जासूसी करने चीन का और एक जहाज़ हिंद महासागर पहुँचा

नई दिल्ली – भारत के नियोजित मिसाइल परीक्षण का ऐलान होने के बाद चीन ने अपना ‘युआन वैंग ६’ नामक जासूसी जहाज़ हिंद महासागर रवाना किया था। इसके बाद भारत ने अपने मिसाइल परीक्षण में बदलाव किया, अब यह परीक्षण २३ या २४ नवंबर को होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। इससे पहले चीन ने जासूसी करने अपना और जहाज़ हिंद महासागर के क्षेत्र में रवाना किया है। इस वजह से भारत के मिसाइल परीक्षण से चीन सदमे में होने का स्पष्ट चित्र दिख रहा है।

भारत ने घोषित नहीं किया होगा, फिर भी पनडुब्बी से दागी जाने वाली ‘के-४’ बैलेस्टिक मिसाइल के परीक्षण की तैयारी हुई थी। इस मिसाइल की मारक क्षमता २,२०० किलोमीटर बतायी जा रही हैं। लेकिन यह मिसाइल इससे कई दूरी पर स्थित लक्ष्य को नष्ट कर सकती है, ऐसा दावा किया जा रहा है। भारत का मिसाइल कार्यक्रम चीन के मिसाइल कार्यक्रम से कई पीछे होने के दावे चीन के मुखपत्र ने पहले ही किए थे। लेकिन, भारत ने पिछले कुछ महीनों से लगातार मिसाइल परीक्षण करके चीन को बेचैन किया है। इस वजह से ‘के-४’ मिसाइल को चीन बड़े ड़र से देख रहा हैं, ऐसा सामरिक विश्लेषकों का कहना हैं।

इसी वजह से चीन ने भारत के मिसाइल परीक्षण का पूरा ब्यौरा पाने के लिए ज़ासूसी का जहाज़ ‘युआन वैंग ६’ हिंद महासागर के क्षेत्र में भेजा था। भारत के ‘मिसाइल ट्रैजेक्टरी’ यानी उड़ान की जानकारी पाना चीन को आवश्यक महसूस हो रहा हैं। क्यों कि, ‘के-४’ मिसाइल पनडुब्बी से दागी जाती हैं और इससे चीन के किसी भी शहर को भारत लक्ष्य कर सकेगा, इस चिंता ने चीन को परेशान किया है। इसी वजह से भारत ने इस परीक्षण में बदलाव करने की तैयार करने पर चीन ने ‘अपना ‘युआन वैंग ५’ जहाज़ फिर से हिंद महासागर के क्षेत्र में उतारा है।

इससे पहले अगस्त महीने में चीन का ज़ासूसी जहाज़ श्रीलंका के हंबंटोटा बंदरगाह पहुँचा था। इसपर भारत ने आपत्ति जतायी थी। लेकिन, भारत की सुरक्षा संबंधित चिंताओं के मद्देनज़र कुछ प्रतिबंधों के साथ श्रीलंका ने इस चीनी जहाज़ को अपने बंदरगाह में प्रवेश दिया था। चीन लगातार हिंद महासागर में अपने जासूसी जहाज़ रवाना कर रहा हैं, फिर भी इसपर भारतीय नौसेना की कड़ी नज़र बनी हैं, ऐसा नौसेना प्रमुख ने आश्वस्त किया था। इसी बीच चीन का ज़ाजूसी जहाज़ क्या क्या देख रहा हैं, इसकी जानकारी नौसेना को आसानी से ज्ञात करना मुमकिन हैं, ऐसा सामरिक विश्लेषकों का कहना हैं। उल्टा इस तरह से जासूसी के जहाज़ भेजकर चीन हमें महसूस हो रही असुरक्षितता सार्वजनिक कर रहा हैं, ऐसा दावा विश्लेषक कर रहे हैं।

भारत के ‘डीआरडीओ’ ने लंबी दूरी के ‘एडी१ इंटरसेप्टर मिसाइल’ और विमान विरोधी मिसाइल का परीक्षण किया था। यह परीक्षण सफल होने की वजह से भारत की हवाई सुरक्षा अधिक मज़बूत हुई हैं और इससे भारत इस तरह का इंटरसेप्टर रखनेवाला विश्व में चौथा देश बना था। सीर्फ अमरीका, रशिया, इस्रायल के बेड़ें में ही ऐसी तकनीक हैं। इसमें चीन का समावेश नहीं। इस पृष्ठभूमि पर भारत को प्राप्त हुई इस सफलता की वजह से चीन काफी बेचैन होने की बात सामने आयी थी इसी वजह से भारत के मिसाइल परीक्षण को चीन अधिक से अधिक गंभीरता से देख रहा हैं, ऐसा विश्लेषकों का कहना हैं।

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