‘इस्रो’ ने ‘इओएस-०६’ समेत नौ उपग्रह अंतरिक्ष में किए स्थापित – एक ही मुहिम में विभिन्न कक्षाओं में उपग्रह स्थापित करने में पाई सफलता

श्रीहरिकोटा – ‘पीएसएलवी-सी५४’ के ज़रिये इस्रो ने ‘इओएस’ उपग्रह के साथ अन्य आठ उपग्रह अंतरिक्ष में स्थापित किये। विभिन्न कक्षाओं में यह उपग्रह स्थापित करने का काम ‘पीएसएलवी-सी५४’ ने सफलता से पूरा किया और इसके लिए इस्रो की सराहना की जा रही है। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने इस सफलता के लिए इस्रो का अभिवादन किया। इस्रो ने स्थापित किए इन उपग्रहों में भारत और भूटान के संयुक्त प्रकल्प का उपग्रह भी है। दोनों देशों के इस सहयोग का विशेषता से संज्ञान लिया जा रहा है।

‘इओएस-०६’‘पोलार सैटेलाईट लौन्च वेहिकल’ यानी ‘पीएसएलवी-सी५४’ के ज़रिये इस्रो ने शनिवार को कुल नौं उपग्रह अंतरिक्ष में स्थापित किए। इनमें ‘अर्थ ऑब्ज़र्वेशन सैटेलाईट’ (ईओएस-०६) जैसे १,११७ किलो भार वाले उपग्रह का समावेश है। यह थर्ड जनरेशन यानी तीसरी पीढ़ी का प्रगत उपग्रह है और इससे समुद्री क्षेत्र की जैविक स्थिति का निरीक्षण करना मुमकिन होगा। इस उपग्रह की वजह से चक्रवात का अनुमान लगाने से लेकर मौसम के बदलाव और मछली के क्षेत्र तय करने का काम अधिक आसान होगा। साथ ही समुद्री सुरक्षा के लिए भी इस उपग्रह का बड़ा प्रभावी इस्तेमाल हो सकेगा। यह उपग्रह देश के लिए अहम साबित होगा, यह विश्वास ‘स्पेसक्राफ्ट’ की संचालिका थेन्मोज़ी सेल्वी ने व्यक्त किया है।

इस ‘इओएस-०६’ उपग्रह के साथ ही अन्य आठ उपग्रह ‘पीएसएलवी-सी५४’ के ज़रिये अंतरिक्ष में स्थापित किए गए। इसमें अहम बात यह है कि, यह सभी उपग्रह विभिन्न कक्षाओं में स्थापित किए गए। इसकी वजह से इस मुहिम की सफलता पर वैज्ञानिकों की नज़रे लगी हुई थीं। लेकिन, ‘पीएसएलवी-सी५४’ ने यह मुहिम सफल की और इन उपग्रहों को विभिन्न कक्षाओं में स्थापित किया। यह इस्रो को प्राप्त हुई बड़ी सफलता है। इसके लिए देशभर में इस्रो की सराहना हो रही है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस कामयाबी पर इस्रो का अभिवादन किया। साथ ही भारत और भूटान के उपग्रहों को स्थापित करने पर भी राष्ट्रपति मुर्मू ने संतोष व्यक्त किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘इओएस-०६’ उपग्रह की वजह से देश के समुद्री क्षेत्र के साथ सभी स्रोत उचित ढ़ंग से इस्तेमाल करना मुमकिन होगा, यह विश्वास व्यक्त किया। इस मुहिम के साथ ही इस्रो द्वारा स्थापित किए गए आठ अन्य उपग्रहों का भी संज्ञान लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने इस उपलब्धि पर इस्रो और इस मुहिम से संबंधित भारतीय कंपनियों की भी सराहना की। इसी बीच विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने भी इस्रो का अभिनंदन किया। साथ ही भारत-भूटान उपग्रह स्थापित करने पर संतोष व्यक्त करके जयशंकर ने भारत-भूटान आगे भी अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाएं, यह आवाहन किया।

भारत ने इससे पहले सन २०१७ में दक्षिण एशियाई क्षेत्र का संयुक्त उपग्रह अंतरिक्ष में स्थापित किया था। भारत ने दक्षिण एशियाई देशों को दिया यह काफी बड़ा तोहफा था, इसकी याद भी विदेश मंत्री जयशंकर ने इस अवसर पर दिलाई।

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