‘एससीओ’ के विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत ने अपनाई आक्रामकता से चीन-पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा

नई दिल्ली – गोवा में गुरूवार से ‘शांघाय को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन’ (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक शुरू हो रही है। चीन और पाकिस्तान के विदेश मंत्री की इस बैठक में होने वाली मौजुदगी सबसे बड़ी चर्चा का विषय बनता दिख रहा है। खास तौर पर भारत के विदेश मंत्री ने अपने लैटिन अमरीका के दौरे में चीन और पाकिस्तान की कड़ी आलोचना की थी। इसके बाद यह दोनों देश इस बैठक में क्या प्रतिक्रिया बयान करते हैं, इसपर भारत के साथ अन्य प्रमुख देशों का भी ध्यान लगा है।  

चीन के संभावित खतरे की वजह से भारत और अमरीका एक-दूसरे के काफी करीब हुए हैं, ऐसे दावे किए जा रहे हैं। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की जारी हरकतों को रोकने के लिए अमरीका को भारत की सहायता की उम्मीद है। साथ ही ‘एलएसी’ पर जारी चीन की कार्रवाई से भारत-चीन संबंधों में तनाव बढ़ा है, यह कहकर भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने पूरे विश्व को सच्चाई का अहसास कराया। दोनों देशों के संबंधों में बना यह तनाव चीन के कारण है, यह चेतावनी भी जयशंकर ने दी थी। लैटिन अमरिकी देशों में बोलते समय जयशंकर ने चीन पर यह आरोप लगाया था।

साथ ही पाकिस्तान ने अभी तक आतंकवाद का त्याग नहीं किया है और भारत इसी वजह से पाकिस्तान से चर्चा करने के लिए तैयार नहीं हैं, यह भी जयशंकर ने इस दौरे में कहा था। इन दो देशों के अलावा भारत के अमरीका, यूरोपिय देश, रशिया और जापान के साथ अच्छे संबंध है, यह ऐलान विदेश मंत्री जयशंकर ने किया। एससीओ की बैठक से पहले भारत के विदेश मंत्री ने किए यह बयान ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। इस वजह से चीन की बेचैनी अधिक बढ़ सकती है। इससे पहले नई दिल्ली में आयोजित ‘एससीओ’ के रक्षा मंत्री के बैठक में भारतीय रक्षा मंत्री ने चीन के विरोध में काफी सख्त भूमिका अपनाई है, ऐसी शिकायत यह देश कर रहा था।

पाकिस्तान के माध्मम और विश्लेषक विदेश मंत्री जयशंकर पाकिस्तान को लक्ष्य करने का एक भी अवसर जाया जाने नहीं देते, यह कहकर पाकिस्तान के नए नए विदेश मंत्री बने बिलावल भूट्टो ‘एससीओ’ की बैठक के लिए जा रहे हैं। क्या वह विदेश मंत्री जयशंकर का सामना कर सकेंगे, ऐसा सवाल विश्लेषक लगातार कर रहे थे। इस वजह से गुरूवार से शुरू हो रही इस बैठक पर चीन और पाकिस्तान बड़े बारिकी से देख रहे हैं।

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