अज़रबैजान-तुर्की सहयोग ने बढ़ाया ईरान का सिरदर्द – अज़रबैजा-आर्मेनिया के नए संघर्ष के आसार

बाकू/तेहरान – आर्मेनिया से सीधे तुर्की तक मार्ग खोलने के लिए अज़रबैजान ने गतिविधियां शुरू की हैं। इससे ईरान बेचैन हुआ है क्योंकि, अज़रबैजान की इन कोशिशों से तुर्की के लिए सीधे मध्य एशियाई देशों तक व्यापारी मार्ग खुल जाएगा। लेकिन, इससे अपनी सुरक्षा के लिए खतरा निर्माण होगा, यह चिंता ईरान को सता रही है। कुछ ही दिन पहले अज़रबैजान ने इस्रायल में अपना दूतावास शुरू किया था। इस्रायल और अज़रबैजान का बढ़ता सैन्य सहयोग भी ईरान की चिंताएं बढ़ा रहा है।

पिछले महीने से ईरान और अज़रबैजान की सीमा पर तनाव बढ़ रहा है। ईरान की सेना ने अरास नदी के क्षेत्र में और अज़रबैजान की सीमा के करीब युद्धाभ्यास का आयोजन किया था। अरास नदी का क्षेत्र अज़रबैजान, आर्मेनिया और ईरान के विवाद का क्षेत्र है। इसी बीच ईरान ने आर्मेनिया के दक्षिणी ओर के ‘स्यूनिक’ शहर में उच्चायुक्तालय शुरू किया। आर्मेनिया और अज़रबैजान की सीमाविवाद में स्यूनिक शहर भी शामिल है। इसके बाद अज़रबैजान ने ईरानी राजदूत को समन्स थमाया था।

सन २०२० में आर्मेनिया के साथ हुए संघर्ष में अज़रबैजान इसी स्यूनिक शहर पर कब्ज़ा करने की कोशिश कर रहा था। इसके पश्चिमी ओर नाखशिवान और पूर्व में अज़रबैजान हैं। युद्धविराम के बाद आर्मेनिया ने अज़रबैजान को व्यापार के लिए इसी नाखशिवान मार्ग का इस्तेमाल करने की अनुमति प्रदान की थी। इसके बावजूद अज़रबैजान ने नाखशिवान पर कब्ज़ा करने के इरादे व्यक्त किए थे। अज़रबैजान की इन धमकियों पर ईरान ने चिंता जताई थी। लेकिन, अज़रबैजान ने आर्मेनिया के साथ ईरान को भी इस बात पर चेतावनी दी थी।

अज़रबैजान ने इसी नाखशिवान को तुर्की से जोड़कर व्यापार शुरू करने की गतिविधियां शुरू की हैं। यह मार्ग उपलब्ध हुआ तो ईरान के बिना सीधे मध्य एशियाई देशों तक पहुँचना तुर्की के लिए मुमकिन होगा। इससे तुर्की को व्यापारीक और आर्थिक लाभ होगा और सामरिक नज़रिये से तुर्की की ताकत बढ़ेगी, यह दावा किया जा रहा है। तुर्कीश भाषिक तुर्की, अज़रबैजान, किरिगिझिस्तान और अन्य मध्य एशियाई देश इससे अधिक करीब आ सकते हैं। इससे हमारी सुरक्षा खतरे में पड जाएगी, यह चिंता ईरान को सता रही है।

इसी बीच तुर्की और अज़रबैजान में नाखशिवान कॉरिडोर शुरू हुआ तो रशिया और कॉकेशन को जोड़नेवाला मार्ग ईरान के लिए बंद हो सकता है। तुर्की नाटो सदस्य देश होने से ईरान विरोधी कार्रवाई के लिए नाटो भी इस कॉरिडोर का इस्तेमाल कर सकता है। ऐसे में तुर्कमेनिस्तान की नैसर्गिक ईंधन वायु सप्लाई तुर्की और आगे यूरोपिय देशों के लिए आसान होगी और इससे ईंधन निर्यातक ईरान का बड़ा नुकसान हो सकता है।

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