‘ग्लोबल साउथ’ का नेता

यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद इसकी आग में पैसिफिक क्षेत्र के हम छोटे देश झुलस रहे हैं। अनाज़, ईंधन और बिजली के लिए हमें काफी बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है। बड़े देशों के भू-राजनीतिक खेल में हमारे जैसे छोटे देश मसले जा रहे हैं, ऐसा निवेदन ‘पापुआ न्यू गिनी’ के प्रधानमंत्री जेम्स मारापे ने किया। यह सभी उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सामने रखकर ही कहा था। क्यों कि, पैसिफिक के छोटे देशों के प्रति भारत दया दिखाए और हमारा नेतृत्व करके वैश्विक मंच पर हमारी आवाज़ पहुंचाए, ऐसा दिल को छुने वाला निवेदन प्रधानमंत्री मारापे ने किया। 

‘हम आप को ग्लोबल साउथ के के नेता के तौर पर देख रहे हैं। हम सभी पैसिफिक द्वीप देश आपके पीछे खड़े रहेंगे’, ऐसा प्रधानमंत्री मारापे ने कहा। पैसिफिक क्षेत्र के अन्य १३ देशों की मांग इससे अलग नहीं थी। ‘पापुआ न्यू गिनी’ में आयोजित तीसरीं ‘इंडिया-पैसिफिक आयलैण्डस्‌‍ को-ऑपरेशन’ (एफआईपीआईसी) में प्रधानमंत्री मारापे ने की इस मांग को विश्व भर के माध्यमों ने उतनी अहमियत नहीं दी है। लेकिन, भारत के प्रधानमंत्री इसे बड़ी संवेदनशीलता और गंभीरता से देख रहे हैं।

पैसिफिक क्षेत्र के इन द्वीप देशों का इस्तेमाल बड़े देशों ने आज तक अपने रणनीतिक स्वार्थ के लिए ही किया। चीन ने तो इनमें से कुछ देशों को अपने सैन्य अड्डे के तौर पर इस्तेमाल करने की पूरी तैयारी की। चीन की इन गतिविधियों के कारण हमारी सुरक्षा खतरे में होने का अहसास ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे देशों को हुआ। अमरीका का ध्यान भी इसपर आकर्षित हुआ। इसके बाद इन देशों को चीन ने अपने कर्जे के फंदे में फंसाने की बात बड़े देशों को समझ आयी। लेकिन, पैसिफिक क्षेत्र के यह द्वीप देश अभी भी इस खतरे से बाहर नहीं निकले हैं। एक पर अविश्वास दिखाकर दूसरे बड़े देश पर भरोसा करने के दुष्परिणाम इन द्वीप देशों ने कई बार भुगते हैं। 

ऐसी स्थिति में वैश्विक स्तर पर भारत का हुआ उदय इन द्वीप देशों को नया विश्वास प्रदान कर रहा हैं। ‘एफआईपीआईसी’ की बैठक में यह बात स्पष्ट तौर पर सामने आयी। पापुआ न्यू गिनी, कूक आयलैण्ड, फिजी, किरिबाती, मार्शल आयलैण्डस्‌‍, माइक्रोनेशियन फेडरल आयलैण्डस्‌‍, नाउरु, नियू, सामुआ, सोलोमन आयलैण्डस्‌‍, पलाऊ, टोंगा, तुवालू और वनाटू इन पैसिफिक द्वीप देशों का समावेश हैं। इन १४ देशों से सहयोग बढ़ाकर इनका सामरिक दुरुपयोग करने के इरादे रखने वाले चीन की हुई कोशिश को चुनौती देने के लिए भारत ने ‘एफआईपीआईसी’ का गठन किया था। 

वर्ष २०१४ में भारत के प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने फिजी का दौरा किया था। इसके पीछे भारत सरकार की पुख्ता योजना थी। पैसिफिक द्वीप देशों पर हुकूमत करके इस पूरे क्षेत्र पर अपना वर्चस्व स्थापित करने की कोशिश कर रहे चीन को रोकना आवश्यक होने से प्रधानमंत्री मोदी ने अपने दौरे के लिए फिजी का चयन किया था। आगे भारत ने योजना के तहत ‘एफआईपीआईसी’ का इस्तेमाल करके इन द्वीप देशों के लिए सहायता का हाथ आगे किया था।

इस सहयोग को अब व्यापक स्वरूप प्राप्त होता दिख रहा हैं। पापुआ न्यू गिनी और फिजी ने प्रधानमंत्री मोदी को अपना सर्वोच्च नागरी सम्मान बहाल किया है। यह १४ द्वीप देश भारत पर भरोसा करके प्रधानमंत्री मोदी का नेतृत्व स्वीकारने के लिए तैयार हुए हैं, यह बात भारत का सम्मान काफी बढ़ा रही हैं। 

प्रधानमंत्री जेम्स मारापे ने प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत करते समय राष्ट्रीय छुट्टी का ऐलान किया। इसके साथ ही आज तक की परंपरा छोड़कर प्रधानमंत्री मारापे ने प्रधानमंत्री मोदी का सूर्यास्त के बाद स्वागत किया। इसके साथ ही उन्हें वंदन भी किया। इसे काफी बड़ी प्रसिद्धी मिली। यह बड़े देश के नेता के सामने झुकना नहीं था, बल्कि भारतीय परंपरा के अनुसार जेष्ठ व्यक्ती के प्रति आदर जताने की भावना इसके पीछे थी, ऐसा भारतीय विश्लेषकों ने कहा हैं। लेकिन, इसके बाद प्रधानमंत्री मारापे ने प्रधानमंत्री मोदी के सामने पेश की हुई पैसिफिक द्वीप देशों की व्यथा पर ज्यादा किसी ने ध्यान नहीं दिया। इस वजह से प्रधानमंत्री मोदी पैसिफिक द्वीप देशों का नेतृत्व करें, ऐसा पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री ने किए आवाहन की अहमियत अधिक बढ़ती दिख रही हैं। 

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