क्या भारतीय न्याय व्यवस्था को कलंक लगेगा ?

नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ने पत्रकार परिषद में सर न्यायाधीश की कार्यप्रणाली पर टीका करने के बाद देशभर से प्रतिक्रिया उमड़ रही है। सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश तथा प्रख्यात वकीलों ने इस पत्रकार परिषद पर आक्षेप लिया है। सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश संतोष हेगड़े एवं आर.एस. सोढ़ी ने इस का निषेध कर के इसकी वजह से सर्वोच्च न्यायालय की प्रतिष्ठा बाधित होने की टीका की है।

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश चेलमेश्वर, न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायाधीश मदन बी.लोकुर और न्यायाधीश कुरियन जोसेफ ने शुक्रवार को पत्रकार परिषद में सरन्यायाधीश दीपक मिश्रा इनपर टीका की थी। न्यायाधीश को मुकदमे सौंपते हुए सरन्यायाधीश योग्य प्रक्रिया का उपयोग नहीं करते है बल्कि अपने मर्जी के न्यायाधीशों की तरफ झुकाव दिखाते हैं, ऐसी शिकायत चारो न्यायाधीशों ने की थी। तथा देश के भविष्य पर परिणाम करने वाले महत्वपूर्ण मुकदमों के बारे में सरन्यायाधीश द्वारा योग्य सतर्कता न रखने का आरोप कर के उस वजह से गलत पद्धति रूढ़ हो रही है एवं जनतंत्र खतरे में आ सकता है, ऐसा इशारा इन चार न्यायाधीशों ने अपने पत्रकार परिषद में दिया था।

भारतीय न्याय व्यवस्था के इतिहास में न्यायाधीशों ने इस रुप से प्रसार माध्यमों के सामने आकर कभी आरोप नहीं किए थे। इस की वजह से उस की तीव्र प्रतिक्रिया देश पर उमड़ रही है। इस पत्रकार परिषद के बाद भारतीय कम्युनिस्ट पक्ष के नेता डी.राजा ने न्यायाधीश चेलमेश्वर से मुलाकात की थी। इस की वजह से इस पत्रकार परिषद यह एक सुनियोजित षडयंत्र होने का आरोप किया था। उस के बाद सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीशों ने इन मामलों पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी और यह पत्रकार परिषद का कड़े शब्दों में निषेध किया था।

सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश संतोष हेगड़े ने शनिवार को हुए इस पत्रकार परिषद का पूर्ण रुप से निषेध करते है, ऐसा कहा है। न्याय व्यवस्था में मतभेद ऐसे रूप से सार्वजनिक नहीं किए जा सकते। इस की वजह से न्याय व्यवस्था की प्रतिष्ठा बाधित हो रही है, ऐसा आरोप संतोष हेगड़े ने किया था। जनता का न्याय व्यवस्था पर विश्वास अगर उड़ा, तो न्याय व्यवस्था होकर भी कोई उपयोग नहीं होगा, ऐसा कड़ा इशारा हेगड़े ने दिया है। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आर. एस. सोढ़ी ने ४ न्यायाधीशों के पत्रकार परिषद की वजह से सर्वोच्च न्यायालय का बड़ा नुकसान होने का खेद व्यक्त किया है।

न्यायाधीश चेलमेश्वर, न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायाधीश मदन बी लोकुर और न्यायाधीश कुरियन जोसेफ ने पत्रकार परिषद में किए विधान सरन्यायाधीश दीपक मिश्रा इन की गलत प्रतिमा निर्माण करने वाली है, ऐसा सोढ़ी ने आगे कहा था। हमें सारे महत्वपूर्ण मुकदमें मिले और अन्य न्यायाधीशों को यह मुकदमे नहीं मिले, ऐसी इन चारों न्यायाधीशों की मांग अत्यंत गलत थी, ऐसी टिप्पणी सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश आर.एस.सोढ़ी ने की है।

इस भूतपूर्व न्यायाधीश के साथ प्रख्यात वकील हरीश सालवे ने भी न्याय व्यवस्था के मतभेद देश के सामने उजागर होने से खेद व्यक्त किया है। हमने इस से पहले भी न्यायाधीशों में गंभीर मतभेद होने की बात देखी थी। पर इस रुप से वह मतभेद उजागर नहीं हुए थे, ऐसा दावा हरीश सालवे ने किया है। तथा पत्रकार परिषद लेकर यह मतभेद उजागर करने वाले न्यायाधीशों का पक्ष लेने वाले कई वकीलों को सालवे ने प्रश्न किए हैं। सार्वजनिक हित के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण कहने वाले याचिका की सुनवाई इन चारों न्यायाधीशों के सामने हो, ऐसी मांग कई वकीलों ने की थी। महत्वपूर्ण याचिका कौन सी है वह वकीलों द्वारा स्पष्ट हो, फिर उस के पीछे इन चारों न्यायधिशो को लगने वाली चिंता दूर की जा सकती है, ऐसा हरीश सालवे ने कहा है।

पत्रकार परिषद लेकर केवल आरोप करनेवाले इन चारों न्यायाधीशों ने अपना कहना अधिक स्पष्ट तौर पर प्रस्तुत करना आवश्यक था। पर उनके आरोप से कोई भी ठोस बात सामने नहीं आ रही है, ऐसा दावा प्रख्यात वकील अमन लेखी ने किया है।

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