सेना के नहीं, बल्कि राजनीतिक असफलता के कारण साल १९७१ में पाकिस्तान की सेना पराजित हुई पाकिस्तानी सेनाप्रमुख का बचाव

इस्लामाबाद – बेहिसाब संपत्ति और गबन एवं भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे पाकिस्तान के सेनाप्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने अपने निवृत्ति का ऐलान किया है। लेकिन, इस अवसर पर किए विदाई के भाषण के दौरान जनरल बाजवा ने पाकिस्तान की सेना की हो रही आलोचना पर तीव्र नाराज़गी जतायी। पाकिस्तान की सेना ने अबतक की हुई राजनीतिक दखलअंदाज़ी की कबुली भी उन्होंने दी और इसी वजह से पाकिस्तानी सेना आलोचना का विषय होने की बात उन्होंने स्वीकारी। साथ ही साल १९७१ के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान की करारी हार की, इसके पीछे पाकिस्तान की सेना नहीं, बल्कि राजनीतिक व्यवस्था की असफलता थी, यह दावा जनरल बाजवा ने लगाया।

राजनीतिक असफलतापाकिस्तान के सेनाप्रमुख बाजवा २९ नवंबर को निवृत्त हो रहे हैं। स्वयं बाजवा ने यह ऐलान किया है, फिर भी इससे पहले उन्होंने अपना कार्यकाल बढ़ाने की कोशिश की, यह आरोप लगाए गए थे। कम से कम छह महीनों के लिए यह कार्यकाल बढ़ाया जाए, इसके लिए जनरल बाजवा ने बड़ी कोशिश की, यह आरोप पाकिस्तान के पत्रकार लगा रहे हैं। जनरल बाजवा ने सेनाप्रमुख पद की बागड़ोर संभालने के बाद उनके परिवार जनों की संपत्ति प्रचंड़ बढ़ने की बात अहमद नुरानी नामक पत्रकार ने सामने लायी है। उन्होंने यह जानकारी सार्वजनिक करते समय जनरल बाजवा और उनके परिवार जनों से संपर्क बनाकर उनका पक्ष जानने की कोशिश की, यह दावे भी हो रहे है। लंकि, उन्हें जनरल बाजवा और उनके परिवार जनों से जवाब प्राप्त नहीं हुआ। लेकिन, इस गबन की जानकारी सार्वजनिक करने वाले पाकिस्तानी समाचार चैनल का प्रसारण कुछ देर के लिए बंद होने से इस मुद्दे को लेकर आशंका अधिक बढ़ी हैं।

इस वजह से जनरल बाजवा के साथ पाकिस्तानी सेना की हो रही आलोचना अधिक ही तीव्र हुई हैं। पाकिस्तान की सेना ने जनता की नियुक्त सरकार का कई बार तख्तापलट किया और सत्ता की बागड़ोर हथियाने की वजह से ही देश की यह स्थिति हुई, ऐसी आलोचना माध्यमों में हो रही हैं। साथ ही पाकिस्तानी नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे सेना अधिकारी कर रहें भ्रष्टाचार और गबन को जानबुझकर अनदेखा किया जाता है, यह आरोप भी कुछ पत्रकार लगा रहे हैं। जनरल बाजवा के परिवार जनों की संपत्ति की हुई प्रचंड़ बढ़ोतरी इसका बिल्कुल ही ताज़ा नमूना है, यह दाखिला यह पत्रकार दे रहे हैं। इस वजह से पाकिस्तानी सेना अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगा रहे इम्रान खान और उनके समर्थकों की ताकत अधिक बढ़ती दिख रही है। लेकिन, यह पत्रकार इम्रान खान ने भी सत्ता पर आने के लिए सेना की सहायता प्राप्त की थी, इसपर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।

ऐसी स्थिति में जनरल बाजवा सेनाप्रमुख पद छोड़ते समय अपने बचाव करने वाला भाषण ठोक कर सहानुभूति पाने की कोशिश कर रहे हैं। खास तौर पर साल १९७१ के युद्ध में पाकिस्तानी सेना ने काफी बड़ा पराक्रम करने का दावा करके जनरल बाजवा पाकिस्तानी सेना पर जतायी गई सबसे बड़ी आपत्ति पर जवाब देने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन, जनरल बाजावा के कार्यकाल में पाकिस्तानी सेना में दरार निर्माण हुई और सेना अधिकारियों के बीच मतभेद बढ़ने की शिकायत हो रही है। इसका पाकिस्तान की सुरक्षा पर गंभीर परिणाम होगा, यह दावा किया जा रहा है।

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