इटली-लीबिया के बीच आठ अरब डॉलर्स के ईंधन वायु का समझौता

त्रिपोली – रशिया-यूक्रेन युद्ध की वजह से ईंधन की किल्लत का सामना करने वाले इटली ने लीबिया के साथ कुल आठ अरब डॉलर्स के ईंधन वायु का समझौता किया है। यह एक अहम और ऐतिहासिक समझौता है और इससे यूरोप की ईंधन समस्याओं का हल निकलेगा, ऐसा दावा इटली के प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने दिया। इटली की ‘एनी’ ईंधन कंपनी इस समझौते का हिस्सा है। पिछले दो दशकों में पहली बार लीबिया के ईंधन क्षेत्र में इतना बड़ा निवेश हुआ है।

इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने शनिवार को लीबिया का दौरा किया। अरब स्प्रिंग के बाद पिछले दो दशकों से अस्थिरता से पीड़ित लीबिया की सुरक्षा का अनुमान होने के बावजूद प्रधानमंत्री मेलोनी ने इस देश का दौरा करने पर आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है। लीबिया के ईंधन क्षेत्र में निवेश करने के लिए प्रधानमंत्री मेलोनी ने लीबिया की यात्रा करने का जोखिम उठाया, ऐसा कहा जा रहा था। इस दौरान प्रधानमंत्री मेलोनी ने लीबिया के प्रधानमंत्री अब्देल हमिद देईबाह से मुलाकात की।

इसके बाद इटली की एनी और लीबिया की ‘नैशनल ऑईल कॉर्पोरेशन’ कंपनी ने आठ अरब डॉलर्स लागत के ईंधन वायु का समझौता किया। प्रधानमंत्री मेलोनी ने यह अहम और ऐतिहासिक समझौता है, ऐसा कहा। साथ ही लीबिया इटली का रणनीतिक सहयोगी देश होने का ऐलान भी प्रधानमंत्री मेलोनी ने किया। इस समझौते के अनुसार लीबिया के उत्तरी ओर के समुद्री क्षेत्र के ‘ब्लॉक एनसी-४१’ में मौजूद दो ईंधन भंड़ार इटली को दिए गए हैं।

साल २०२६ में यहां पर ईंधन वायु का खनन शुरू होगा। इसके बाद इटली यहां से बडे पैमाने पर ईंधन खनन करेगा, ऐसा दावा किया जा रहा है। इटली रशिया से प्राप्त हो रहे ईंधन वायु पर निर्भर था। लेकिन, यूक्रेन युद्ध की वजह से इटली पर ईंधन किल्लत का संकट टूटा है और इस देश की अर्थव्यवस्था ढ़हने लगी है। ऐसी स्थिति में तीन महीने पहले इटली की प्रधानमंत्री बनी मेलोनी ने ईंधन संकट से अपने देश को बचाने के लिए जरुरी कदम उठाए हैं।

इटली ने पिछले हफ्ते ही उत्तर अफ्रीका के ईंधन समृद्ध अल्जेरिया से अहम समझौता किया था। इसकी वजह से इटली को अल्जेरिया से ईंधन की भारी आपूर्ति होगी, ऐसा दावा किया जा रहा है। इसमें अब लीबिया का समावेश हुआ है और प्रधानमंत्री मेलोनी बड़े तेज़ निर्णय ले रही हैं। लेकिन, लीबिया के कुछ गुट इटली के इस समझौते के समर्थन में ना होने की बात भी सामने आ रही है। प्रधानमंत्री देईबाह की सरकार के ईंधन मंत्री मोहम्मद एयॉन ने इस समझौते का बहिष्कार किया है। तथा लीबिया के पूर्वी हिस्से पर नियंत्रण रखने वाले विद्रोही नेता जनरल खलिफा से इस समझौते का तीव्र विरोध हो सकता है।

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