आर्क्टिक क्षेत्र में रशिया और चीन को रोकने की क्षमता अमरीका के पास नहीं है – अमरिकी विश्लेषक की चेतावनी

वॉशिंग्टन – आर्क्टिक क्षेत्र में रशिया और चीन का खतरा बढ़ रहा होकर, उसे रोकने की क्षमता अमरीका के पास ना होने की चेतावनी विश्‍लेषक निक सोल्हेम ने दी। आर्क्टिक पर वर्चस्व पाने के लिए रशिया तथा चीन ने पिछले कुछ सालों में बड़ा निवेश किया है। उनकी तुलना में अमरीका कम से कम दशकभर पिछड़ी होने का दावा भी सोल्हेम ने किया। अमरिकी विश्लेषक की यह चेतावनी सामने आ रही है कि तभी रशिया द्वारा आर्क्टिक में निर्माण किए जा रहे एक महत्वकांक्षी ऊर्जा प्रोजेक्ट में चीन सहभागी हो सकता है, ऐसी जानकारी रशियन अधिकारियों ने दी है।

arctic-russia-china-us-1पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव के पास होनेवाला बर्फअच्छादित क्षेत्र, ऐसी पहचान होनेवाले आर्क्टिक के हिमखंड पिछले कुछ सालों में भारी मात्रा में पिघल रहे हैं। इस कारण इस भाग में जल्द ही नया व्यापारी मार्ग तैयार होने के संकेत मिल रहे हैं। उसी समय, इस भाग में बड़े पैमाने पर ईंधन और खनिज होने का दावा किया गया होकर, उसके लिए दुनिया के कई देश उत्सुक होने की बात सामने आई है। रशिया ने इसके लिए पहल करके आक्रमक गतिविधियाँ शुरू की होकर, उसके बाद अब चीन ने भी उसमें दिलचस्पी लेने की शुरुआत की है।

सन २०१८ में चीन ने स्वतंत्र नीति घोषित करके खुद को ‘निअर आर्क्टिक स्टेट’ घोषित भी किया था। चीन ने रशिया के सहयोग से आर्क्टिक में कुछ प्रोजेक्ट्स में निवेश शुरू किया है। उसी समय, संशोधन और व्यापार का बहाना बनाकर चीन ने आर्क्टिक में आवागमन के लिए आवश्यक होनेवाले ‘आईसब्रेकर’ किस्म के तीन जहाज़ भी सक्रिय किए हैं। आर्क्टिक क्षेत्र का भाग होनेवाले युरोपीय देशों में भी चीन का निवेश शुरू होकर, नॉर्वे में एक एयरलाइंस कंपनी पर कब्ज़ा करने में चीन को सफलता मिली है। वहीं, रशिया ने आर्क्टिक पर खुलेआम अपना दावा बताकर, वहाँ बड़े पैमाने पर रक्षा अड्डे तथा ईंधन और ऊर्जा प्रोजेक्ट्स कार्यरत किए हैं।

arctic-russia-china-us-2इस सारी पृष्ठभूमि पर, अमरीका के पास केवल दो ‘आईसब्रेकर’ जहाज़ कार्यरत होकर, ग्रीनलैंड में सक्रिय रक्षा अड्डा भी है। लेकिन चीन और रशिया के बढ़ते खतरे को मद्देनजर रखते हुए, ये बातें आर्क्टिक की सुरक्षा के लिए पर्याप्त नहीं हैं, इसका एहसास अमरिकी विश्लेषक सोल्हेम ने करा दिया। ‘आर्क्टिक के लिए आवश्यक क्षमताओं को मद्देनजर रखा, तो अमरीका रशिया और चीन से कम से कम १० साल पिछड़ी हुई है। अगर पूर्ण क्षमता का विचार किया तो शायद २० साल भी पिछड़ी हो सकती है’, ऐसा सोल्हेम ने जताया।

पिछले ही महीने, आर्क्टिक का भाग होनेवाले अमरीका के अलास्का प्रांत के गवर्नर माईक डनलेवी ने भी, रशिया और चीन से होनेवाले खतरे पर ग़ौर फ़रमाया था। आर्क्टिक इन दो देशों के नियंत्रण में ना आएँ, इसके लिए अमरिकी प्रशासन अभी से सामरिक कदम उठाएँ, ऐसी सलाह भी डनलेवी ने दी थी।

इसी बीच, रशिया आर्क्टिक में ‘स्नोफ्लेक इंटरनॅशनल आर्क्टिक स्टेशन’ नामक भव्य ऊर्जा प्रोजेक्ट का निर्माण कर रहा होने की बात सामने आई है। इस प्रोजेक्ट में सहभागी होने के लिए चीन उत्सुक होने की जानकारी रशियन अधिकारियों ने दी। इससे पहले दक्षिण कोरिया ने भी इस प्रोजेक्ट में निवेश करने की तैयारी दर्शाई है, ऐसा रशिया द्वारा बताया गया।

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