जर्मन यंत्रणाओं से अरब अपराधी गुटों के विरोध में आक्रामक कार्रवाई शुरू

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बर्लिन – जर्मन जनता के बढते दबाव की पृष्ठभुमि पर शनिवार के दिन जर्मन यंत्रणाओं ने देश में अरब गुनाहगार गुटों के विरोध में कार्रवाई करना शुरू किया| जर्मनी के ‘नॉर्थ र्‍हाईन वेस्टफॅलिआ’ प्रांत से इस कार्रवाई की शुरूआत हुई है और लगभग छह शहरों में एक ही समय में छापे किए गए, यह जानकारी सूत्रों ने दी| जर्मनी की सियासी नेतृत्व ने नजरअंदाज करने से आज तक सुरक्षा यंत्रणाओं ने ऐसी कार्रवाई की ओर ध्यान नही दिया था| लेकिन पिछले कुछ महीनों से बाहर से जर्मनी में पहुंची गुनाहगारों के विरोध में जनता में तीव्र असंतोष निर्माण होने से सरकार इस ओर ध्यान देने के लिए विवश हुई है, यही इस कार्रवाई से सामने आ रहा है|

जर्मनी की वायव्य हिस्से में ‘नॉर्थ र्‍हाईन वेस्टफॅलिआ’ प्रांत में डॉर्टमंड, एसेन, ड्युईसबर्ग, बोकम, रेकलिंघोसेन और गेल्सेनकिर्शन इन शहरों में एक ही समय में कार्रवाई की शुरूआत हुई| इन शहरों में अरब गुनाहगार गुटों के अड्डे और उनके कई व्यावसायिक उद्योगों पर छापे किए गए, यह जानकारी संबंधीत विभाग के अधिकारी ने दी|

शनिवार के दिन शुरू हुई इस कार्रवाई में लगभग १,३०० पुलिस शामिल हुए थे और इसके अलावा कस्टम, अग्निशामक दल, कर विभाग के अधिकारी शामिल थे| एसेन के साथ अन्य शहरों में संदिग्धों को गिरफ्त में लिया गया है, यह दावे हो रहे है| लेकिन, इसपर अभी पुख्ता समर्थन प्राप्त नही हुआ है| सोशल मीडिया पर इस कार्रवाई की जानकारी दी गई और इसके लिए ‘झीरो टॉलरन्स’ यह हॅशटॅग भी इस्तेमाल किया गया है|

खाडी क्षेत्र के कई देशों से पहुंचे परिवारों ने जर्मनी में अपने गुट बनाए है और ऐसे २० से अधिक गुट कार्यरत होने की बात कही जा रही है| ऐसे हर एक गुट में लगभग ५०० लोग सदस्य है और गुनाहगारों की संख्या १० हजार के करीब होने की बात मानी जाती है| नशीले पदार्थों का व्यापार, डकैती, अवैध तस्करी के साथ राजधानी में हो रहे अधिकांश हिंसक गुनाहों के पिछे इन्हीं गुटों का हाथ होने की बात स्पष्ट हुई है|

पिछले वर्ष में जर्मनी में घुसपैठ किए अवैध शरणार्थियों को इन गुटों ने बडी मात्रा में शरण दी है और इनमें कुछ संदिग्ध आतंकियों का भी समावेश है| पिछले वर्ष में जर्मन पुलिस ने एक रपट में अरब गुटों के सदस्य देश की सुरक्षा यंत्रणा में घुसपैठ कर रहे है, यह आरोप भी किया था|

अबतक जर्मन चान्सेलर एंजला मर्केल इन्होंने देश के शरणार्थियों को नही दुखाने की नीति अपनाई थी| लेकिन शरणार्थियों की घुसपैठ, आतंकी हमले, गुनाहों में हुई बढोतरी से जर्मन जनता में लगातार असंतोष बढ रहा है| इस बढते असंतोष का झटका चान्सेलर मर्केल और सत्तारूढ हुकूमत को लगा है और दक्षिणी एवं राष्ट्रवादी गुटों का जर्मनी में प्रभाव बढना शुरू हुआ है| इस वजह से मर्केल इन्हें जर्मन जनता का असंतोष कम करने के लिए कई प्रावधान करना पडा है और अरब गुनाहगारों के गुटों के विरोध में हुई कार्रवाई भी इसी का एक हिस्सा माना जा रहा है|

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