नेदरलैण्ड और जर्मनी की मंदी के बाद यूरोप की शीर्ष अर्थव्यवस्था नॉर्वे को भी शून्य प्रतिशत बढ़ोतरी से पहुंचा नुकसान

ऑस्लो – विश्वे के सबसे बड़े ‘सॉवरीन फंड’ (निवेश निधी) के मालिक एवं यूरोप की शीर्ष अर्थव्यवस्था बने नॉर्वे को शून्य प्रतिशत बढ़ोतरी से नुकसान पहुंचा है। वर्ष २०२३ की दूसरी तिमाही में नॉर्वे की अर्थव्यवस्था की गिरावट होने से शून्य प्रतिशत बढ़ोतरी दर्ज़ हुई है। वर्ष की पहली तिमाही में नॉर्वे की अर्थव्यवस्था का विकास दर ०.२ प्रतिशत दर्ज़ हुआ था। नई आर्थिक गिरावट के पीछे महंगाई का उछाल, ब्याजदरों की बढ़ोतरी और रिअल इस्टेट क्षेत्र का नकारात्मक प्रदर्शन होने की बात कही जा रही है।

नेदरलैण्ड और जर्मनी की मंदी के बाद यूरोप की शीर्ष अर्थव्यवस्था नॉर्वे को भी शून्य प्रतिशत बढ़ोतरी से पहुंचा नुकसानपिछले कुछ दिनों से यूरोप की शीर्ष अर्थव्यवस्था की गति में मंदी दिखाई देने की जानकारी सामने आ रही है। यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बने जर्मनी ने वर्ष २०२३ की दूसरी तिमाही में शून्य प्रतिशत विकास दर दर्ज़ किया था। उससे पहले लगातार दो तिमाहियों के नकारात्मक प्रदर्शन की वजह से नेदरलैण्ड की अर्थव्यवस्था मंदी के चपेट में होने की बात स्पष्ट हुई थी। इसके बाद अब इसमें नॉर्वे का इजाफा हुआ है और इस घटना ने यूरोप की कुल अर्थव्यवस्था सिकूड़ने की घटना पर मुहर लगाई है।

नॉर्वे एक निर्यात प्रधान देश हैं और ईंधन ऊर्जा क्षेत्र के ‘जीडीपी’ में इसका हिस्सा २० प्रतिशत से भी ज्यादा है। रशिया-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर इन दोनों देशों की ईंधन आयात को नुकसान पहुंचा था और इस वजह से नॉर्वे में ईंधन की मांग एवं कीमत काफी उछले हैं। इस वजह से नॉर्वे को बड़ा लाभ प्राप्त हुआ है, फिर भी इसी दौरान महंगाई का उछाल शुरू हुआ है। यूरोपिय महा संघ में आम तौर पर महंगाई सूचकांक ५.३ प्रतिशत दर्ज़ हुआ है। लेकिन, नॉर्वे में महंगाई का उछाल जारी हैं और महंगाई सूचकांक ६.४ प्रतिशत तक पहुंचा है।

बढ़ती महंगाई काबू करने के लिए नॉर्वे की सेंट्रल बैंक ने पिछले दो सालों में कुल १२ बार ब्याज दर बढ़ाए हैं। फिलहाल नॉर्वे में ब्याज दर ३.७५ प्रतिशत तक पहुंचे हैं। दूसरी ओर नॉर्वे की मुद्रा क्रोन के मुल्य की गिरावट हुई हैं और इससे आयात प्रभावित हुई है। नेदरलैण्ड और जर्मनी की मंदी के बाद यूरोप की शीर्ष अर्थव्यवस्था नॉर्वे को भी शून्य प्रतिशत बढ़ोतरी से पहुंचा नुकसानब्याज दर की बढ़ोतरी एवं मुद्रा के बदलाव से नॉर्वे में रिअल इस्टेट क्षेत्र को भी नुकसान पहुंचता दिख रहा है। पिछले कुछ महीनों में नॉर्वे में घरों की कीमत बढ़ी हैं और मांग में बड़ी गिरावट हुई है।

नॉर्वे सरकार और देश की सेंट्रल बैंक के साथ अन्य प्रमुख बैंकों ने वर्ष २०२३ और २०२४ में देश के विकास दर की गिरावट होने का अनुमान व्यक्त किया है। देश आर्थिक संकट में नहीं हैं, फिर भी मंदी की स्थिति कुछ महीने कायम रहेगी, ऐसा शीर्ष बैंकों ने कहा हैं। जून महीने में यूरोप के २० देशों के गुट ‘यूरोझोन’ को मंदी ने नुकसान पहुंचाया था। इसका असर यूरोप के अन्य देशों पर होगा, ऐसा दावा विश्लेषकों ने तब किया था।

महंगाई का उछाल और सेंट्रल बैंक द्वारो की जा रही ब्याज दर बढ़ोतरी के कारण यूरोपिय ग्राहकों की आर्थिक शक्ति कम हुई है। इससे यूरोपिय देशों के उत्पाद, रिअल इस्टेट एवं खुदरा बिक्री के क्षेत्र को नुकसान पहुंचा हैं। इससे यूरोपिय देश जल्द बाहर निकलने की संभावना कम हैं और वर्ष २०२३ में मंदी जैसी स्थिति बनी रहेगी, ऐसी चेतावनी आर्थिक विशेषज्ञ एवं विश्लेषक लगातार दे रहे हैं।

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