ब्रिटेन-चीन संबंधों का सूवर्णयूग खत्म हो गया – प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की चेतावनी

लंदन/बीजिंग – ‘ब्रिटेन को चीन के प्रति अपनी नीति बदलने चाहिए। ब्रिटेन-चीन संबंधों का सुवर्णयुग अब खत्म हो चुका है और इसके प्रति किसी के भी मन में आशंका नहीं रहनी चाहिये। व्यापार बढ़ाकर सामाजिक और राजनीतिक सुधार लाना संभव है, ऐसा भी मत सोचना। चीन ब्रिटेन के मूल्यों और हित के लिए बड़ी चुनौती है। चीन के कदम अधिकाधिक एकाधिकार हुकूमत की ओर बढते जा रहे हैं। प्रदर्शन कर रही अपनी जनता की आवाज़ सुनने के बजाय चीनी हुकूम उनके खिलाफ कार्रवाई कर रही है। बीबीसी के पत्रकार के खिलाफ भी चीन ने यही किया’, इन शब्दों में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने आनेवाले दिनों में इन दो देशों के ताल्लुकात पहले जैसे नहीं रहेंगे, यह इशारा दिया।

सोमवार को एक समारोह में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने विदेश नीति का बदलाव रेखांकित किया। यूक्रेन की सहायता, रशिया और चीन विरोधी आक्रामक भूमिका और इंडो-पैसिफिक का योगदान बढ़ाने पर हम अधिकाधिक जोर देंगे, यह प्रधानमंत्री सुनक ने इस दौरान स्पष्ट किया। ब्रिटेन की सरकार चीन संबंधी नीति में बदलाव कर रही है, परंतु शीतयुद्ध के दौर की तरह चरम भूमिका नहीं अपनाएगी, यह दावा उन्होंने किया। लेकिन, अन्य मित्रदेशों की सहायता और रणनीतिक निर्णय की बुनियाद पर चीन की चुनौती का मुकाबला करेंगे, यह ब्रिटीश प्रधानमंत्री ने दर्ज़ किया। ब्रिटन के प्रौद्योगिकी एवं परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में चीन का निवेष रद्द करने की जानकारी भी उन्होंने इस दौरान साझा की।

चीन संबंधी नीति में बदलाव करने के अलावा इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के देशों से सहयोग बढ़ाया जाएगा, ऐसे स्पष्ट संकेत प्रधानमंत्री सुनक ने दिए। इसमें भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता करने के साथ ही इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे देशों के साथ बढ़ रहे सहयोग का ज़िक्र भी ब्रिटीश प्रधानमंत्री ने किया। पिछले दो दशकों में ब्रिटेन ने चीन के साथ व्यापारी और निवेशसंबंधी सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया था। ब्रिटेन के नेतृत्व का रुख चीन की ओर करके निर्णय लिए गए थे। यह दौरान ब्रिटेन और चीन के संबंधों का सूवर्णयूग होने का बयान ब्रिटेन एवं चीन के नेताओं ने किया था।

लेकिन, कोरोना की महामारी, हाँगकाँग की सुरक्षा, कानून और कार्रवाई, झिंजियांग जैसे मुद्दों पर ब्रिटेन और चीन के बीच लगातार विवाद होने लगे थे। ब्रिटेन ने चीनी निवेश संबंधित लिए निर्णयों पर भी चीन ने नाराज़गी जताकर संबंधों पर असर पडेगा, यह इशारा दिया था। प्रधानमंत्री सुनक के बयान से दो देशों के अच्छे संबंधों का अन्त होने के दावे की पुष्टि होती है। इस वजह से अगले दिनों में दो देशों के बीच राजनीतिक संघर्ष अधिक तीव्र होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

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