‘जी-२०’ में भारत के सामने होगी चीन की चुनौती – देश के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी का दावा

नई दिल्ली – अगले साल आयोजित हो रही ‘जी२०’ परिषद की अध्यक्षता भारत के पास होगी। भारत के लिए यह काफी बड़ा अवसर होगा, यह दावा प्रधानमंत्री मोदी ने किया है। लेकिन, इस जी २० परिषद में चीन के साथ कारोबार करना भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी, यह अनुमान पूर्व उप-राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार पंकज सरन ने व्यक्त किया है। भारत चीन से सावधान रहने की भूमिका अपनाए और चीन के शब्दों पर भरोसा किए बिना इस देश की हरकतों पर नज़र रखे, ऐसी सलाह सरन ने दी है।

‘पीटीआई’ को दिए गए साक्षात्कार में पूर्व उप-राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार पंकज सरन ने हम उभरती सत्ता हैं और यह स्वीकार करके चीन हमारे साथ सम-स्तर पर कारोबार करे, भारत ऐसी उम्मीद करता है, यह बात स्पष्ट की। ‘जी २०’ के अध्यक्ष होने वाले भारत के साथ सहयोग करना है या नहीं, इसका निर्णय चीन को लेना पडेगा। भारत में आयोजित हो रही इस परिषद के लिए चीन को आमंत्रित करना पडेगा। साथ ही इस परिषद के सभी कार्यक्रमों के लिए भी चीन को आमंत्रित किया जाएगा। ऐसी स्थिति में भारत उभरती आर्थिक सत्ता और शक्ति है, यह ध्यान में रखकर चीन निर्णय ले, यह भारत की उम्मीद है। इसमें कुछ भी अजीब नहीं, इस पर पंकज सरन ने ध्यान आकर्षित किया।

भारत की संप्रभुता, प्रादेशिक अखंड़ता और भारत के साथ चीन ने सीमा पर शांति और सौहार्दता बनाए रखने के मुद्दे पर किए गए समझौतों का सम्मान चीन को करना ही पडेगा। साथ ही भारत की बुनियादी हितों का सम्मान करना भी चीन के लिए आवश्यक है, ऐसा सरन ने कहा। इसके लिए चीन को लद्दाख की सीमा पर सन २०२० से पहले की स्थिति फिर से स्थापित करनी पडेगी, ऐसा सरन ने स्पष्ट किया। लेकिन, चीन ‘जी २०’ की पृष्ठभूमि पर भारत के साथ काफी सावधानी की नीति अपनाएगा, यह अनुमान भी सरन ने दर्ज किया है। लेकिन, यदि चीन को भारत के साथ शांति से रहना हो तो यह साबित करने के लिए ‘जी २०’ की यह परिषद बेहतर अवसर होगा, यह दावा सरन ने किया।

इसी बीच, भारत ने पहले भी चीन से अपनी उम्मीदें स्पष्ट तौर पर रखी हैं। सीमा पर सैन्य तैनाती करके दोनों देशों में सहयोग स्थापित नहीं हो सकता, यह इशारा भारत ने चीन को दिया था। सीमा पर सलोखा एवं सौहार्दता दोनों देशों के सहयोग की नींव रखने के लिए बहुत जरुरी होने की बात पर भारतीय विदेश मंत्री ने चीन का ध्यान आकर्षित किया था। लेकिन, चीन इसके लिए ज्यादा उत्सुक दिखाई नहीं देता। सीमा विवाद जारी रखकर उत्तम व्यापारी सहयोग स्थापित हो सकते हैं, ऐसा चीन का कहना है। लेकिन, भारत ने इससे स्पष्ट इन्कार किया था। इस वजह से भारत और चीन के संबंध अभी भी तनावपूर्ण हैं।

इंडोनेशिया के बाली में हाल ही में हुई ‘जी २०’ परिषद में भारत के प्रधानमंत्री और चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी के बीच औपचारिक मुलाकात हुई। लेकिन, यह द्विपक्षीय भेंट नहीं, बल्कि महज शिष्टाचार तक सीमित थी। इसकी वजह से दोनों देशों के बीच अभी भी तनाव होने की बात स्पष्ट हुई थी।

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