पाकिस्तान के पूर्व तानाशाह परवेज़ मुशर्रफ का निधन

नई दिल्ली – पाकिस्तान के पूर्व तानाशाह जनरल परवेज़ मुशर्रफ का दुबई में लंबी बिमारी से निधन हुआ। साल १९९९ में भारत-पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध छेडना मुशर्रफ की ही साज़िश थी। लेकिन, बाद में पाकिस्तान को स्थिरता के लिए भारत से अच्छे ताल्लुकात रखने के अलावा अन्य विकल्प नहीं है, इसका ज्ञान मुशर्रफ को हुआ, ऐसे दावे किए जा रहे हैं। इसकी वजह से उन्होंने आखरी समय में भारत के साथ ताल्लुकात सुधार ने की कोशिश की थी।

पाकिस्तान के पूर्व तानाशाह पिछले कई महीनों से अस्पताल में दाखिल थे। वे ‘अमयालोइडसिस’ नामक बड़ी गंभीर बिमारी से पीडित थे। इस बिमारी में शरीर का एक-एक पुर्जा नाकाम होता जाता है। मुशर्रफ के निधन की खबरें पहले भी फैली थीं। पर, वे अफवाहे थीं। लेकिन रविवार को उन्होंने उम्र के ७९ वर्ष में आखरी सांस ली।

साल १९९९ में भूतपूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ की सरकार का तख्तापलटकर जनरल मुशर्रफ ने पाकिस्तान की बागड़ोर हथियाई थी। तब पाकिस्तान के सेनाप्रमुख मुशर्रर और प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ के बीच कारगिल युद्ध के मुद्दे पर मतभेद निर्माण हुए थे। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ को अंधेरे में रखकर मुशर्रफ ने कारगिल युद्ध करवाया था।

जम्मू-कश्मीर के कारगिल में आतंकवादियों के भेस में पाकिस्तानी सैनिकों ने घुसपैठ की थी और कारगिल में कुछ अहम पहाड़ियों पर कब्ज़ा किया था। यह बात सामने आते ही भारत और पाकिस्तान में युद्ध छिड़ा था। इस युद्ध में पाकिस्तान की बड़ी मात दी गई थी। इसके बाद पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन हुआ था। तब प्रधानमंत्री शरीफ ने जनरल परवेज़ मुशर्रफ का विमान उतारने की अनुमति न देकर उन्हें मारने की साज़िश रचि, ऐसा आरोप स्वयं मुशर्रफ ने लगाया था। इसके बाद साल २००८ तक जनरल मुशर्रफ पाकिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष बने रहे।

साल २००८ में सत्ता छोड़ने के लिए मज़बूर किए जाने के बाद मुशर्रफ ने पाकिस्तान में अपना राजनीतिक दल भी स्थापित किया था। लेकिन, वे सफल नहीं हुए। साथ ही एक मामले में अदालत ने मुशर्रफ को फांसी की सज़ा सुनाई थी। इसके बाद मुशर्रफ देश छोड़कर भाग गए थे।

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