बोस्निया में जर्मनी नए से सेना की तैनाती करेगा

बर्लिन – यूक्रेन युद्ध की वजह से बाल्कन देशों में अस्थिरता निर्माण होगी, ऐसी संभावना युरोपीय देश व्यक्त कर रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर बाल्कन देशों की सुव्यवस्था के लिए जर्मनी ने बोस्निया में नए से सेना तैनात करने का ऐलान किया। युरोपीय महासंघ की शांति मुहिम के तहत यह तैनाती की जाएगी। इस वजह से दस सालों बाद जर्मनी के सैनिक बोस्निया में फिर से तैनात होंगे।

पिछली सदी के अन्त के दशक में युरोप में ‘रिपब्लिक ऑफ युगोस्लाविया’ का विघटन हुआ था। इसके बाद शुरू हुए संघर्ष के दौरान करीबन एक लाख लोग मारे गए। इस संघर्ष से सात देशों का निर्माण हुआ था। इनमें क्रोएशिया, स्लोवेनिया, सर्बिया, नॉर्थ मैसिडोनिया, बोस्निया ऍण्ड हर्झेगोविना, माँटेनेग्रो और कोसोवा का समावेश है। भौगोलिक नज़रिए से युरोप की आग्नेय ओर स्थित बाल्कन के पहाड़ों में समाए इन देशों को ‘बाल्कन देश’ के रूप में जाना जाता है।

इनमें से बोस्निया या बोस्निया ऍण्ड हर्झेगोविना देश में पिछले कई सालों में तनाव बना है। १९९० के दशक में स्वतंत्रता प्राप्त होने के साथ ही, बोस्निया में लगातार वांशिक हिंसा हो रही थी। ‘बोस्नियन’, ‘सर्बियन’ और ‘क्रोएटस्‌’ का लगातार संघर्ष होता देखा गया था। कुछ महीनें पहले बोस्निया में ‘रिपब्लिका सपर्स्का’ प्रांत को स्वतंत्र देश बनाने की माँग भी हुई थी।

बोस्निया के अलगाववादियों को बल प्राप्त हुआ, तो इस देश में फिर से जंग शुरू हो सकती हैं, ऐसी चेतावनी युरोप के विश्‍लेषकों ने पहले ही दी थी। वांशिक हिंसा से परेशान रहें इस देश में सुव्यवस्था बनाए रखने के लिए, शुरू में नाटो ने सेना तैनात की थी। २००४ में युरोपीय महासंघ ने बोस्निया में शांति मुहिम शुरू की थी। इसमें जर्मनी की सेना का भी समावेश था। लेकिन, साल २०१२ में जर्मनी ने बोस्निया से अपने सैनिकों को वापस बुलाया था।

लेकिन, पिछले कुछ महीनों से यूक्रेन में हो रही गतिविधियों का हवाला देकर जर्मनी ने बोस्निया में नए से अपने सैनिकों की तैनाती करने का ऐलान किया। यूक्रेन युद्ध के कारण बोस्निया में अस्थिरता निर्माण हो सकती है, ऐसा दावा करके जर्मनी ने बोस्निया में ५० सैनिक भेजने की बात स्पष्ट की। हालाँकि यह संख्या बड़ी नहीं हैं, फिर भी इस तैनाती के ज़रिये जर्मनी ने बोस्निया की स्थिति पर अपनी नज़र होने का संदेश दिया हैं। साथ ही, बोस्निया की अस्थिरता का असर हमारें देश पर ना हों इसके लिए सेना तैनाती करने से भी जर्मनी हिचकिचाएगा नहीं, यही बात जर्मनी इस माध्यम से दर्शा रहा हैं। इस वजह से ५० सैनिकों की यह तैनाती जर्मनी ने सावधानी से तय की हुई नीति का हिस्सा बनता है।

बोस्निया की यह तैनाती एक साल के लिए होगी, ऐसा जर्मन सरकार ने कहा है। बोस्निया की स्थिरता जर्मनी के लिए काफी अहम साबित होती है, ऐसा दावा जर्मनी ने किया है।

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