मालेगाव बम विस्फ़ोट शृंखला मामले में सर्वोच्च न्यायालय से लेफ्टनंट कर्नल पुरोहित को जमानत

नई दिल्ली: मालेगांव बम विस्फोट के मामले में गिरफ्तार हुए भारतीय सेना के लेफ्टनंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित को करीब ९ वर्ष के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने जमानत मंजूर की है। पुरोहित के खिलाफ जांच संस्थाओं के आरोप पत्र में विरोधाभास होने की बात कहते हुए, सर्वोच्च न्यायालय ने पुरोहित को जमानत मंजूर की है।

सन २००८ में मालेगाव में हुए बम विस्फोटों की श्रृंखला के लिए सहायता करने के आरोप में कर्नल पुरोहित को गिरफ्तार किया था। ‘महाराष्ट्र आतंकवाद विरोधी पथक’ ने पुरोहित के विरोध में आरोप पत्र दाखिल किया था। सन २००९ में दाखिल किए इस आरोप पत्र में विसंगति होने की बात राष्ट्रीय जांच संस्था (एनआईए) ने पिछले साल दिए रिपोर्ट में स्पष्ट की थी।

दोनों जांच संस्थाओं के अहवाल में दर्ज विरोधाभास की सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश आर. के. अग्रवाल और न्यायाधीश अभय मोहन सप्रे ने दखल ली।

भारतीय लष्कर के गुप्तचर विभाग में काम करते हुए लेफ्टनंट कर्नल पुरोहित ने उनपर किए आरोप को निराधार बताते हुए उन्होंने ‘आतंकवादियों के विरोध में गोपनीय जानकारी पाने का कर्तव्य पूरा कर रहे थे’ यह अपने बयान में कहा था। साथ ही अपने इस काम का विस्तृत रिपोर्ट उन्होंने वरिष्ठों को प्रदान किया था, जिस की जानकारी पुरोहित ने दी। साथ ही, भारतीय लष्कर के एक अहवाल में लेफ्टनंट कर्नल पुरोहित की प्रशंसा करने की बात सामने आयी है।

पुरोहित ने जान की बाजी लगाकर गोपनीय जानकारी पायी है और इस वजह से आतंकियों का षड्यंत्र तबाह करना उन्हें संभव हुआ है, यह बात उस अहवाल में बताया गया है। एक वृत्त माध्यम ने यह अहवाल हालही में खुला किया है।

ऐसे अधिकारी पर आतंकवाद को सहायता करने का आरोप राजकीय हेतु से प्रेरित होने का आरोप पिछले साल से किया जा रहा है। पुरोहित के वकील हरीश सालवे ने राजकीय विवादों से प्रेरित होकर पुरोहित को इस मामले में फंसाने की बात कही थी।

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