‘एआई’ में अमरीका-चीन तक पहुंचने के लिए भारत को पुख्ता प्रयास करने होंगे – नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी

मुंबई – ‘आर्टिफिशल इंटेलिजन्स’ (एआई) के क्षेत्र में शीर्ष स्थान पर होनेवाला देश ही आगे के समय में पूरे विश्‍व पर वर्चस्व रखेगा, ऐसें दावे किए जा रहे हैं। लेकिन, अमरीका और चीन की तुलना में भारत इस क्षेत्र में काफी पीछे रहा है। ‘एआई’ के क्षेत्र में बढ़त प्राप्त करने के लिए भारत को प्रचंड़ परिश्रम करने होंगे, इसका अहसास नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने कराया। मुंबई में आयोजित ‘इंटरनेट ॲण्ड मोबाईल असोसिएशन ऑफ इंडिया’ (आईएएमएआई) के कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित करते हुए अमिताभ कांत ने यह बयान किया।

‘एआई’ और ‘सुपरकॉम्युटिंग’ क्षेत्र में भारत तुलना में चीन से काफी पीछे रह गया है। इस क्षेत्र के अनुसंधान के लिए भारत को विशेष कोशिशें करनी होगी। इस क्षेत्र से जुड़े हर एक ने इसपर सोचने की ज़रूरत हैं। इसके लिए साथ मिलकर अनुसंधान एवं अन्य ज़रूरी गतिविधियों को गति प्रदान करनी  होगी, ऐसा कहकर अमिताभ कांत ने इसके लिए एकजूट के साथ कोशिश करनी होगी, इसका अहसास कराया। निजी क्षेत्र में ‘एआई’ की प्रगति हो रही हैं और साथ ही इसका इस्तेमाल प्रचंड़ मात्रा में बढ़ रहा हैं। इस वजह से ‘एआई’ अब आम लोगों की कक्षा के बाहर की तकनीक नहीं रही, इसपर अमिताभ कांत ने ध्यान आकर्षित किया।

‘एआई’ का इस्तेमाल सभी क्षेत्रों में बढ़ रहा हैं। इस बात के मद्देनज़र भारत ने इस क्षेत्र के लिए जनशक्ति और कुशलता विकसित करने के विशेष प्रयास करने होंगे। खास तौर पर छात्रों में ‘एआई’ संबंधित कौशल विकास करने के लिए और साथ ही कारोबारियों को इसका प्रशिक्षण देने की कोशिश शुरू करनी होगी, ऐसा दावा कांत ने किया। अमरीका और चीन इन देशों की तुलना में भारत ‘एआई’ के क्षेत्र में काफी पीछे रह गया हैं, इस बात पर अमिताभ कांत ने ध्यान आकर्षित किया और चार दिन पहलें सार्वजनिक हुई एक रपट भारतीय लोगों को वास्तव का अहसास देता हैं। साल २०२३ तक ‘एआई’ क्षेत्र में भारत का निवेश मात्र ८८ करोड़ डॉलर्स हो सकता हैं, यह दावा इस रपट में किया गया है। पिछले साल वैश्‍विक स्तर पर ‘एआई’ में हुआ निवेश दोगुना हुआ था। लेकिन, इसमें भारत का हिस्सा सीर्फ डेढ़ प्रतिशत ही हैं।

‘एआई’ क्षेत्र में बढ़त बनानी हैं तो भारत को इस क्षेत्र में भारी मात्रा में निवेश करना होगा, इसका अहसास अमिताभ कांत ने अलग ढ़ंग से कराया। आनेवाले दिनों में रक्षा से रोजाना स्तर के कारोबार तक के हर एक बात से ‘एआई’ जुड़ा होगा, ऐसा विशेषज्ञों का कहना हैं।

मानवी जीवना पर ‘एआई’ का प्रभाव पड़ने से दूर रहना किसी को भी संभव नहीं होगा। इस वजह से भविष्य में ‘एआई’ में शीर्ष स्थान पानेवाला देश विश्‍वपर वर्चस्व रखेगा, ऐसा इशारा रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने कुछ साल पहले ही दियाथा। इसकी साक्ष विश्‍व को अब होने लगी हैं। ऐसी स्थिति में ‘एआई’ के क्षेत्र में चीन जैसें अपने ताकतवर प्रतिद्वंद्वी देश से पीछे रहना भारत के हित में नहीं होगा। इसी कारण अमिताभ कांत ने इस मुद्दे पर दिया इशारा ध्यान आकर्षित कर रहा हैं।

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