‘जी २०’ के सदस्य देश भारतीय अर्थव्यवस्था प्रेरित हो – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

बेंगलुरू – बर्दाश्त करना नामुमकिन हो इतने ऋण का अव्यवहार्य भार कुछ देशों पर बना है और यह विश्व के सामने खड़ी काफी बड़ी समस्या बनती है। अंतरराष्ट्रीय वित्तसंस्थाओं का अविश्वास इसके लिए कुछ हद तक ज़िम्मेदार है। क्यों कि, यह अंतरराष्ट्रीय वित्तसंस्थाए ही सुधार अपनाने का काम काफी धीमी गति से कर रही हैं, ऐसा इशारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया। बेंगलुरू में शुरू ‘जी २०’ परिषद के सदस्य देशों के वित्त मंत्री एवं केंद्रीय बैंक के गवर्नरों को संबोधित करते हुए भारत के प्रधानमंत्री ने यह चेतावनी दी। साथ ही ‘जी २०’ देश भारतीय अर्थव्यवस्था से प्रेरित होकर वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिरता, विश्वास और विकास की गाड़ी पटरी पर लाने की कोशिश कर सकेंगे, यह दावा प्रधानमंत्री ने किया।

‘जी २०’कोरोना की महामारी और बाद में सप्लाइ चेन बाधित होने से कई देशों के सामने गंभीर आर्थिक समस्याएं खड़ी हुई है। इस वजह से इन देशों को प्रचंड़ मात्रा में ऋण प्राप्त करके अपनी समस्याओं का हल निकालना पड़ा था। लेकिन, अब इस ऋण का भार बर्दाश्त होने से आगे गया है। यह ऋण अब अव्यवहार के स्तर पर जा पहुंचा है और यह विश्व के सामने खड़ी हुई बड़ी गंभीर समस्या बनती है, इसका अहसास प्रधानमंत्री ने इस परिषद में कराया। ऐसी स्थिति में विश्व के पहली २० अर्थव्यवस्थाओं का समावेश होने वाले ‘जी २०’ का ज़िम्मा अधिक बढ़ा है। बढ़ते ऋण के भार की समस्या का हल निकालना उतना आसान नहीं होगा। लेकिन, एकजूट के साथ इस समस्या को दूर करने की कोशिश हमें साथ मिलकर करनी होगी, ऐसा बयान प्रधानमंत्री मोदी ने किया।

देशों को ऋणमुक्त करके इस संकट को दूर करने के लिए अंतरराष्ट्रीय बैंकों को अधिक मज़बूत करना होगा और इसके ज़रिये उचित दिशा में कदम बढ़ाकर इस समस्या का खत्म करना मुमकिन होगा, ऐसा दावा प्रधानमंत्री ने किया। साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था से अन्य देश प्रेरणा लेना संभव है, ऐसा विश्वास प्रधानमंत्री ने व्यक्त किया। भारत ने आत्मविश्वास के साथ सर्वसमावेशक आर्थिक नीति अपनाकर एवं जनसमावेश को प्राथमिकता देकर अपनी आर्थिक समस्याओं का हल निकालने की कोशिश की। भारतीय ग्राहक और उत्पादक आशावादी एवं अपने भविष्य को लेकर बड़ा आत्मविश्वास रखकर हैं। यह आत्मविश्वास वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी निर्माण कर सकते हैं। इसके लिए जनसमावेश बढ़ाना होगा। विश्व का भरोसा जीतना हैं तो सर्वसमावेश नीति अपनानी होगी। साथ ही अंतरराष्ट्रीय वित्तसंस्थाओं को इसके लिए आवश्यक बदलाव करने होंगे, इसपर प्रधानमंत्री ने ध्यान आकर्षित किया।

इसके साथ ही वैश्विक अर्थनीति में तकनीक का इस्तेमाल बढ़ा है और भारत ने कोरोना महामारी के दौरान भी डिजिटल पेमेंट को सबसे ज्यादा अहमियत दी और इससे देश को काफी बड़ा लाभ प्राप्त हुआ, इसकी याद प्रधानमंत्री ने ताज़ा की। साथ ही वैश्विक अर्थनीति में तकनीका का विघातक नहीं, बल्कि विधायक इस्तेमाल हो, यह उम्मीद प्रधानमंत्री ने व्यक्त की। 

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