‘भारतीय एडिसन’ शंकर आबाजी भिसे (१८६७-१९३५)

‘भारतीय एडिसन’ शंकर आबाजी  भिसे (१८६७-१९३५)

एक हजार ९३ अनुसन्धान कार्य करके उनके पेटंट प्राप्त करनेवाले महान शास्त्रज्ञ के रूप में थॉमस आल्वा एडिसन का नाम मानवी इतिहास में दर्ज़ किया गया है उन्हीं के समकालीन माने जानेवाले एक भारतीय संशोधनकर्ता को पश्चिमी  दुनिया के शास्त्रज्ञ ‘भारत के एडिसन’ कहते थे। इसी वक्तव्य के आधार पर हम इस भारतीय शास्त्रज्ञ के […]

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जेल नहीं, बल्कि सरकारी खर्चे से चलनेवाला शिबिर

जेल नहीं, बल्कि सरकारी खर्चे से चलनेवाला शिबिर

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – भाग ५३  एक लाख स्वयंसेवक और संघ के वरिष्ठ अधिकारी देश की विभिन्न जेलों में थे। इमर्जन्सी और कितने समय तक जारी रहनेवाली है, यह कोई भी नहीं जानता था। लेकिन देश के लिए दीर्घकालीन संघर्ष का सामना करने की तैयारी स्वयंसेवकों ने की थी। जेल में रहनेवाले और भूमिगत […]

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श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग २९ )

श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग २९ )

मोहरूपी रोग और अहंकाररूपी रोगजन्तुओं से उत्पन्न होनेवाली यह महामारी आखिर करती क्या है? यह महामारी संपूर्ण मानवजाति को अंधकार की राह पर से अभाव की ओर ले जाती है । मोह और अंधकार के कारण उस व्यक्ति के जीवन से परमात्मा पूर्ण रूप में विमुख हो चुके होते हैं। अत एव उस व्यक्ति के […]

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काशी भाग-५

काशी  भाग-५

काशीनगरी के विकास के साथ-साथ ज्ञानदान की परंपरा भी काशी में विकसित होने लगी। प्राचीन भारतवर्ष में भी काशी यह एक मशहूर विद्यापीठ था।प्राचीन समय में गुरु-शिष्य परंपरा के माध्यम से ज्ञानदान का कार्य होता था। उस जमाने में शिष्यगण गुरुकुल में रहकर अध्ययन करते थें। इससे लाभ यह हुआ कि कई परकीय आक्रमणों के […]

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श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग १६)

श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग १६)

भारतीय अध्यात्मशास्त्र कभी भी किसी भी मनुष्य को खोखला वैराग्य नहीं सिखाता, बल्कि गृहस्थी में रहकर परमार्थ कैसे करना चाहिए यही सिखाता है। भक्ति करना यानी बाकी के सारे काम-काज छोड़कर व्यर्थ की डिंगें हॉंकते हुए माथा-पच्छी करना यह जो एक दृष्टिकोण है, उसे इस गेहूँ पीसनेवाली कथा के माध्यम से ही पूर्ण रूप में […]

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काशी भाग-१

काशी भाग-१

प्रकाश का और मनुष्य का क़ाफ़ी क़रीबी रिश्ता है। मॉं की कोख से जन्म लेने के बाद यह प्रकाश ही उस बालक को आसपास की सृष्टि का ज्ञान कराता है। फिर चाहे वह प्रकाश सूरज का हो, ट्यूबलाईट का हो या मोमबत्ती का। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि यह प्रकाश ही मनुष्य को आसपास की […]

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पटना

पटना

भारत के इतिहास में कईं बार ‘पाटलिपुत्र’ का उल्लेख मिलता है। हमारे प्राचीन भारतवर्ष में पाटलिपुत्र नाम का एक सम्पन्न नगर था। पाटलिपुत्र नगर का उल्लेख भारत का एक महत्त्वपूर्ण शहर इस तरह से किया जाता था। प्राचीन समय में भारत की कीर्ति एवं वैभव में चार चॉंद लगानेवाला शहर इस तरह से पाटलिपुत्र की […]

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तिरुअनन्तपुरम् (भाग – २)

तिरुअनन्तपुरम् (भाग – २)

अनन्त की इस सदाहरित नगरी में अनन्त का सुन्दर मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण क़िले के भीतर किया गया था। यह मंदिर ‘पद्मनाभस्वामी मंदिर’ इस नाम से जाना जाता है। यहॉं विष्णुजी को ‘अनन्तशयन’ या ‘अनन्तपद्मनाभ’ इस नाम से पुकारते हैं। इस पद्मनाभस्वामी मंदिर का उल्लेख महाभारत में किया गया है। कईं पुराणकथाओं में […]

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तिरुअनन्तपुरम् (भाग – १)

तिरुअनन्तपुरम् (भाग – १)

भारतवर्ष में तीन प्रमुख मौसम हैं – गर्मी, बारिश और जाड़े का मौसम। भारतवर्ष यह कृषिप्रधान देश होने के कारण बारिश तो हमारे लिए जीवन ही है। ते़ज गर्मी के मौसम के बाद मई के अन्त में एवं जून के प्रारम्भ में हम ‘केरल में मान्सून का आगमन हुआ है’ इस ख़बर की बड़ी उत्सुकतापूर्वक […]

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उज्जैन

उज्जैन

हमारे भारतवर्ष में संस्कृति, कला, इतिहास, अध्यात्म आदि कईं क्षेत्रों की श्रेष्ठ परंपरा सदियों से चली आ रही है। प्राचीन काल से हमारा भारत देश ज्ञान, विज्ञान, अध्यात्म इनमें अग्रसर रहा है। भारत की मानवीय संस्कृति के विकास में जितना योगदान विज्ञान का हे, उतना ही अध्यात्म, ज्योतिषशास्त्र, खगोलशास्त्र, गणितशास्त्र, आयुर्वेद जैसे शास्त्रों का भी […]

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