२१वीं सदी को आकार देने में भारत की भूमिका निर्णायक रहेगी – जर्मन विदेश मंत्री का दावा

भारत की भूमिकानई दिल्ली – जर्मनी की विदेश मंत्री ऐनालेना बेअरबॉक भारत यात्रा पर आई हुई हैं। अक्तुबर में पाकिस्तान के विदेशमंत्री बिलावर भुट्टो के साथ संयुक्त वार्तापरिषद में बोलते समय जर्मन विदेशमंत्री ने भारत को उकसाने वाले बयान किए थे। संयुक्त राष्ट्रसंघ दखलअंदाज़ी करके कश्मीर मसले का हल निकाले, तब विदेशमंत्री बेअरबॉन ने यह मांग की थी। इस पर भारत से तीव्र बयान दर्ज़ हुए थे। लेकिन, अपनी भारत यात्रा शुरू होने से पहले बेअरबॉक ने इस गलती को सुधारा और कश्मीर भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मसला होने का दावा किया। ऐसे में जर्मन विदेशमंत्री से चर्चा करते समय भारतीय विदेशमंत्री जयशंकर ने यह स्पष्ट किया कि, पाकिस्तान ने सीमा के उस पार से आतंकवाद का निर्यात बंद किए बिना भारत इस देश से चर्चा नहीं करेगा।

विदेशमंत्री ऐनालेना बेअरबॉक की इस भारत यात्रा में दोनों देशों में ‘मोबिलिटी पार्टनरशिप’ समझौता किया गया। इस समझौते की वजह से दोनों देशों के नागरिकों को एक-दूसरे के देश में अध्ययन, अनुसंधान एवं काम करने में आसानी होगी, यह दावा किया जा रहा है। ‘जर्मनी को भारत के साथ रणनीतिक सहयोग विकसित करना है। लेकिन, इसके आगे बढकर जर्मनी को भारत के साथ आर्थिक, मौसम के बदलाव और रक्षा संबंधी सहयोग स्थापित करना है। यह बयान खोखला नहीं है। भारत जर्मनी का भरोसेमंद भागीदार है, इन शब्दों में विदेश मंत्री ऐनालेना बेअरबॉक ने भारत के सहयोग की अहमियत रेखांकित की।

साथ ही भारत ने पिछले १५ सालों में ४० करोड़ से अधिक जनता को भीषण गरिबी से ऊपर उठाया है। यह जनसंख्या लगभग यूरोपिय महासंघ की जनसंख्या जितनी है, यह कहकर जर्मन विदेशमंत्री ने भारत की सराहना की। साथ ही २१वीं सदी को आकार देने में भारत की भूमिका निर्णायक रहेगी, इस पर हमारे मन में किसी भी तरह की आशंका नहीं है, ऐसा विदेशमंत्री ऐनालेना बेअरबॉक ने कहा। तथा हाल ही में बाली में आयोजित ‘जी २०’ परिषद में भारत ने इस संगठन का नेतृत्व करने के लिए तैयार होने का संदेश दिया, यह कहकर बेअरबॉक ने संतोष व्यक्त किया। उभरती हुई आर्थिक शक्ति और सशक्त लोकतंत्र वाला भारत कई देशों के लिए आदर्श है और देशों को जोड़नेवाले सेतु का काम करेगा, यह विश्वास भी जर्मन विदेश मंत्री ने इस दौरान व्यक्त किया।

इसी बीच, अक्तुबर में विदेश मंत्री बेअरबॉक ने पाकिस्तान के विदेशमंत्री बिलावल भुट्टो के साथ जर्मनी में संयुक्त वार्तापरिषद में बोलते समय कश्मीर मुद्दे पर किए बयान का प्रभाव उनकी इस भारत यात्रा में भी देखा गया। इस दौरे से पहले बेअरबॉक ने कश्मीर भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा होने का बयान करके इस मुद्दे पर जर्मनी की पहले की भूमिका कायम होने की बात स्पष्ट की। लेकिन, उनके साथ चर्चा के दौरान अफ़गानिस्तान और पाकिस्तान का मुद्दा आगे था, यह जानकारी भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने दी। जब तक पाकिस्तान अपनी सीमा से भारत में आतंकवाद का निर्यात बंद नहीं करता, तब तक भारत पाकिस्तान से चर्चा नहीं करेगा, यह भूमिका विदेश मंत्री जयशंकर ने ड़टकर कही। जर्मनी द्वारा भारत की इस भूमिका का समर्थन किए जाने का बयान जयशंकर ने किया है।

इसी बीच, यूक्रेन युद्ध और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की गतिविधियों पर भी भारत और जर्मनी के विदेश मंत्रियों में चर्चा हुई। विदेश मंत्री जयशंकर के साथ संयुक्त वार्तापरिषद में बेअरबॉक को चीन को लेकर सवाल किया। इस पर उन्होंने जवाब में कहा कि, चीन जर्मनी का स्पर्धक देश है और कुछ क्षेत्रों में चीन प्रतिद्वंद्वि के रूप में सामने आ रहा है, यह भी स्वीकार किया। चीन से उभर रहे खतरे की जर्मन विदेश मंत्री की पुष्टि ध्यान आकर्षित करती है।

मराठी

Leave a Reply

Your email address will not be published.