‘जी ७’ रशिया के ईंधन की कीमतें नियंत्रित रखने की क्षमता नहीं रखता – ‘वर्ल्ड बैंक’ का दावा

वॉशिंग्टन/मास्को –  रशियन ईंधन की कीमतों पर मर्यादा लगाने की क्षमता ‘जी ७’ गुट के देश नहीं रखते और इसके लिए अधिक से अधिक देशों का योगदान ज़रूरी हैं, ऐसा दावा ‘वर्ल्ड बैंक’ ने किया है। ईंधन के कीमतों पर इस तरह से काबू में रखने की तकनीक अबतक इस्तेमाल नहीं हुई हैं और इसमें काफी बड़े खतरें होने की चेतावनी ‘वर्ल्ड बैंक’ की रपट मे दी गई है। ‘वर्ल्ड बैंक’ के रपट की पृष्ठभूमि पर यूरोप के प्रमुख ईंधन उत्पादक देश नॉर्वे ने भी रशियन ईंधन की कीमत पर मर्यादा लगाने के प्रस्ताव का विरोध किया है। ऐसी योजना के कारण यूरोप में ईंधन संकट अधिक तीव्र होगा, यह चेतावनी भी नॉर्वे के ईंधन मंत्रालय ने दी।

‘वर्ल्ड बैंक’रशिया-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पश्चिमी देशों ने रशिया पर भारी मात्रा में प्रतिबंध लगाए थे। रशिया के ईंधन क्षेत्र को भी इसमे लक्ष्य किया गया था। लेकिन, इन प्रतिबंधों के बावजूद रशिया की ईंधन निर्यात और इससे प्राप्त आय बरकरार दिखाई दी। इस वजह से विश्व के प्रगत देश के तौर पर जाने जा रहें ‘जी ७’ देशों ने रशियन ईंधन की कीमतों पर मर्यादा लगाने का प्रस्ताव पारित किया। लेकिन, इसका कार्यान्वयन अभी शुरू नहीं हुआ है। यूरोपिय महासंघ ने ‘जी ७’ के प्रस्ताव का समर्थन किया हो, फिर भी महासंघ में इससे जुड़ा प्रस्ताव पारित नहीं हो सका हैं।

‘वर्ल्ड बैंक’ऐसी स्थिति में वर्ल्ड बैंक जैसीं शीर्ष वित्तसंस्था ने भी ‘जी ७’ के प्रस्ताव पर सवाल करना ध्यान आकर्िषत कर रहा हैं। वर्ल्ड बैंक ने अपनी रपट मे यह दावा किया है कि, सीर्फ ‘जी ७’ गुट रशियन ईंधन पर ‘प्राईस कैप’ लगाने की योजना कामयाब नहीं हो सकती। यह योजना सफल होने के लिए उभरती अर्थव्यवस्थाओं के साथ अधिक से अधिक देशों का योगदान ज़रूरी हैं, ऐसा विचार वर्ल्ड बैंक ने रखा हैं। वर्ल्ड बैंक के साथ ही अब नॉर्वे ने भी इस प्रस्ताव का विरोध किया है। प्राईस कैप के कारण रशियन ईंधन की सप्लाई पर असर होगा और यूरोप का ईंधन संकट अधिक गंभीर होगा, ऐसी चेतावनी नॉर्वे ने दी है।

इसी बीच, अमरीका के कई शहरों में डीज़ल की किल्लत महसूस होने लगी हैं और देश में सीर्फ २५ दिनों के लिए पर्याप्त मात्रा में ही ईंधन भंड़ार शेष होने का वृत्त माध्यमों ने दिया है।

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