असमानता पर आधारित वैश्विक व्यवस्था पर भारत भरोसा नहीं करता – रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

नई दिल्ली – कुछ देशों को अन्य देशों से श्रेष्ठ समझ रही वैश्विक व्यवस्था पर भारत का विश्वास नहीं। सबके लिए लाभकारी साबित होने वाली वैश्विक व्यवस्था के निर्माण पर हमें सोचना होगा। समानता और सम्मान, यह भारत के बुनियादी सिद्धांत हैं। इसी पर भारत की नीति और कृति निर्भर होती हैं, ऐसा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा हैं। साथ ही भारत की प्रगति और समृद्धि अन्यों के शोषण पर नहीं की जाएगी, ऐसी गवाही रक्षा मंत्री ने दी। इस बयान के जरिये रक्षा मंत्री ने मौजूदा वैश्विक व्यवस्था की कमियों पर सटीकता से ध्यान आकर्षित किया दिख रहा है। साथ ही साइबर  हमलों से देश की सुरक्षा के लिए होने वाला खतरा भी रक्षा मंत्री ने रेखांकित किया।

‘नैशनल डिफेन्स कॉलेज’ (एनडीसी) में आयोजित ६० वें पदवी प्रदान समारोह को रक्षा मंत्री संबोधित कर रहे थे। इस दौरान रक्षा मंत्री ने वैश्विक व्यवस्था की विसंगति पर सटीक ध्यान आकर्षित किया। कुछ देश अन्यों से अधिक श्रेष्ठ है, ऐसा समझ रही वैश्विक व्यवस्था पर भारत का विश्वास नहीं। उल्टा सबके लिए लाभदायक साबित होगी, ऐसीं वैश्विक व्यवस्था के निर्माण की कोशिश करनी होगी। देश के हितसंबंधों का विचार करते समय इसके पीछे नैतिक अधिष्ठान होना ही चाहिये। साथ ही देश के हितसंबंधों पर सोचते हुए अन्य देशों के हित भी ध्यान में रखने होंगे’, यह उम्मीद रक्षा मंत्री ने व्यक्त की।

अमरीका एवं यूरोपिय देश भारत से फिज़ूल उम्मीद रखती हैं और रशिया जैसें पारंपरिक मित्र देश के संबंध भारत तोड़ दे, ऐसी अति मांग कर रहे हैं। साथ ही चीन जैसा वर्चस्ववादी देश गरीब देशों को अपने कर्ज़ के फंदे मे फंसाकर उनका शोषण कर रहा हैं। सीदे ज़िक्र किया ना हो, लेकिन, इन प्रमुख देशों की मतलबी नीति और भारत की नीति का फरक अपने भाषण से रक्षा मंत्री ने पेश किया। भारत अन्य देशों के साथ कारोबार करते समय उनकी संप्रभुता, समानता का भान रखकर एक-दूसरें के प्रति सम्मान रखकर अन्य देशों से सहयोग बढ़ा रहा हैं। भारत की प्रति और समृद्धी दूसरें देशों के शोषण पर आधारित नहीं, यह बड़ी अहम बात भी रक्षा मंत्री ने बड़े ड़टकर बयान की।

समानता और सम्मान, यह भारत के पारंपरिक मूल्य हैं और इसी पर भारत की नीति निर्भर होती है। अन्य देशों को सहायता प्रदान करते समय भारत उनकी क्षमता अधिक से अधिक विकसित होगी, इसका ध्यान रखता हैं। भारत को अन्यों के शोषण करने में रुचि नहीं हैं, इसपर भी रक्षा मंत्री ने ध्यान आकर्षित किया। अधिकांश विकसित देशों की संपन्नता गरिब देशों के शोषण पर खड़ी हुई है, लेकिन, भारत अपने प्रदर्शन से प्रगति कर रहा हैं, यह बात भी रक्षा मंत्री ने रेखांकित की। इसी बीच वैश्विक व्यवस्था और देश की रणनीति पर बोलते समय राजनाथ सिंह ने सायबर सुरक्षा पर अहम बयान किए हैं। देश के उर्जा क्षेत्र पर सायबर हमलें हो सकते हैं, इसका मुकाबला करने की तैयारी हमें रखनी  होगी, यह इशारा रक्षा मंत्री ने दिया हैं। सीर्फ ऊर्जा क्षेत्र ही नहीं, बल्कि परिवहन, सेवा एवं दूर संचार और उत्पादन क्षेत्र पर भी सायबर हमला होने का खतरा बढ़ा हैं, इसका अहसास भी रक्षा मंत्री ने कराया।

इन्फॉर्मेशन वॉरफेअर यानी सूचना एवं जानकारी के आधार पर लड़ी जा रहीं जंग में देश की राजनीतिक स्थिरता को चुनौती देने की क्षमता है। इस पल देश के सोशल मीडिया प्लैट फॉर्म पर कई झूठीं खबरें और द्वेष भावना का प्रचार करनेवाले मुद्दे फैलाए जा रहे हैं, इसका किसी को भी ज्ञान नहीं। सोशल मीडिया और अन्य ऑनलाईन प्लैटफॉर्म का एकसाथ इस्तेमाल करके जनमत पर प्रभाव बनाकर अराजकता निर्माण की जा सकती हैं, इस खतरे पर रक्षा मंत्री ने ध्यान आकर्षित किया है।

समानता और सम्मान पर खड़ी भारत की नीति से वैश्विक व्यवस्था पर बोलते हुए रक्षा मंत्री ने देश विरोधी दुष्प्रचार का मुद्दा भी रखा। इसे पृष्ठभूमि होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। यूक्रेन पर हमला करने वाली रशिया से ईंधन खरीद करके भारत हमलावर रशिया की सहायता कर रहा है, ऐसे दावे पश्चिमी देश और माध्यमों ने किए थे। साथ ही भारत जैसे देश की नीति ‘फैसिस्ट’ होने का दुष्प्रचार भी पश्चिमी माध्यमों का गुट कर रहा हैं। साथ ही एक पार्टी की तानाशाही व्यवस्था होने वाले चीन या आतंकवाद और चरमपंथ का खुला समर्थन कर रहे पाकिस्तान जैसे देश की आलोचना करने से पश्चिमी माध्यमों का गूट दूर रह रहा हैं। भारत से संबंधित धकोसली और गलत खबरों का रंजीता से फैलाव करना अब इन पश्चिमी माध्यमों की गलत आदत हुई है और इसपर अंतरराष्ट्रीय स्तर के विश्लेषक भी ध्यान आकर्षित करने लगे हैं।

ऐसी स्थिति में भारत की नीति स्पष्ट तौर पर रखकर सायबर सुरक्षा के साथ दुष्प्रचार का मुद्दा भी रक्षा मंत्री उठाते दिखाई दिए।

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