बड़ी ‘ई-कॉमर्स’ कंपनियाँ मगरूरी छोड़कर ‘सीसीआय’ की जाँच का सामना करें – वाणिज्यमंत्री पियुष गोयल की सख्त चेतावनी

नई दिल्ली – केंद्रीय वाणिज्यमंत्री पियुष गोयल ने एमेज़ॉन, फ्लिपकार्ट जैसी बड़ी ‘ई-कॉमर्स’ कंपनियों को अपनी आर्थिक ताकत का घमंड़ होने की आलोचना की है। यह कंपनियाँ जानबूझकर भारतीय कानून का भंग कर रही हैं, यह आरोप लगाकर उन्हें भारत के कानून का पालन करना ही पाड़ेगा, ऐसे स्पष्ट शब्दों में गोयल ने इशारा दिया। साथ ही यदि कुछ गलत नहीं किया है तो ‘कॉम्पिटिशन कमिशन ऑफ इंडिया’ (सीसीआय) की जाँच का सामना करें, ऐसे सख्त शब्दों में गोयल ने इन बड़ी ‘ई-कॉमर्स’ कंपनियों को चेतावनी दी। 

भारतीय बाज़ार काफी बड़ा है और इस बाज़ार के अवसरों का लाभ उठाएँ, भारत में निवेष के लिए सरकार सभी कंपनियों को आमंत्रित करती है। लेकिन, साथ ही यह व्यापार भारतीय कानून के दायरे में रहकर ही करना होगा, यह नीति भी स्पष्ट है, यह बात वाणिज्यमंत्री गोयल ने रविवार के दिन एक वेबिनार में बोलते समय रेखांकित की। भारत में निवेश के आवाहन के बाद कुछ बड़ी कंपनियों ने ई-कॉमर्स क्षेत्र में बड़ा निवेश किया। लेकिन, यह कंपनियाँ लगातार भारतीय कानून का उल्लंघन कर रही हैं। इस पर इन ‘ई-कॉमर्स’ कंपनियों के साथ कई बार चर्चा की गई है और उन्हें समझाया भी गया है। लेकिन इसे नजरअंदाज किया जा रहा है, ऐसा गोयल ने कहा।

खास तौर पर अमरिकी कंपनियाँ अपने बड़े आकार और आर्थिक ताकत की मगरूरी दिखा रही हैं, इस ओर गोयल ने ध्यान आकर्षित किया। यह कंपनियाँ बड़ा निवेश करने की क्षमता रखती हैं। साथ ही भारत में परंपरागत रीटेल क्षेत्र से बिक्री हो रहे सामान का बाज़ार हथियाने की इनकी कोशिश दिखाई दे रही है। इस वजह से अब ‘ई-कॉमर्स’ कंपनियों के लिए नये नियम बनाए गए हैं। इसका मसौदा तैयार है और यह नियम भारतीय एवं विदेशी कंपनियों के लिए भी बंधनकारी होंगे, यह बात गोयल ने स्पष्ट की। ग्राहकों का हित एवं स्वस्थ प्रतिस्पर्धा ही इन नियमों का बुनियादी उद्देश्‍य होने का बयान उन्होंने किया। 

सभी कंपनियों को भारतीय कानून का पालन करना ही पड़ेगा और भारतीय हितों को नुकसान पहुँचाने के लिए अपनी आर्थिक ताकत का इस्तेमाल करना इस क्षेत्र की बड़ी कंपनियाँ बंद करे, यह इशारा गोयल ने दिया। साथ ही इन कंपनियों ने यदि कुछ गलत नहीं किया है तो फिर ‘सीसीआय’ की जाँच से भागने के बजाय इस जाँच का सामना करें, ऐसा गोयल ने कहा।

एमेज़ॉन, फ्लिपकार्ट जैसी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियाँ भारतीय बाज़ार का बड़ा हिस्सा हथियाने के लिए नए नए हथकंड़े अपना रही हैं, ऐसा आरोप भारत के रीटेल व्यापारी लगातार लगा रहे हैं। अपने ऑनलाईन पोर्टल से सस्ते दामों में सामान की बिक्री होने से स्थानीय रिटेल व्यापारियों का हित खतरे में है। साथ ही ग्राहकों के हित को यह कंपनियाँ नजरअंदाज कर रही हैं, यह आरोप व्यापारी संगठन लगातार लगा रहे हैं। इस मुद्दे से संबंधित काफी शिकायतें वाणिज्य मंत्रालय को प्राप्त हुई हैं।

इस वजह से इन कंपनियों द्वारा हो रहे कानून के उल्लंघन को लेकर ‘कॉम्पिटिशन कमिशन ऑफ इंडिया’ (सीसीआय) ने जाँच करने का निर्णय किया था। बीते वर्ष जनवरी में यह आदेश भी जारी किए गए थे। यह कंपनियाँ ‘कॉम्पिटिशन ऐक्ट २००२’ के सेक्शन २६(१) का उल्लंघन कर रही हैं और ग्राहकों को ज्यादा छूट देकर कुछ चुनिंदा विक्रेताओं को लाभ पहुँचाने में जुटे होने के प्राथमिक सबूत सामने आने से यह आदेश जारी किए गए थे। लेकिन, इसके विरोध में एमेज़ॉन, फ्लिपकार्ट कंपनी ने स्वतंत्र तौर पर कर्नाटक उच्च न्यायालय में यह जाँच रोकने की माँग करनेवाली याचिका दाखिल की थी। दो हफ्ते पहले ही कर्नाटक उच्च न्यायालय ने इन कंपनियों की याचिका ठुकराई और कानून का उल्लंघन करने पर इन कंपनियों के विरोध में जाँच की जा सकती है, यह निर्णय में कहा था।

इसके बाद ‘कॉन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स असोसिएशन’ (कैट) नामक भारतीय व्यापारियों के शीर्ष संगठन के प्रतिनिधियों ने वाणिज्यमंत्री पियुष गोयल से मुलाकात करके इन कंपनियों के विरोध में तुरंत ‘सीसीआय’ की जाँच शुरू करने की माँग रखी थी। फिलहाल एमेज़ॉन और फ्लिपकार्ट ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के निर्णय को चुनौती देनेवाली याचिका दाखिल की है। इस पृष्ठभूमि पर केंद्रीय वाणिज्यमंत्री बोल रहे थे।

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