ ने अपनी रपट में किया है।

भारत में लिथियम की मांग बढ़ ही हैं और इसे पूरा करने के लिए चीन, ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटिना, चिली और बोलिविया देश से लिथियम की आयात हो रही है। इनमें से ८० प्रतिशत आयात चीन से हो रही है। भारत ने अर्जेंटिना और बोलिविया में पाए गए लिथियम के खदानों में निवेश किया हैं। फिर भी भविष्य की ज़रूरतों पर गौर करे तो भारत लिथियम के लिए अन्य देशों पर निर्भर नहीं रह सकता।

ऐसी स्थिति में देश में ही लिथियम के भंड़ार की खोज़ होने से लिथियम की आयात कम हो सकेगी। इससे लिथियम बैटरी उद्योग में भी बड़ा निवेश होगा। साथ ही इलेक्ट्रिक वाहन, सोलार सिस्टिम और मोबाईल समेत लिथियम बैटरीज्‌ का इस्तेमाल कर रहे उद्योगों का खर्चा कम होगा और भविष्य में इनकी कीमते भी कम होगी, ऐसा दावा किया जा रहा हैं।

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