भारतीय जवानों ने चीन के जवानों पर हमला किया- चीन के विदेश मंत्रालय का आरोप

नई दिल्ली: भारत के स्वतंत्र दिन पर लद्दाख में घुसपैठ करके भारतीय सेना को चुनौती देनेवाले चीन ने भारत पर नए आरोप करने शुरू किए है । भारतीय सैनिकों ने ही चीन के जवानों पर हमला करने का दिखावा चीन के विदेशमंत्री ने किया है। पर यह होने के साथ चीन से भारत को आ रही धमकियां फिलहाल रुकने की बात दिखाई दे रही है। इस दौरान भारत के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने डोकलाम का मुद्दा जल्द ही सुलझेगा, यह आशा व्यक्त की है।

भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद लेह के दौरे पर होकर उन्होंने लद्दाख में भारतीय लष्कर के शिविर को भेंट दी है। लष्कर के एक कार्यक्रम के लिए आए राष्ट्रपति गोविंद का यह दौरा मतलब चीन को भारत ने दिया संकेत है, यह माना जा रहा है। इसके पहले लष्कर प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने भी लेह-लद्दाख को भेंट देकर वहां की सुरक्षा का मुआयना किया था। यहां तैनात १४ कोअर के अधिकारियों से लष्कर प्रमुख ने चर्चा की थी। चीन से जुड़े भारत की सीमा पर लश्कर की गतिविधियां शुरू रहते वक्त भारत के लष्कर प्रमुख ने किया यह दौरा महत्वपूर्ण माना गया।

डोकलाम का विवाद उठने पर चीन के सैनिकों ने लद्दाख में घुसपैठ का प्रयत्न किया था। चीन के जवानों ने १५ अगस्त के दिन लदाख में पेंगोंग सरोवर के इलाके में घुसपैठ करके भारत को चेतावनी दी थी। इस समय चीनी जवानों के हाथों में लोहें की सलाखें थी, जिसके उपयोग से उन्होंने भारतीय सैनिकों पर हमला किया। साथ ही चीनी जवानों द्वारा भारतीय सेना पर पथराव करने की भी बात सामने आयी है। पर भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों के मुंह तोड़ जवाब दिया और इस कारण चीनी जवानों को पीछे जाना पड़ा। शुरुआत में इस मामले में हमें कोई जानकारी ना होने का दावा चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने किया था पर अब चुनयिंग ने इस मामले में भारत को जिम्मेदार ठहराया है।

चीन के जवान हमेशा की तरह अपने क्षेत्र में गश्ती पर थे, पर भारतीय सैनिकों ने उनपर हमला किया, यह कहते हुए इस हमले में कुछ चीनी जवान जख्मी भी होने का दावा चुनयिंग ने किया है। ‘यह अत्यंत निराश करने वाली बात है’ कहते हुए चुनयिंग ने इस मामले में चीन ने भारत पर तीव्र नाराजी व्यक्त करने की जानकारी चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने दी है। पर डोकलाम में भारतीय सैनिक दाखिल होने के बाद भारत को युद्ध की धमकियां देनेवाला चीन अब ठंडा होता दिखाई दे रहा है। क्योंकि दोनों देशों के सैनिकोंने की मुठभेड़ के बाद चीन ने भड़काऊ और युद्धखोरी की भाषा का उपयोग नहीं किया।

दरमियान, डोकलाम का विवाद जल्द ही सुलझेगा, यह आशा भारत के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने व्यक्त की है। इंडो-तिबेटीयन बॉर्डर पुलिस (आयटीबीपी) के कार्यक्रम में बोलते हुए ग्रहमंत्री ने चीन डोकलाम विवाद पर सकारात्मक पहल लेते हुए, यह विवाद सुलझाने का प्रयत्न करेंगे यह विश्वास व्यक्त किया है।

इस संदर्भ में, भारत ने राजनीतिक चर्चा का आवाहन करके अपनी यही भूमिका कायम रखने की बात दिखाई दी है। डोकलाम का विवाद बढ़ाना नहीं है पर डोकलाम से वापस लौटकर हमें दे देश की सुरक्षा से समझौता नहीं करना है यह आग्रही भूमिका भारत ने ली है। इसलिए भारत चीन को गतिरोध करते दिखाई दे रहा है, यह दावा दुनियाभर के निरीक्षक कर रहे हैं।

दौरान, जल्द ही चीन में ‘ब्रिक्स’ परिषद का आयोजन होने वाला है। इस परिषद में भारत के प्रधानमंत्री क्या उपस्थित होंगे, यह प्रश्न डोकलाम विवाद की पृष्ठभूमि पर पूछा जा रहा है। इसलिए ‘ब्रिक्स’ की परिषद से पहले भारत और रशिया डोकलाम पर चर्चा करेंगे यह ख़बर सामने आयी है। डोकलाम का विवाद भडकने पर भारत का उत्तम सहयोगी और पारंपरिक मित्र देश रशिया कौन सी भूमिका लेगा इस पर सारी दुनिया का ध्यान लगा है। अब तक रशिया ने खुलेआम इस विवाद में किसी का पक्ष नहीं लिया है।

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