नेताजी – ५

नेताजी – ५

हालाँकि सुभाष के पिताजी ने उसे हवाबदली के लिए कोलकाता भेजा, लेकिन कोलकाता के अँग्रे़जों की निरंकुश साम्राज्यवादी प्रवृत्ति का घिनौना प्रदर्शन देखकर उसका दिमाग और भी ख़ौल गया। प्रत्यक्ष अत्याचार से भी ज्यादा हमारी ग़ुलामी मानसिकता का ग़ुस्सा उसके मन में उबलने लगा। अपने प्रजाजनों के प्रति अनास्था होनेवाले इंग्लैंड़ के सम्राट तथा महारानी […]

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इतिहास की सीख

इतिहास की सीख

भारत पर हुकूमत करने के लिए विदेशी, विधर्मी आक्रमकों के आपस में कई युद्ध हुए। उनके सत्तासंघर्ष में भारतभूमि बेवजह रक्तरंजित होती रही। ऐसे समय में यदि हमने संघटित होकर मुकाबला किया होता, तो इस देश पर विदेशी आक्रमणकारी कभी भी राज्य नहीं कर पाते थे। जब जब हमारे देश के विभिन्न राज्यों के राजा […]

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स्वतन्त्रता यज्ञ

स्वतन्त्रता यज्ञ

जाड़ों के दिन बस अभी अभी ख़त्म हुए थे। अब धीरे धीरे गरमी बढ़नेवाली थी। हालाँकि चिलचिलाती धूप तो नहीं थी, मग़र फिर भी माहौल कुछ गरमा सा रहा था। अपनी मातृभूमि से प्रेम करनेवाले हर एक भारतीय के मन में कुछ हो तो रहा था, लेकिन प्रकट रूप में कहीं कुछ दिखायी नहीं दे […]

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आक्रमणों का इतिहास

आक्रमणों का इतिहास

समय की धारा में भारत को नयी नयी चुनौतियों का सामना करना पडा। जिन राष्ट्रों का जीवन प्रदीर्घ होता है, उन राष्ट्रों के सामने ऐसी चुनौतियाँ समय-समय पर आती ही रहती हैं। इतिहास इसी तरह आगे ​चलता रहता है। मौर्यवंश के बाद शुंग वंश ने इस देश पर शासन किया। उसके बाद गुप्तवंश का राज्य […]

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नेताजी-४

नेताजी-४

सुभाषबाबू के जीवन में दाखिल हो चुके स्वामी विवेकानन्दजी ने उन्हें बाह्य-आभ्यन्तर भारित कर दिया था। अपने जीवन का हेतु ही मानो स्वामीजी समझा रहे हैं, ऐसा उन्हें लगा। विवेकानन्दजी के विचार पुरोगामी ही थे। भोगवादी संस्कृतिप्रधान पश्चिमी देशों में जब भारत के बारे में रहनेवाले घोर अज्ञान के कारण भारत से संबंधित ग़लत धारणाएँ […]

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जयपुर

जयपुर

यह सृष्टि विभिन्न रंगों से सजी हुई है, ईश्वर के द्वारा निर्मित इन रंगों के कारण यह पूरी सृष्टि मनोहारी बनी है| यह सृष्टि और उसमें विद्यमान घटकों के विभिन्न रंग इनके प्रति मनुष्य के मन में बहुत प्राचीन समय से आकर्षण रहा है, इसी आकर्षण के कारण प्राचीन समय में मानव जब चित्र बनाने […]

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उज्जैन

उज्जैन

हमारे भारतवर्ष में संस्कृति, कला, इतिहास, अध्यात्म आदि कईं क्षेत्रों की श्रेष्ठ परंपरा सदियों से चली आ रही है। प्राचीन काल से हमारा भारत देश ज्ञान, विज्ञान, अध्यात्म इनमें अग्रसर रहा है। भारत की मानवीय संस्कृति के विकास में जितना योगदान विज्ञान का हे, उतना ही अध्यात्म, ज्योतिषशास्त्र, खगोलशास्त्र, गणितशास्त्र, आयुर्वेद जैसे शास्त्रों का भी […]

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सुभाषबाबू पर स्वामी विवेकानन्दजी का बढ़ता प्रभाव

सुभाषबाबू पर स्वामी विवेकानन्दजी का बढ़ता प्रभाव

सुभाषबाबू के जीवन में दाखिल हो चुके स्वामी विवेकानन्दजी ने उन्हें बाह्य-आभ्यन्तर भारित कर दिया था। अपने जीवन का हेतु ही मानो स्वामीजी समझा रहे हैं, ऐसा उन्हें लगा। विवेकानन्दजी के विचार पुरोगामी ही थे। भोगवादी संस्कृतिप्रधान पश्चिमी देशों में जब भारत के बारे में रहनेवाले घोर अज्ञान के कारण भारत से संबंधित ग़लत धारणाएँ […]

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ – अपनी पहचान!

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ – अपनी पहचान!

‘भारतवर्ष के प्रत्येक क्षेत्र में महापराक्रमी वीरों ने जन्म लिया, राष्ट्र की सेवा की और अपने राष्ट्र का गौरव बढाया। एक समय में हिंदुकुश पर्वतशृंखला पर लहराने वाला केसरिया ध्वज इस महान राष्ट्र में सर्वश्रेष्ठ सभ्यता होने का प्रमाण दे रहा था और सारे संसार को आवाहन कर रहा था। इसीलिये दुनियाभर से छात्र यहाँ […]

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बेंगलूरु

बेंगलूरु

प्रकृति और विज्ञान-तन्त्रज्ञान दोनों ही मानवी जीवन के साथ बड़ी गहराई से जुड़े हुए हैं। मनुष्य का जीवन एवं उसकी प्रगति इन दोनों क्षेत्रों में प्रकृति और विज्ञान-तन्त्रज्ञान इनका बहुमूल्य योगदान है। इसीलिए इन दोनों का समन्वय करना मनुष्य के लिए बहुत जरूरी है। ‘सिलिकॉन व्हॅली ऑफ इंडिया’ और ‘गार्डन सिटी ऑफ इंडिया’ इन दोनों […]

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