भविष्यकालीन महामारियों के खिलाफ लड़ने के लिए ‘ग्लोबल रिसेट’ आवश्यक – जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्री का आवाहन

global-resetबर्लिन/वॉशिंग्टन – भविष्यकालीन सांक्रमिक बीमारियाँ और उनसे निर्माण होनेवाले खतरे, इस बारे में जागतिक स्तर पर रहनेवाली सिद्धता अपर्याप्त है और इस संदर्भ में पुनः जड़ से नए से संरचना निर्माण करनी पड़ेगी, ऐसा आवाहन जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्री जेन्स स्पॅहन ने किया। बुधवार को संपन्न हुई ‘वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनायझेशन’ (डब्ल्यूएचओ) की बैठक में स्पॅहन ने यह आवाहन किया। ‘डब्ल्यूएचओ’ की पहल से जर्मनी में, भविष्यकालीन संक्रमणों और बीमारियों का संशोधन करनेवाला केंद्र बनाया जा रहा है। इस पृष्ठभूमि पर जर्मन स्वास्थ्य मंत्री ने किया आवाहन गौरतलब साबित होता है।

सन २०१९ के अंत में चीन से शुरू हुई कोरोना की महामारी ने दुनियाभर में हाहाकार मचाया होकर, अभी भी उसका फैलाव तेज़ी से जारी है। दुनियाभर में १५ करोड़ से अधिक कोरोना के मरीज़ पाए गए होकर, मृतकों की संख्या ३२ लाख तक पहुँच गई है। दुनियाभर के कई प्रमुख देशों में इस महामारी की दूसरी और तीसरी लहर आई है। कोरोनावायरस के नए-नए ‘स्ट्रेन’ विकसित हो रहे होकर, उससे अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर चिंता का माहौल निर्माण हुआ है। महामारी के शुरुआती दौर में उसके फैलाव के बारे में जताए गए अनुमान तथा उसका मुकाबला करने के लिए किए गए फैसले और बनाई गई योजनाएँ नाकाम हुईं दिख रहीं हैं।

global-resetइस पृष्ठभूमि पर, ‘डब्ल्यूएचओ’ द्वारा जर्मनी में स्थापित किया जानेवाला नया केंद्र अहम माना जाता है। यह केंद्र आनेवाले वर्ष के अंत से कार्यरत होने के संकेत बुधवार की बैठक में दिए गए हैं। इस बैठक में जर्मन स्वास्थ्य मंत्री के साथ ही ‘डब्ल्यूएचओ’ के प्रमुख टेड्रॉस घेब्रेस्युएस भी उपस्थित थे। इस समय जर्मन स्वास्थ्य मंत्री ने नई महामारियों के बारे में चेतावनी देते समय, अब भविष्यकालीन खतरों का मुकाबला करने का समय आया है, यह भी डटकर कहा। अब तक विभिन्न संक्रमणों का फैलाव न हुए इलाकों में नई बीमारियाँ फैल सकतीं हैं, ऐसा दावा भी स्वास्थ्य मंत्री स्पॅहन ने किया। ‘डब्ल्यूएचओ’ के प्रमुख ने भी उसकी पुष्टि की होकर, नई बीमारियाँ और संक्रमण फैलानेवाले वायरस सामने आने की संभावना है, ऐसा कहा है।

इसी बीच, ‘डब्ल्यूएचओ’ के वरिष्ठ सलाहकार जेमी मेट्झल ने कोरोना के मुद्दे पर चीन की जोरदार आलोचना की है। चीन ने अगर कोरोना के संदर्भ में सभी स्रोत और जानकारी शुरू से ही उपलब्ध करा दी होती, तो चंद कुछ महीनों में ही महामारी का मूल सामने आ जाता, ऐसी आलोचना मेट्झल ने की। मेट्झल ने कुछ ही दिन पहले वरिष्ठ विशेषज्ञों की सहायता से ‘डब्ल्यूएचओ’ को खुला पत्र लिखा होकर, उसमें कोरोना के संदर्भ में सभी संभावनाओं की पूरी जांच की जाए, ऐसी आग्रही माँग की है। इस संदर्भ में एक इंटरव्यू में बात करते समय उन्होंने चीन की आलोचना की।

global-resetइसी दौरान, कोरोना महामारी के दौर में जागतिक अर्थव्यवस्था को बड़े झटके लगने की जानकारी सामने आ रही है। ‘ऑर्गनायझेशन फॉर इकॉनॉमिक कोऑपरेशन ऍण्ड डेव्हलपमेंट’ (ओईसीडी) इस गुट ने, जागतिक निवेश में पूरे ३८ प्रतिशत से गिरावट होने की जानकारी दी। सन २०२० में दुनियाभर में केवल ८४६ अरब डॉलर इतना ही विदेशी निवेश किया गया। यह निवेश अन्तर्राष्ट्रीय जीडीपी का केवल १ प्रतिशत होकर, सन १९९९ के बाद हुए निवेश का यह निम्नतम स्तर है, ऐसा ‘ओईसीडी’ ने कहा है। युरोपीय महासंघ में होनेवाले विदेशी निवेश में लगभग ७० प्रतिशत की गिरावट आई होने की बात भी ‘ओईसीडी’ की रिपोर्ट में दर्ज की गई है।

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