ताइवान के ‘सेमीकंडक्टर डील’ की पृष्ठभूमि पर चीन के ‘बेल्ट ऐण्ड रोड इनिशिएटिव’ से इटली बाहर होने की तैयारी में

रोम/बीजिंग – चीन के महत्वाकांक्षी ‘बेल्ट ऐण्ड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआई) में शामिल एकमात्र ‘जी ७’ देश इटली ने भी अब इस परियोजना से बाहर निकलने की तैयारी शुरू की है। अमरीका के साथ सहयोगी यूरोपिय देशों का दबाव और ताइवान के साथ सेमीकंडक्टर क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की तैयारी करने की पृष्ठभूमि पर इटली की सरकार जल्द ही ‘बीआरआई’ संबंधित निर्णय लेगी, ऐसे संकेत सुत्रों ने दिए हैं। इसी बीच, ताइवान ने इटली के मिलान शहर में देश का दूसरा राजनीतिक दफ्तर शुरू करने का ऐलान किया है।

इटली के प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने पिछले वर्ष चुनाव प्रचार के दौरान चीन के निवेश के विरोध में आक्रामक भूमिका अपनाई थी। मेलोनी के ‘ब्रदर्स ऑफ इटली’ पार्टी ने भी चीनी निवेश का जोरदार विरोध किया था। सत्ता की बागड़ोर हाथ में आने के बाद प्रधानमंत्री मेलोनी ने चीन विरोधी स्वर कुछ हद तक सौम्य किया है, फिर भी उनके पार्टी की भूमिका कायम होने की बात दिख रही है। साथ ही रशिया-यूक्रेन युद्ध और अन्य मुद्दों पर इटली ने अमरीका और अन्य यूरोपिय देशों के लिए अनुकूल नीति अपनाई है। इन देशों का गठबंधन और सहयोग जारी रखना हो तो इटली की मेलोनी सरकार को चीन विरोधी निर्णय लेना ही पडेगा, ऐसा दावा विश्लेषक कर रहे हैं।

इटली ने वर्ष २०१९ में चीन की ‘बीआरआई’ योजना का हिस्सा होने का निर्णय लिया था। इसके बाद इटली और चीन के द्विपक्षीय व्यापार में बढ़ोतरी हुई है, फिर भी इसका काफी बड़ा लाभ इटली को प्राप्त नहीं हुआ है। इसी बीच कोरोना के दौर के बाद इटली में चीन विरोधी माहौल तैयार होना शुरू हुआ और हाँगकाँग, झिंजियांग एवं ताइवान के मुद्दे पर भी तनाव बढ़ने लगा। इसकी वजह से मेलोनी सरकार बीआरआई को मुहैया अवधि नहीं बढ़ाएगी, ऐसे संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

इटली के इस निर्णय के पीछे ताइवान के साथ बढ़ते सहयोग की पृष्ठभूमि है। यूरोप में निर्माण एवं उत्पादन क्षेत्र में सक्रिय प्रमुख देशों में इटली का समावेश होता है। वाहन क्षेत्र में जर्मनी और ब्रिटेन के साथ ही इटली की प्रमुख कंपनियों का भी समावेश था। इसके अलावा रक्षा क्षेत्र में भी इटालियन कंपनियां प्रमुख कंपनियों में शामिल हैं। इन क्षेत्रों के लिए सेमीकंडक्टर्स की बहुत ज़रूरत है और यह ज़रूरत ताइवान जैसा देश पूरी कर सकता है। इस पर गौर करके इटली की सरकार ने ताइवान से बातचीत शुरू की है और सेमीकंडक्टर क्षेत्र के समझौते की बातचीत आखरी चरण में होने की बात कही जा रही है।

इस समझौते में अनुकूल प्रावधान के लिए इटली की कोशिश जारी है और एक उच्चस्तरीय शिष्टमंड़ल ने हाल ही में ताइवान की यात्रा की थी। ताइवान ने भी इटली का सहयोग बढ़ाने के लिए सकारात्मक संकेत दिए हैं और अपना दूसरा राजनीतिक दफ्तर मिलान शहर में शुरू करने का ऐलान भी किया है। ताइवान के साथ यह ताल्लुकात कायम रखने के लिए इटली अब चीन के समझौते से बाहर निकलेगा, यह दावा ताइवान के माध्यम कर रहे हैं।

चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने पिछले दशक में बेल्ट ऐण्ड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का ऐलान किया था। दुनियाभर में चीन का प्रभाव बढ़ाना ही इस महत्वाकांक्षी योजना का बुनियादी उद्देश्य होने की बात सामने आयी है। पिछले कुछ सालों से चीन ने बीआरआई को शिकारी अर्थनीति का हिस्सा बनाकर विभिन्न देशों के अहम स्थानों को हथियाना शुरू किया। इसके विरोध में जापान के साथ पश्चिमी देश आक्रामक हुए हैं और चीन की योजना को चुनौती देने के लिए अरबों डॉलर्स निवेश करने का ऐलान किया है। इस योजना में चीन ने अब तक एक ट्रिलियन डॉलर्स से अधिक निवेश किया है, ऐसे दावे किए जा रहे हैं।

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