ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था के लिए मंदी का खतरा अधिक – विश्लेषक एवं माध्यमों का दावा

लंदन – कुछ दिन पहले महंगाई का अभूतपूर्व उछाल दर्ज़ होने के बाद ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को नए झटके लगे हैं। उद्योग क्षेत्र की बढ़ोतरी एवं ग्राहकों की माँग वाले निर्देशांक की बड़ी गिरावट हुई है। ब्रिटीश बाज़ार में खुदरा बिक्री की मात्रा भी कम हुई है और नागरिकों को प्राप्त हो रही आय भी सबसे निचले स्तर पर पहुँचने की बात कही जा रही है। यह सभी मुद्दे ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को जल्द ही मंदी से नुकसान पहुँचेगा, ऐसे संकेत दे रहे हैं, यह विश्लेषक एवं माध्यमों का दावा है।

कुछ दिन पहले ब्रिटेन में महंगाई का स्तर चार दशकों के सबसे उपर पहुंचने की बात सामने आयी थी। महंगाई के इस उछाल के पीछे ब्रेक्ज़िट और रशिया-यूक्रेन युद्ध दोनों प्रमुख वजहें होने की बात स्पष्ट हुई थी। रशिया-यूक्रेन युद्ध के कारण ब्रिटेन में ईंधन, अनाज़, घरों की कीमतें उछाल पर हैं और आम नागरिकों को इससे सबसे ज्यादा नुकसान पहुँच रहा है। हर दिन इसकी तीव्रता बढ़ रही है और ब्रिटेन का उद्योग क्षेत्र भी इससे बच नहीं सका है, यह भी अब स्पष्ट हो रहा है।

महंगाई निर्देशांक के आँकड़ों के बाद ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था की स्थिति दर्शानेवाली नई रपट सामने आई है। इसमें ब्रिटीश उद्योगक्षेत्र के साथ खुदरा बिक्री, सामान की माँग, ग्राहकों की खर्च करने की शक्ति, नागरिकों की आय, इन सब पर असर होता दिख रहा है। उद्योग क्षेत्र की माँग और उत्पादन की बढ़ोतरी दर्शानेवाले निर्देशांकों की अब तक ५०.८ और ४९.६ प्रतिशत गिरावट हुई है। माँग में गिरगावट इस साल का निचांक होने की बात कही जा रही है। उत्पादन क्षेत्र का निर्देशांक पिछले दो सालों के सबसे निचले स्तर पर पहुँचा है।

ब्रिटेन में खुदरा बिक्री क्षेत्र में पिछले सात महीनों में चार प्रतिशत गिरावट आई है। बढ़ती महंगाई के कारण अनाज़ पर हो रहा खर्च हर महीने तकरीबन डेढ़ प्रतिशत कम हो रहा है। महंगाई बढ़ने की स्थिति में आम नगारिक के वेतन में ज्यादातर बढ़ोतरी नहीं हो रही है और इससे उनका आर्थिक नुकसान हो रहा है। नागरिकों को प्राप्त हो रहे पैसों की मात्रा कम हो रही है और अगले कुछ महीनों में यह और कम होगी, ऐसा अनुमान व्यक्त किया गया है। ‘जीएफके’ नामक कंपनी के सर्वेक्षण के अनुसार ‘कन्झ्युमर कॉन्फिडन्स’ की मायनस ४१ अंश तक गिरावट हुई है।

यह सभी मुद्दे ब्रिटेन की जनता को ‘कॉस्ट ऑफ लिविंग क्राइसिस’ और बाद में आर्थिक मंदी का सामना करना होगा, इसके संकेत दे रहे हैं, ऐसा विश्लेषकों का कहना है। सरकार महंगाई को रोकने के लिए उचित कदम नहीं उठा रही, ऐसी नाराज़गी की भावना तीव्र हो रही है, ऐसा दावा माध्यम कर रहे हैं। 

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