भारत-चीन लष्करी अधिकारियों की चर्चा सकारात्मक होने के दावे

नई दिल्‍ली – सोमवार को भारतीय लष्कर के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हुई प्रदीर्घ चर्चा के बाद, चीन ने गलवान वैली तथा पँगॉग सरोवर के क्षेत्र से पूरी तरह वापसी करने की तैयारी दर्शायी है। इस कारण, यह चर्चा सकारात्‍मक साबित होने के दावें हालाँकि दोनों पक्षों से किये जा रहे हैं, फिर भी भारत इस बार भी चीन की वापसी की ओर सावधानता से देख रहा होने के संकेत मिल रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर, भारत के लष्कर प्रमुख जनरल नरवणे ने लेह की भेंट करके, यहाँ के अस्पताल में ईलाज़ चल रहें जवानों की तबियत का जायज़ा लिया। भारतीय लष्कर प्रमुख का लद्दाख दौरा, भारतीय लष्कर चीन पर कड़ी नज़र रखे है, इसका स्‍पष्ट संदेश दे रहा है।india-china-military-official-talks

गलवान वैली के संघर्ष को १ हफ़्ता बीतने के बाद, दोनों देशों के वरिष्ठ लष्करी अधिकारियों के बीच हुई चर्चा की ओर पूरी दुनिया का ध्यान केंद्रित हुआ था। जैसा कि अनुमान था, चीन के लष्करी अधिकारियों ने शुरू शुरू में अड़ियल भूमिका अपनायी थी। लेकिन चीन का लष्कर पीछे हटे बग़ैर सीमा पर बना तनाव मिटेगा नहीं, ऐसी ठोंस भूमिका अपनाकर भारत के लष्करी अधिकारियों ने चीन को परिस्‍थिति का एहसास कराया। ११ घंटों से अधिक समय तक चली इस चर्चा में, आख़िरकार चीन ने पीछे हटने की तैयारी दर्शायी। चीन का लष्कर वहाँ से कुछ किलोमीटर पीछे हटनेवाला है, ऐसी ख़बर भी प्रकाशित हुई है। वहीं, यह चर्चा सकारात्‍मक साबित होने का दावा भारत द्वारा किया जा रहा है। ऐसा होने के बावजूद, भारतीय लष्कर चीन की वापसी के बाद भी यहाँ के हालातों पर कड़ी नज़र रखे होगा, ऐसे स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं। चीन ने नर्म रवैया अपनाकर पीछे हटने की तैयारी क्यों दर्शायी, इसपर भारतीय माध्यमों में चर्चा भी शुरू हुई है।

गलवान वैली में चीन के हमले में भारत के कर्नल संतोष बाबू समेत २० सैनिक शहीद हुए। इसके बाद भारत में ग़ुस्से की तीव्र लहर उमड़ी और भारतीयों ने चिनी उत्‍पादों पर पाबंदी लगाने के लिए व्‍यापक आंदोलन शुरू किया है। इस आंदोलन की आँच चीन को महसूस होने लगी है। भारत के व्‍यापारी संगठनों ने भी चिनी उत्‍पादों का बहिष्कार करने की घोषणा की है। वहीं, भारत सरकार तथा राज्यों की सरकारों ने मिलकर, चिनी कंपनियों को दिये हुए हज़ारों करोड़ रुपयों के काँट्रॅक्ट्स रद कर दिये गए हैं। इससे डरीं हुईं चिनी कंपनियों ने राष्ट्राध्यक्ष शि जिंगपिंग के पास फ़रियाद माँगने की बात स्पष्ट हो रही है। इसका बहुत बड़ा प्रभाव चीन पर पड़ा होकर, कोरोना के झटके से बाहर निकलकर अर्थव्‍यवस्था की गाड़ी पुन: पटरी पर लाने की जानतोड़ कोशिश करनेवाले चीन को, इस समय के लिए तो भारत से विवाद चीन का नुकसान करनेवाला ही होगा, इसका स्पष्ट रूप में एहसास चीन को हुआ है। उसी में, भारत सरकार ने चीन से आयात किये जानेवाले उत्पादों पर भारी मात्रा में टैक्स लगाने की तैयारी की होने की ख़बर भी प्रकाशित हुई थी। इसी कारण चीन सीमाविवाद में पीछे हटने की तैयारी करने लगा है।

लेकिन चाहे कुछ भी हों, भारत के साथ बार बार दगाबाज़ी करनेवाले चीन पर इस समय भी भरोसा नहीं किया जा सकता, ऐसा भारतीय रणनीतिक विश्लेषक बार बार जता रहे हैं। इसी कारण, चीन के संदर्भ में भारत सतर्क भूमिका क़ायम रखें, ऐसी माँग इन विश्लेषकों द्वारा की जा रही है।

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