तवांग सेक्टर में चीन की घुसपैंठ की कोशिश के बाद भारत ने अरुणाचल प्रदेश-एलएसी स्थित बुनियादी सुविधाओं के विकास की गति बढ़ायी

इटानगर – अरुणाचल प्रदेश में भारत द्वारा जारी बुनियादी सुविधाओं के कारण चीन बेचैन हुआ है। इसलिए चीन ने तवांग की एलएसी पर यांगत्से सेक्टर में घुसपैंठ की कोशिश की होने के दावे किये जाते हैं। लेकिन भारतीय सेना ने घुसपैंठ करनेवाले चीन के जवानों को क़रारा जवाब दिया होकर, भारत पर दबाव डालने की ये कोशिशें क़ामयाब नहीं होंगी, ऐसा सन्देश भारत ने इसके ज़रिये चीन को दिया है। इसी कारण, आनेवाले समय में अरुणाचल प्रदेश पर चीन जो दावें कर रहा है, उसमें से सारी हवा ही निकल गई होने की बात अभी से स्पष्ट हो रही है।

अरुणाचल प्रदेश और उसका भाग माने जानेवाले तवांग पर चीन ने सन 2006 से दावे करने की शुरुआत की थी। इतना ही नहीं, बल्कि अरुणाचल प्रदेश तथा नॉर्थ-ईस्ट के अन्य राज्यों में भारत के नेताओं ने किये दौरे का भी चीन द्वारा निषेध किया जा रहा था}अरुणाचल प्रदेश के नागरिकों के भारतीय पासपोर्ट पर वीज़ा का स्टॅम्प न मारते हुए, चीन अलग पेपर पर ‘स्टेपल व्हिसा’ जारी करता था। इसके द्वारा अरुणाचल प्रदेश पर का अपना दावा मज़बूत करने के दाँवपेंच चीन ने बनाये थे। साथ ही, इस क्षेत्र में समय-समय पर अपनी सेना द्वारा घुसपैंठ करवाकर, इस क्षेत्र में भारतीय सेना को चुनौति देने की ज़ोरदार तैयारी चीन ने की थी।

इन सभी गतिविधियों की आड़ में चीन अरुणाचल प्रदेश से सटे अपने कब्ज़ेवाले भूभाग में बड़े पैमाने पर लष्करी बुनियादी सुविधा विकसित कर रहा था। अभी भी चीन ने बुनियादी सुविधाओं के इन विकास प्रोजेक्ट्स् को नहीं रोका है। लेकिन चीन की इस शातिर नीति का एहसास हो जाने के बाद, पिछले कुछ सालों से भारत ने अरुणाचल प्रदेश में बुनियादी सुविधाओं के विकास प्रोजेक्ट्स् हाथ में लिये। इनमें भूतान के पास होनेवाले मॅगो से, तवांग होकर जानेवाले और म्यानमार की सीमा के पास स्थित विजयनगर तक के दो हज़ार किलोमीटर लंबाई के महामार्ग का समावेश है। लगभग 40 हज़ार करोड़ रुपये खर्च होनेवाले इस प्रोजेक्ट को अन्य मार्ग जोड़े जानेवाले होकर, यह कॉरिडॉर चीन की चिंता बढ़ानेवाला साबित हो सकता है।

भारतीय सेना की आवाजाही अधिक स्पीड से होनेवाली होकर, इससे इस मार्ग से सटे गाँवों का भी तेज़ी से विकास होगा। यदि ज़रूरत पड़ी, तो चीन की एलएसी के पास के गाँवों की जनता को अन्यत्र स्थलांतरित करना इससे आसान हो जायेगा। साथ ही, अरुणाचल प्रदेश स्थित होलंगी में हवाई अड्डा भी बनाया जा रहा है। इसका भी बहुत बड़ा लाभ यहाँ के व्यापार तथा पर्यटन व्यवसाय को होगा। अरुणाचल प्रदेश से सटे हुए असम के उत्तरी भाग में भी एयरस्ट्रिप्स् बनाईं जा रही हैं। इन सब गतिविधियों से चीन बौखला गया होकर, भारत को झटका देने की बहुत बड़ी ज़रूरत चीन को महसूस होने लगी थी। इसी कारण, चीन ने तवांग की एलएसी पर घुसपैंठ की नाक़ाम कोशिश किये होने के संकेत मिल रहे हैं। लेकिन इससे चीन को अपेक्षित ना रहनेवाला अंजाम सामने आयेगा और भारत अरुणाचल प्रदेश के तरह ही एलएसी के अन्य भागों में भी बड़े पैमाने पर बुनियादी सुविधाओं के विकास को बढ़ावा देगा, यह बात सामने आ रही है।

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