ईरान विरोधी युद्ध में इस्रायल चाहता है सौदी का साथ – इस्रायली अखबार का दावा

तेल अवीव – इस्रायल के नियुक्त प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्याहू और सौदी अरब के क्राउन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान ने आपसे में सीधा संपर्क किया है। दोनों देशों के बीच सहयोग स्थापित करने को लेकर दोनों नेताओं में चर्चा जारी है। सौदी को अब्राहम समझौते का हिस्सा बनाने के लिए नेत्यान्याहू अन्य विवादित मुद्दों पर समझौता करने के लिए भी तैयार हुए हैं। क्योंकि, इस्रायल फिलहाल ईरान विरोधी युद्ध की तैयारी कर रहा है और इसके लिए इस्रायल चाहता है कि, इसमें सौदी का साथ मिले, ऐसा दावा इस्रायल के ‘येदियॉथ अरहोनॉथ’ नामक अखबार ने किया है।

बेंजामिन नेत्यान्याहू 4 जनवरी को इस्रायल के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। सत्ता की बागड़ोर संभालने के बाद अन्य अरब देशों की तरह सौदी अरब को भी अब्राहम समझौते का हिस्सा बनाने की कोशिश करेगा, यह बयान नेत्यान्याहू ने कुछ ही दिन पहले एक साक्षात्कार के दौरान किया था। इस कोशिश में हमें सफलता मिलेगी, यह दावा भी उन्होंने किया था। इस्रायल के शीर्ष अखबार ने इसको लेकर अब नया दावा किया है।

इस्रायल की बागड़ोर संभालने से पहले ही नेत्यान्याहू ने सौदी के क्राउन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान से संपर्क स्थापित किया है। सौदी के साथ सहयोग शुरू करने के लिए नेत्यान्याहू ने अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन के साथ ही चर्चा शुरू की है, ऐसा दावा इस्रायली अखबार ने किया है। प्रिन्स सलमान भी इस्रायल के साथ सहयोग करने के लिए उत्सुक हैं। ईरान विरोधी इस रणनीतिक सहयोग के लिए सौदी ने इस्रायल के सामने तीन मांगें रखी है, यह बात इस अखबार ने कही है।

इसमें बायडेन प्रशासन के साथ ताल्लुकात, ‘एफ-35’ की खरीद और जेरूसलम के प्रार्थना स्थल से जुड़ी मांग का समावेश है। पिछले डेढ़ साल में अमरीका का बायडेन प्रशासन और सौदी के बीच मतभेद निर्माण हुए हैं। खशोगी हत्या का मामला, मानव अधिकार एवं ईंधन उत्पादन बढ़ाने से किया गया इन्कार जैसे कारण इस मतभेद के लिए ज़िम्मेदार हैं। नेत्यान्याहू यह संबंध सुधारने के लिए सहयोग करे, ऐसी मांग सौदी ने की है।

इसके साथ ही नेत्यान्याहू अमरिकी कांग्रेस में अपना प्रभाव इस्तेमाल करे और सौदी को प्रगत लड़ाकू विमान ‘एफ-35’ दिलाए। इसके अलावा जेरूसलम के अल-अक्सा प्रार्थनास्थल के व्यवस्थापन में सौदी को स्थान दे, ऐसी मांगें सौदी ने इस्रायल के सामने रखी हैं। इनमें से अल-अक्सा प्रार्थनास्थान संबंधित मांग के कारण इस्रायल और जॉर्डन के ताल्लुकात बिगड़ सकते हैं, ऐसी संभावना जताई जा रही है। इसके साथ ही इस्रायल की भावी सरकार गठित करने का अवसर प्राप्त हुई जहाल विचारधारा के नेताओं को समझाबुझाने की बड़ी ज़िम्मेदारी नेत्यान्याहू पर रहेगी।

लेकिन, सौदी के साथ बेहतर सहयोग स्थापित करने के लिए नेत्यान्याहू अपने सहयोगियों को समझाएंगे। कुछ समय के लिए सहयोगियों को संयम रखने का आवाहन करेंगे, ऐसा दावा इस्रायली अखबार ने किया क्योंकि, इस्रायल अब ईरान विरोधी युद्ध की तैयारी कर रहा है और इससे पहले सौदी को अपने गुट में शामिल कराना आवश्यक है, यह विचार नेत्यान्याहू रखते हैं, ऐसा इस्रायली अखबार का कहना है। इस्रायल और सौदी के बीच पहले भी छुपा सहयोग जारी होने का दावा किया जा रहा था। सन 2020 में निऑम शहर में नेत्यान्याहू और प्रिन्स मोहम्मद की गुप्त मुलाकात होने की खबरें प्रसिद्ध हुईं थीं। इसकी वजह से इस्रायल और सौदी के बीच जल्द ही खुलेआम सहयोग स्थापित होगा, ऐसे दावे किए जा रहे हैं।

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