भारत की रशिया पर निर्भरता खत्म करने का ‘ज़िम्मा’ अमरीका को उठाना पडेगा – अमरिकी विदेश उप-मंत्री का दावा

वॉशिंग्टन – रशियन हथियारों पर निर्भर भारत को विकल्प देने की ‘ज़िम्मेदारी’ अमरीका को भी निभानी पडेगी, ऐसा बयान अमरिकी विदेश विभाग की उप-मंत्री विक्टोरिया न्यूलैण्ड ने किया है। अमरिकी संसद की समिती के सामने बोलते हुए न्यूलैण्ड ने अपने देश को यह ज़िम्मा उठाना ही पडेगा, ऐसा ड़टकर कहा है। जल्द ही न्यूलैण्ड भारत का दौरा करेंगीं। अमरिकी संसद समिती के सामने इस ज़िम्मेदारी की जानकारी साझा करके उपमंत्री न्यूलैण्ड ने अपने दौरे की प्राथमिकता स्पष्ट की हुई दिख रही हैं।

भारत का बजट जल्द ही घोषित किया जाएगा। चीन के साथ एलएसी पर तनाव की पृष्ठभूमि पर इस साल के बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए अधिक प्रावधान किया जाएगा, ऐसी चर्चा जारी है। साथ ही रक्षा संबंधित खरीद में भी भारत की बड़ी मात्रा में बढ़ोतरी होगी, ऐसे दावे किए जा रहे हैं। हथियार और रक्षा सामान खरीदने के लिए भारत ने ठेके देने का ऐलान किया है। इस पृष्ठभूमि पर कथित खराब रशियन हथियारों पर निर्भर भारत को बेहतर विकल्प देने का ज़िम्मा अमरीका द्वारा उठाया जाना ध्यान आकर्षित करता है। विक्टोरिया न्यूलैण्ड ने अमरिकी संसद की समिती के सामने किए हुए बयान इसी की साक्ष देते हैं।

उपमंत्री न्यूलैण्ड कतार, नेपाल और श्रीलंका के अलावा भारत का भी दौरा करेंगीं। इस मुद्दे पर अमरिकी सांसद जेफ मर्कल ने न्यूलैण्ड से सवाल किया था। यूक्रेन युद्ध में रशियन हथियारों के प्रदर्शन पर गौर करें तो भारत की रशियन हथियारों की रूचि यकीनन कम होगी, ऐसा हमारा विचार है, ऐसा बयान मर्कल ने किया। इसके बाद न्यूलैण्ड ने रशियन हथियारों पर निर्भर भारत को बेहतर विकल्प देना अमरीका का ज़िम्मा होने का दावा किया। अपनी भारत यात्रा में यह प्रमुख मुद्दा होगा, ऐसा न्यूलैण्ड ने स्पष्ट किया।

पिछले साठ सालों में भारत ने रशिया से हथियार खरीदे हैं। इसकी वजह से भारत अब इसके लिए बडे पैमाने पर रशिया पर निर्भर है। लेकिन, इस निर्भरता को घटाने के लिए भारत को कोशिश करनी चाहिए। अमरीका इसके लिए भारत की हर तरह से सहायता करेगी, ऐसी गवाही न्यूलैण्ड ने दी। साथ ही भारत रशिया से रियायत के दाम में खरीद रहे ईंधन का मुद्दा भी न्यूलैण्ड ने उठाया।

यूक्रेन युद्ध में भारत ने रशिया के खिलाफ भूमिका अपनाए, इसके लिए अमरीका लगातार दबाव डाल रही है। रशिया से हथियार और ईंधन खरीदकर भारत यूक्रेन युद्ध के लिए रशिया की सहायता न करे, ऐसा भावनिक आवाहन पश्चिमी देश कर रहे हैं। लेकिन, अमरीका और यूरोपिय देशों के दबाव का शिकार होकर भारत रशिया के अपने मित्रता का सहयोग दांव पर लागने के लिए तैयार नहीं है। भारत और रशिया के बीच सहयोग आगे भी जारी रहेगा, यह संदेश भारत ने अमरिका और यूरोपिय देशों को दिया है। साथ ही रशिया से हथियार खरीदते हुए भारत ने फ्रान्स के साथ अपना रक्षा संबंधित सहयोग बढ़ाने का रणनीतिक निर्णय लिया है। इसकी वजह से फ्रान्स को भारत से लड़ाकू विमानों का ठेका मिलेगा, ऐसे दावे किए जा रहे हैं।

ऐसी स्थिति में भारत को अरबों डॉलर्स के हथियार और रक्षा सामान प्रदान करने के लिए उत्सुक अमरीका का इस पर बयान आ रहा है। अब भी भारत के पास मौजूद ६० प्रतिशत हथियार और रक्षा सामान रशियन निर्माण का है। इसकी मरम्मत और रखरखाव के लिए भारत को रशिया की सहायता लेनी ही पडेगी, इसका अहसास अमरीका को है। फिर भी रशिया की जगह हथियाकर भारत को हथियार प्रधान करने का ‘ज़िम्मा’ अपने सिर पर स्वयं ही लेने के लिए अमरीका बेताब है। लेकिन, हद से ज्यादा भारत अमरीका पर विश्वास नहीं कर सकता। विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने अमरीका से इन्कार करने की वजह से ही भारत को सोवियत रशिया से हथियार खरीदने पड़े, इसकी याद दिलाई थी। इसकी वजह से भारत को हथियार देने के लिए उत्सुक अमरीका को भारत का इससे ज्यादा अलग जवाब मिलने की संभावना नहीं है।

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