‘एनआरसी’ की प्रक्रिया पूरे देश में होगी – राज्यसभा में केंद्रीय गृहमंत्री ने किया ऐलान

नई दिल्ली – विदेशी घुसपैठियों की पहचान करने के लिए ‘नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिझन्स’ (एनआरसी) की प्रक्रिया इसके आगे पूरे देश में शुरू की जाएगी, यह ऐलान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शहा ने किया है| इस प्रक्रिया में जात या धर्म देखा नही जाता, यह कहकर इस प्रक्रिया के बारे में किसी को चिंता करने की आवश्यकता नही है, यह खुलासा केंद्रीय गृहमंत्री ने किया| राज्यसभा में पुछे गए सवाल पर जवाब देते समय गृहमंत्री शहा बोल रहे थे|

आसाम में ‘एनआरसी’ की प्रक्रिया शुरू की गई और इसके जरिए १९ लाख लोगों को अपनी नागरिकता सिद्ध करना मुमकिन नही हुआ| अगले दिनों में पूरे देश में ‘एनआरसी’ की प्रक्रिया शुरू करने की मांग हो रही थी| केंद्रीय गृहमंत्री ने कुछ महीने पहले ऐसे संकेत भी दिए थे| इस पृष्ठभूमि पर राज्यसभा में ‘एनआरसी’ के मुद्दे पर सवाल किया गया था| इसपर जवाब देते समय केंद्र सरकार जल्द ही देशभर में यह प्रक्रिया शुरू करेगी, यह बात गृहमंत्री ने स्पष्ट की| पर, इस प्रक्रिया के जरिए किसी का भी धर्म देखा नही जाता, इस लिए किसी भी धर्म के नागरिकों को चिंता करने का जरा?भी कारण नही है, यह बात केंद्रीय गृहमंत्री ने स्पष्ट की|

आसाम में एनआरसी की प्रक्रिया शुरू की गई है और इस दौरान राज्य के १९ लाख लोगों को अपनी नागरिकता सिद्ध करना मुमकिन नही हुआ| विदेशी घुसपैठीयों को अलग निकाल के उनकी पहचान करने के लिए यह प्रक्रिया शुरू की गई थी| देश के संसाधन पर सिर्फ इसी देश के नागरिकों का अधिकार है, यह कहकर विदेशी घुसपैठियों को इस देश के स्रोत इस्तेमाल करना संभव नही होगा, ऐसा इस प्रक्रिया के बारे में केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में स्पष्ट किया था| अब पूरे देश में यह प्रक्रिया शुरू करके देश की सुरक्षा और आर्थिक हितसंबंधों के नजरिए से केंद्र सरकार अहम निर्णय कर रही है, यह दिख रहा है| 

इस बारे में राज्यसभा में पुछे गए एक सवाल का जवाब देते समय गृहमंत्री शहा ने ‘एनआरसी’ और ‘सिटिझनशिप अमेंडमेंट बिल’ को समझने में गलती हो रही है, इस पर ध्यान आकर्षित किया| पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांगलादेश में अत्याचार और भेदभाव बर्दाश्त कर रहे हिंदू, सिख, बौद्ध और ख्रिस्तधर्मियों को भारत की नागरिकता प्रदान करने का निर्णय ‘सिटिझनशिप अमेंडमेंट बिल’ यानी नागरिकता सुधार विधेयक के जरिए किया जाएगा| यह अलग प्रक्रिया है और इसका ‘एनआरसी’ से संबंध जोडने से गलतफहमी निर्माण हो रही है, यह बात केंद्रीय गृहमंत्री ने स्पष्ट की|

पाकिस्तान, बांगलादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यांक हुए हिंदू, सिख, बौद्ध और पारसी धर्म के नागरिक अत्याचार बर्दाश्त करने के लिए विवश हुए है| उन्हें नागरिकता प्रदान करना यह भारत की जिम्मेदारी बनती है| इसी लिए नागरी सुधार विधेयक लाया जा रहा है, यह बात गृहमंत्री अमित शहा ने स्पष्ट की| इसी बीच ‘एनआरसी’ एवं नागरीकता सुधार विधेयक की प्रक्रिया को कुछ लोग विरोध कर रहे है| ‘एनआरसी’ की वजह से धार्मिक भेद होने का आरोप कुछ लोगों ने किया है| तभी नागरिकता सुधार विधेयक में किसी विशिष्ट धर्म को बाजू में रखा गया है, यह आलोचना हो रही है|

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