श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ७)

श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ७)

भक्ति के ऐसे अनेक लक्षण। एक से बढ़कर एक विलक्षण । हम सिर्फ गुरुकथानुस्मरण कर (का अनुसरण कर) । सुखे पैरों(कदमों/चरणों) ही भवसागर तर जायें॥(तर जाये भवसागर) (श्रीसाईसच्चरित १/१०१) ‘गुरुकथानुस्मरण’ यही है वह भक्ति की आसान पगदंडी, जो हेमाडपंत हमें दिखा रहे हैं। इस भवसागर को सूखे कदमों से तर जाने के लिए यही पगदंडी […]

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आविष्कारों की दुनिया में डॉ. निकोल टेसला

आविष्कारों की दुनिया में डॉ. निकोल टेसला

१८९१ में डॉ.टेसला को अमरीका का नागरिकत्त्व प्राप्त हुआ। डॉ. टेसला के लिए यह एक बहुत महत्त्वपूर्ण घटना थी। इसी साल डॉ.टेसला ने न्यूयॉर्क में एक और प्रयोगशाला स्थापित की। इस प्रयोगशाला में एवं मॅनहाटन के प्रयोगशाला में उन्होंने बिजली के बल्ब बगैर वायर को जलाकर दिखाने का वैज्ञानिक चमत्कार किया था। बगैर वायर के […]

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जयपुर

जयपुर

यह सृष्टि विभिन्न रंगों से सजी हुई है, ईश्वर के द्वारा निर्मित इन रंगों के कारण यह पूरी सृष्टि मनोहारी बनी है| यह सृष्टि और उसमें विद्यमान घटकों के विभिन्न रंग इनके प्रति मनुष्य के मन में बहुत प्राचीन समय से आकर्षण रहा है, इसी आकर्षण के कारण प्राचीन समय में मानव जब चित्र बनाने […]

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श्री साईसच्चरित – ०१

श्री साईसच्चरित – ०१

आतून सकळ खेळ खेळिसी। अलिप्ततेचा झेंडा मिरविसी। करोनि अकर्ता स्वये म्हणविसी। न कळे कवणासी चरित्र तुझे ॥ साईनाथजी, आप ही सकल (सारे) खेल खेलते हो। और साथ ही अलिप्तता का ध्वज भी फहराते रहते हो। कर्ता होकर भी स्वयं को अकर्ता कहलवाते हो। न जान सके कोई चरित्र आपका ॥ अर्थ: साईनाथजी, आप ही सारी […]

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नेताजी -०१

नेताजी -०१

‘मुझे वाकई बहुत मज़ा आ रहा है, एक गोरे अँग्रेज़ को मेरे जूतें पॉलिश करते हुए देखकर|’ सन १९१९ में अपने इंग्लैंड़ के निवास के दौरान नेताजी ने अपने परिवार को लिखे हुए एक ख़त में यह कहा था। आयसीएस की सम्मानित डिग्री अर्जित करने इंग्लैंड़ आये सुभाषबाबू केंब्रिज युनिव्हर्सिटी में शिक्षा हासिल कर रहे […]

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