भारत के विदेश मंत्री जयशंकर युएई के बहुचर्चित दौरे पर

नई दिल्ली – भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर संयुक्त अरब अमिरात (युएई) के दौरे पर हैं। उनका यह दौरा द्विपक्षीय होकर विदेश मंत्री जयशंकर अन्य किसी से भी मुलाकात नहीं करेंगे, ऐसा खुलासा विदेश मंत्रालय ने किया है। विदेश मंत्री जयशंकर के युएई में होते समय ही, पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरेशी भी इस देश का दौरा कर रहे हैं। इन दोनों की युएई में ही चर्चा संपन्न होगी, ऐसीं खबरें जारी हुईं थीं। लेकिन वैसी संभावना नहीं है, ऐसा भारत और पाकिस्तान द्वारा भी स्पष्ट किया जा रहा है। लेकिन युएई ने, भारत और पाकिस्तान के बीच चर्चा करवाने के लिए युएई मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा है, ऐसा घोषित करके इस बारे में कौतूहल और भी बढ़ाया है।

भारत और पाकिस्तान के बीच अघोषित चर्चा जारी होने की खबरें थोड़े-थोड़े समय बाद जारी होती रहती हैं। कुछ दिन पहले युएई के एक प्रभावशाली राजनीतिक अधिकारी ने, अपना देश भारत और पाकिस्तान के बीच चर्चा के लिए मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा है, ऐसा दावा किया था। उस पृष्ठभूमि पर, विदेश मंत्री जयशंकर और विदेश मंत्री कुरेशी की युएई भेंट चर्चा के लिए ही आयोजित की गई होगी, ऐसी गहरी संभावना जताई जा रही थी। लेकिन दोनों देशों ने इस बात से इन्कार किया है। इस कारण, यह चर्चा गोपनीय होगी ऐसे दावे माध्यमों द्वारा किए जा रहे हैं। हालाँकि भारत में इस खबर को कुछ खास महत्व नहीं दिया जा रहा है, फिर भी पाकिस्तान में इससे बहुत बड़ा विवाद शुरू हुआ है।

भारत ने कश्मीर को विशेष दर्जा देनेवाली धारा-३७० फिर से लागू किए बगैर चर्चा संभव नहीं होने का दावा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने किया था। लेकिन वे अपने वचन पर अडिग नहीं रहे, ऐसी आलोचना पाकिस्तानी पत्रकार और विश्लेषक कर रहे हैं। कुछ दिन पहले भारत से चिनी और कपास की आयात करने की तैयारी पाकिस्तान की सरकार ने की थी। लेकिन जब उसे बढ़ता विरोध होने लगा, तब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने फिर एक बार यु टर्न या, ऐसा आरोप माध्यम कर रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में, दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की युएई में भेंट होने की संभावना सामने आने के बाद, पाकिस्तान में इम्रान खान पर होनेवाली आलोचना अधिक ही तीव्र हुई है।

भारत ने धारा-३७० फिर से लागू करने की संभावना ख़ारिज कर दी है। ऐसी परिस्थिति में यदि पाकिस्तान ने भारत से चर्चा शुरू की, तो उससे यह संदेश दुनिया को मिलेगा कि पाकिस्तान ने कश्मीर का मुद्दा छोड़ दिया। यह बात पाकिस्तान के लिए घातक साबित होगी, ऐसी चेतावनी भारतविद्वेषी विश्लेषक दे रहे हैं। वहीं, पाकिस्तान चाहे कुछ भी करें, भारत धारा-३७० फिर से लागू नहीं करेगा। अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय भी भारत के विरोध में जाने के लिए तैयार नहीं है। अब तक कश्मीर के लिए खुलेआम और छुपा युद्ध करके पाकिस्तान के हाथ कुछ भी नहीं लगा। उल्टा इससे पाकिस्तान का भारी नुकसान ही हुआ। इस कारण भारत के साथ चर्चा करके अपनी अर्थव्यवस्था सँवारने के सिवा पाकिस्तान के पास और कोई चारा ही नहीं है, ऐसा इस देश के बुद्धिमानों का कहना है।

अब भारत के साथ चर्चा करने के लिए उत्सुकता दर्शानेवाले प्रधानमंत्री इम्रान खान ने, पहले के ज़माने में भारत के विरोध में तीखी भूमिका अपनाई थी। उससे मुकरकर अब भारत से चर्चा करने का फैसला करना खान के लिए मुश्किल साबित हो रहा है। इससे यही साबित हो रहा है कि इम्रान खान ये अपरिपक्व नेता हैं, ऐसा खेद, कभी इम्रान खान का समर्थन करनेवाले पत्रकार और विश्लेषक ज़ाहिर कर रहे हैं।

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