अंतरराष्ट्रीय समूदाय तालिबान को अस्वीकृत करेगा तो इसके घातक परिणाम होंगे – तालिबान के प्रवक्ता की धमकी

taliban-threatens-international-community-1काबुल – ‘तालिबान की हुकूमत को स्वीकृति प्रदान करना अफ़गानिस्तान की ज़रूरत नहीं हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समूदाय की जरुरत है क्योंकि, तालिबान से राजनीतिक सहयोग करना अंतरराष्ट्रीय समूदाय के लिए लाभदायक ही होगा। लेकिन, अंतरराष्ट्रीय समूदाय तालिबान को स्वीकृति प्रदान नहीं करता है तो इसके परिणाम घातक होंगे’, ऐसी धमकी तालिबान के प्रवक्ता इनामुल्ला समांगनी ने दी। किसी भी देश ने अब तक तालिबान की हुकूमत को स्वीकृति प्रदान नहीं की है। इसके लिए रशिया तैयार था, यह खबरें प्राप्त हुईं थी। लेकिन रशिया ने यह वृत्त ठुकराया है। इसके बाद तालिबान की यह प्रतिक्रिया सामने आयी है।

तालिबान ने काबुल पर कब्ज़ा करने के बाद ४.५ महीने बीत चुके हैं। अब भी अंतरराष्ट्रीय समूदाय ने तालिबान की हुकूमत को स्वीकृति प्रदान नहीं की है। अमरीका और यूरोपिय देशों ने अफ़गानिस्तान की सहायता रोक रखी है। ऐसे में अफ़गानिस्तान के पड़ोसी ईरान और मध्य एशियाई देशों ने तालिबान की हुकूमत को स्वीकृति प्रदान नहीं की है। तालिबान के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वकालत करनेवाले पाकिस्तान और चीन ने भी तालिबान की हुकूमत को स्वीकृति देने का साहस नहीं किया है।

taliban-threatens-international-community-2ऐसी स्थिति में पिछले कुछ महीनों से तालिबानी नेताओं से चर्चा करनेवाली रशिया तालिबान को स्वीकृति प्रदान करने के लिए राजी होने की खबरें प्राप्त हुईं थी। लेकिन, रशिया के विदेशमंत्री सर्जेई लैवरोव ने स्पष्ट शब्दों में इससे इन्कार किया। अफ़गानिस्तान में सर्व समावेशक सरकार गठित करे, आंतकवाद एवं नशीले पदार्थों के व्यापार पर सख्त कार्रवाई करे तब तालिबान को स्वीकृति प्रदान करने का विचार किया जा सकता है, ऐसा लैवरोव ने कहा है। रशियन वृत्तसंस्था से बातचीत करते समय विदेशमंत्री लैवरोव ने चुनिंदा शब्दों में तालिबान के सामने अपनी शर्तें रखीं।

ईरान के राष्ट्राध्यक्ष इब्राहिम रईसी ने भी तालिबान अफ़गानिस्तान में सर्व समावेशक सरकार गठित करता है एवं अल्पसंख्यांकों के अधिकार सुरक्षित करेगा, यह उम्मीद जताई। इसके बाद ईरान तालिबान की हुकूमत को स्वीकृति प्रदान कर सकता है, ऐसे संकेत राष्ट्राध्यक्ष रईसी ने दिए थे। तत्पश्चात, तालिबान के प्रवक्ता समांगनी ने घातक परिणामों का इशारा दिया है।

पहले भी तालिबान की हुकूमत ने अंतरराष्ट्रीय समूदाय को यदि हमें स्वीकृति प्रदान नहीं हुई तो घातक परिणामों की धमकी दी थी। अमरीका और यूरोपिय देशों ने अफ़गानिस्तान का निधि रिहा नहीं किया तो अफ़गान शरणार्थियों के झुंड़ इन देशों में छोड़ने के इशारे दिए थे। अफ़घानि शरणार्थियों के झुंड़ फिलहाल ईरान एवं मध्य एशियाई देशों के लिए सिरदर्द बने हैं। इन शरणार्थियों के पीछे से आतंकी अपने देश में घुसकर आतंक फैला सकते हैं, यह चिंता अफ़गानिस्तान के पड़ोसी देशों को सता रही है। मध्य एशियाई देशों की सुरक्षा के लिए इससे खतरा निर्माण हुआ तो इससे रशिया की सुरक्षा के लिए भी चुनौती हो सकती है, यह अहसास रशिया को हुआ है। इसलिए से पहले के समय में अफ़गानिस्तान के मसले पर तालिबान और पाकिस्तान से बातचीत करनेवाली रशिया अब इस मामले को लेकर भारत के साथ सहयोग बढ़ा रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.