‘ब्रिक्स’ गुट द्वारा मुद्रा विकसित करने की कोशिश शुरू – रशियन संसद के उपाध्यक्ष का दावा

मास्को/वॉशिंग्टन – रशिया समेत भारत, चीन, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका के संगठन ‘ब्रिक्स’ ने विस्तार की जोरदार गतिविधियां शुरू की हैं। इसी के हिस्से के तौर पर ‘ब्रिक्स’ गुट के देश नई मुद्रा विकसित कर रहे हैं, ऐसा बयान रशियन संसद के उपाध्यक्ष अलेक्ज़ैंडर बाबाकोव ने किया। करीबी समय में दक्षिण अफ्रीका के दरबान में ‘ब्रिक्स’ की बैठक होगी जहां इस नई मुद्रा को पेश किया जाएगा, यह रशियन संसद के उपाध्यक्ष ने स्पष्ट किया। इसी बीच, ब्रिक्स गुट अमरिकी डॉलर के प्रभाव को चुनौती दे, ऐसी सलाह गोल्डमन सैक्स वित्त संस्था के पूर्व प्रमुख आर्थिक विशेषज्ञ जिम ओनिल ने दी है।

रशिया, भारत और चीन की पहल से स्थापित ‘ब्रिक्स’ की अहमियत बढ़ने की बात पिछले कुछ सालों से सामने आ रही है। अमरीका और यूरोपिय देशों द्वारा स्थापित ‘जी ७’ जैसे गुट को ‘ब्रिक्स’ चुनौती दे रहा है, ऐसे दावे भी किए जा रहे हैं। रशिया-यूक्रेन युद्ध और अमरीका द्वारा चीन के खिलाफ विभिन्न स्तरों पर कार्रवाई की पृष्ठभूमि पर रशिया और चीन दोनों ने ब्रिक्स के विस्तार के लिए आक्रामक कदम उठाना शुरू करने की बात पिछले साल से सामने आ रही है।

पिछले साल रशिया की राजधानी मास्को में ब्रिक्स की बैठक हुई थी। इस बैठक में रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने ऐलान किया था कि, ब्रिक्स देश अंतरराष्ट्रीय आरक्षित मुद्रा एवं पेमेंट सिस्टम के विकल्प पर कार्य कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा मानी जानेवाली अमरिकी डॉलर के विकल्प के तौर पर ब्रिक्स द्वारा आरक्षित मुद्रा का इस्तेमाल हो सकता है, यह भी पुतिन ने कहा था। इसके बाद रशिया एवं चीन ने विश्व के प्रमुख देशों के साथ ब्रिक्स के मुद्दे पर लगातार चर्चा जारी रखी है। नवंबर में रशिया के विदेश मंत्री सर्जेई लैवरोव ने संभावना व्यक्त की थी कि, ‘ब्रिक्स’ में लगभग १२ से अधिक नए देश शामिल होंगे। इन देशों में खाड़ी, लैटिन अमरीका और अफ्रीकी महाद्वीप के देशों का समावेश होगा, ऐसे संकेत भी दिए गए थे।

इन गतिविधियों के बीच रशियन संसद के उपाध्यक्ष ने दरबन बैठक में नई मुद्रा पेश करने के संकेत देकर सनसनी निर्माण की है। यह बैठक अगस्त में होगी। ‘राष्ट्रीय मुद्रा के ज़रिये कारोबार शुरू करना इसका पहला चरण था। करीबी समय में डिजिटल या अन्य रूप की नई मुद्रा का इस्तेमाल शुरू करना अगला चरण होगा। ब्रिक्स गुट के राष्ट्रप्रमुखों की बैठक में इस योजना से जुड़ा ऐलान किया जाएगा’, ऐसा रशियन संसद के उपाध्यक्ष अलेक्ज़ैंडर बाबाकोव ने कहा। ब्रिक्स गुट एक स्वतंत्र मुद्रा पेश करने में सफल होगा और यह मुद्रा सोने एवं रेअर अर्थ मिनरल्स जैसे घटकों से जुडी हुई हो सकती है, यह दावा भी उन्होंने किया।

इस बीच, विश्व की प्रमुख वित्तसंस्थाओं में से एक ‘गोल्डमन सैक्स’ के पूर्व प्रमुख आर्थिक विशेषज्ञों ने भी ब्रिक्स को नई मुद्रा से संबंधित सलाह देने की जानकारी सामने आयी है। ‘अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में अमरिकी डॉलर का वर्चस्व है। जब अमरीका का फेडरल रिज़र्व बोर्ड आर्थिक नीति में बदलाव करता है तब इसका गंभीर परिणाम दूसरों पर होता दिखाई देता है। डॉलर का कर्ज़ लिए हुए देशों की अर्थव्यवस्थाओं का नुकसान होता है। इसकी वजह से अब ब्रिक्स देशों को इसे चुनौती देकर गुट के विस्तार के साथ नई मुद्रा पेश करने की कोशिश करनी पडेगी’, ऐसा आवाहन ओनिल ने किया।

ब्रिक्स में फिलहाल रशिया, भारत, चीन, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका का समावेश है और यह देश विश्व की ४० प्रतिशत से अधिक जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था का लगभग २५ प्रतिशत हिस्सा इन्हीं अर्थव्यवस्थाओं के पास है।

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