२६/११ के ‘मास्टरमाइंडस्‌‍’ पर कार्रवाई करने की भारत की कोशिश राजनीतिक उद्देश्य से रोकी गई – भारतीय राजदूत का संयुक्त राष्ट्रसंघ में आरोप

संयुक्त राष्ट्रसंघ – २६ नवंबर, २००८ को समुद्री मार्ग से दस आतंकियों ने मुंबई में घुसपैठ की और चार दिन तक उन्होंने शहर को बंधक बनाए रखा। इस दौरान इन आतंकियों ने कुल १६६ लोगों की हत्या की और इन मृतकों में २६ विदेशी नागरिक थे। इस कायराना हमले के मास्टरमांडस्‌‍ पर सुरक्षा परिषद के ज़रिये कार्रवाई करने की भारत की सभी कोशिशों को राजनीतिक उद्देश्य से रोका गया। इसकी वजह से २६/११ के मास्टरमाइंड आज भी खुलेआम घुम रहे हैं और भारत पर नए आतंकी हमले करने की साज़िश रच रहे हैं, ऐसी तीखी आलोचना संयुक्त राष्ट्रसंघ में भारतीय राजदूत रुचिरा कंबोज ने की।

संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद में बोलते हुए राजदूत रुचिरा कंबोज ने मुंबई पर हुए आतंकी हमलों का मुद्दा उठाकर इस हमले के मास्टरमाइंड पर अब तक कार्रवाई ना होने के मुद्दे पर ध्यान आकर्षित किया। इसके लिए भारत ने आज तक की हुई कोशिश चीन ने नकाराधिकार इस्तेमाल करके रोक दी थी। इस साल के जून से लेकर अब तक हफिज सईद, शाहिद महमूद, साजिद मीर, अब्दुल रौफ अज़हर, अब्दुल रेहमान मक्की जैसे आतंकियों पर कार्रवाई करने के प्रस्ताव सुरक्षा परिषद में रखे गए थे। लेकिन, पाकिस्तान का करीबी मित्र चीन ने अपने अधिकारों को गलत इस्तेमाल करके इन प्रस्तावों को रोक दिया था।

सुरक्षा परिषद की १२६७ कानून सैन्क्शन्स कमिटी में पिछले दशक में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी संगठनों के नाम दर्ज़ किए गए थे। लेकिन, चीन के अड़ियल रवैये के कारण उन पर कार्रवाई करना मुमकिन नहीं हुआ, इस बात पर भी राजदूत रुचिरा कंबोज ने ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की। साथ ही इन आतंकी संगठनों पर नज़र रखने जरुरत का बायन भी राजदूत कंबोज ने किया। एवं कुछ देशों में इन आतंकी संगठनों की बड़ी अच्छी मेहमान नवाज़ी होती है, यह कहकर भारत के राजदूत ने इस पर पाकिस्तान को तमाचा जड़ा। सन २०२२ की सुरक्षा परिषद की ‘काऊंटर टेररिज़म कमिटी’ (सीटीसी) की अध्यक्षता भारत के हाथों में थी इस दौरान भारत ने आतंकवाद के खिलाफ उठाए कदमों की जानकारी राजदूत कंबोज ने पेश की।

पिछले कुछ महीनों से भारत ने आतंकवाद को प्रायोजित कर रहे पाकिस्तान और आतंकियों का बचाव कर रहे चीन के खिलाफ आक्रामक रवैया अपनाया है। भारत में हाल ही में इंटरपोल की आम सभा का आयोजन हुआ। साथ ही ‘नो मनी फॉर टेटर’ (एनएमएफटी) की परिषद का भी हाल ही में भारत में आयोजन हुआ था। इन दोनों अहम परिषदों में आतंकवाद फैला रहे देशों के साथ ही आतंकियों का बचाव कर रहे देश भी उतने ही ज़िम्मेदार हैं, ऐसी आलोचना भारत के प्रधानमंत्री ने की थी। साथ ही आतंकवाद फैला रहे और इनका बचाव कर रहे देशों को इसकी कीमत चुकाने के लिए मज़बूर करना ही पडेगा, ऐसी आक्रामक मांग प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान की थी।

भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनाई इस आक्रामक भूमिका को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थन मिला रहा है और प्रमुख देशों ने भी भारत की भूमिका को अहमियत दी है। इसका दबाव पाकिस्तान समेत चीन को भी महसूस हो रहा है। आनेवाले समय में भारत में आतंक फैला रहे आतंकियों का समर्थन करना संभव नहीं होगा, यह संदेश भारत अब पाकिस्तान के साथ-साथ चीन को भी दे रहा है।

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