नेपाल का चीनी कंपनी के साथ २.५ अब्ज डॉलर्स का करार रद्द

नई दिल्ली: नेपाल में ‘बुधी गंडकी’ नदी पर जल विद्युत परियोजना निर्माण करने के लिए चीनी कंपनियों के साथ किया २.५ अब्ज डॉलर्स का करार रद्द करके चीन को झटका दिया है। नेपाल ने चीन के महत्वाकांक्षी ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ योजना में शामिल होने का निर्णय लेने के बाद यह करार हुआ था। कुछ दिनों पहले ही अमरिका ने इंडो पॅसेफिक क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए बनाई योजना में नेपाल को भी स्थान देने की बात घोषित की थी। इस पृष्ठभूमि पर यह निर्णय लेकर नेपालने भारत और अमरिका को सकारात्मक संदेश देने के बात दिखाई दे रही है।

करार

नेपाल के बुधी गंडकी नदी पर १२०० मेगावॅट की दो भव्य जल विद्युत परियोजना निर्माण किए जा रहे हैं। इसका कंत्राट नेपाल में साल भर पहले चीन की गेझुबा ग्रुप कंपनी को दिया था। भारत के विरोध के बाद नेपाल ने चीन के ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ योजना में शामिल होने का निर्णय लिया था। उसके बाद के गेझुबा ग्रुप के साथ हुए २.५ अब्ज डॉलर्स का करार हुआ था। जिसकी वजह से यह परियोजना बीआरआय का भाग माना जा रही है।

चीन के बीआरआय योजना के अनुसार, नेपाल में निर्माण होने वाले मूलभूत सुविधा प्रकल्पों को गति मिले, इसके लिए चीन से नेपाल पर बड़ी तादाद में दबाव बढ़ने का वृत्त सामने आया था। ऐसे समय में नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा इनके सरकार ने लिया यह निर्णय महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

नेपाल के भूतपूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल (प्रचंड) ने अपने कारकीर्दगी के आखिरी समय में इस करार को मंजूरी दी थी। पर नेपाल के संसदीय समिति ने इस करार पर प्रश्न उपस्थित किए थे। यह करार नेपाल के हितों के विरोध में होने की टिप्पणी संसद की समिति ने की थी। तथा इस में भ्रष्टाचार होने का आरोप भी किया गया था। हालही में हुए नेपाल के मंत्रिमंडल की बैठक में संसदीय समिति ने दिए निर्देश के बाद, यह करार रद्द करने का निर्णय लिया गया है। नेपाल के उप-प्रधानमंत्री कमल थापा ने यह निर्णय लेने की घोषणा की है।

नेपाल में चीन के बढ़ते हस्तक्षेप पर भारत से चिंता व्यक्त की जा रही है। पर नेपाल, चीन और भारत के संबंधों में समतोल रखने का प्रयत्न कर रहा है, ऐसे कुछ निर्णयों से दिखाई दे रहा है। नेपाल बड़े तादाद में भारत पर निर्भर होकर इस जल विद्युत परियोजना से निर्माण होनेवाले बिजली से कई ज्यादा अधिक बिजली की आवश्यकता नेपाल को है। यह आवश्यकता भारत से प्रदान की जा रही है। इसकी वजह से नेपाल भारत को तकलीफ देना उचित नहीं समझता। तथा चीनी कंपनियों के साथ करार रद्द होने के बाद या कंत्राट भारतीय कंपनी को मिल सकता है ऐसी खबरें सामने आ रही है।

दौरान, नेपाल ने लिए इस निर्णय के पीछे एक और कारण होने की आशंका व्यक्त की जा रही है।अमरिका ने इंडो पॅसेफिक क्षेत्र के आर्थिक विकास, क्षेत्रीय स्थिरता के साथ कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना बनाई है। सितंबर महीने में अमरिका से इसकी घोषणा की गई थी। इसके अनुसार अमरिका भारत के साथ सभी क्षेत्रीय संबंध अधिक दृढ़ कर रहा हैं। पर इस के साथ इस योजना में नेपाल को भी शामिल करने की बात अमरिका के विदेश विभाग के दक्षिण और मध्य आशिया के लिए होने वाले प्रतिनिधि एलिस वेल्स ने कही थी। अमरिकन लोकप्रतिनिधी गृह मे उन्होंने इसकी जानकारी दी थी।

इस के अनुसार अमरिका नेपाल को वित्तीय सहायता करने वाला है। इस पृष्ठभूमि पर नेपाल में चीनी कंपनियों के साथ करार रद्द करके अमरिका की मर्जी रखने का प्रयत्न करने की बात सामने आ रही है।

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