विदेशमंत्री एस.जयशंकर चीन की यात्रा पर

बीजिंग – भारत के विदेशमंत्री एस.जयशंकर चीन की राजधानी बीजिंग में दाखिल हुए है| भारत ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देनेवाली धारा-३७० रद्द करने के बाद विदेशमंत्री जयशंकर की इस चीन यात्रा को काफी बडी राजनयिक और सामरिक अहमियत प्राप्त हुई है| इससे पहले पाकिस्तान के विदेशमंत्री शाह महमूद कुरेशी ने चीन की यात्रा करके कश्मीर समस्या के विषय में भारत के विरोध में चीन की सहायता प्राप्त करने की कोशिश की थी| इसपर चीन ने प्रतिसाद दिया नही है फिर भी कुरेशी ने अपनी यह चीन यात्रा कामयाब साबित होने के दावे किए है| लेकिन, चीन ने धारा ३७० हटाने के भारत के निर्णय के विरोध में एक भी विधान किया नही है, इस ओर पाकिस्तान के विश्‍लेषक ध्यान आकर्षित कर रहे है|

तय कार्यक्रम के नुसार विदेशमंत्री जयशंकर चीन में तीन दिनों की यात्रा के लिए पहुंचे है| इस यात्रा से पहले भारत ने चीन यह अपना अहम भागीदार देश होने का ऐलान किया था| चीन ने भी पाकिस्तान के पक्ष में भूमिका लिए बिना कश्मीर समस्या पर द्विपक्षीय बातचीत से हल निकालने की मांग की थी| ऐसा करके चीन ने पाकिस्तान को बडा झटका दिया है, यही चर्चा पाकिस्तान के माध्यमों में शुरू हुई है| धारा ३७० संबंधी भारत ने किए निर्णय के विरोध में चीन ने भूमिका नही रखी है| सिर्फ लद्दाख और अक्साई चीन संबंधी भारत ने किए दावों पर चीन ने आपत्ति जताई है, इस ओर पाकिस्तान के विपक्षी नेता और विश्‍लेषक ध्यान आकर्षित कर रहे है| इस वजह से पाकिस्तान के विदेशमंत्री को अपनी सरकार का बचाव करने के लिए अपनी यह चीन यात्रा कामयाब होने के दावे करने पडे है|

इस पृष्ठभूमि पर भारत के विदेशमंत्री की चीन यात्रा ध्यान आकर्षित कर रही है| इस यात्रा में भारत और चीन के व्यापार में संतुलन एवं चीन की निवेष के लिए खास कोशिश करने के संकेत दिए गए है| भारत और चीन में वार्षिक द्विपक्षीय व्यापार ९५.५ अरब डॉलर्स तक बढा है और इस व्यापार में भारत को ५७ अरब डॉलर्स का नुकसान उठाना पड रहा है|

यह नुकसान कम करने के लिए चीन अपना भाजार भारत के लिए खुला करें और व्यापारी अवसर भी प्रदान करें, यह मांग भारत कर रहा है| भारत के आईटी, दंवाईयां एवं कृषि उत्पादों के लिए चीन अपना बाजार खुला करें यह मांग विदेशमंत्री जयशंकर रखेंगे, यह कहा जा रहा है|

इस दौरान, भारत के विदेशमंत्री की इस यात्रा से पहले चीन और पाकिस्तान के संबंध पहले की तरह ना रहने के संकेत प्राप्त हो रहे है| चीन यह अपना नजदिकी मित्रदेश है, यह कहनेवाले चीन ने धारा ३७० के मुद्दे पर पाकिस्तान की उम्मीद के नुसार प्रतिक्रिया दर्ज नही की है| इसका कारण पाकिस्तान ने दोनों देशों की ‘सीपीईसी-चाइना पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडॉर’ परियोजना रद्द की है, यह होने का दावा पाकिस्तानी विश्‍लेषक कर रहे है| अमरिका के दबाव में पाकिस्तान ने यह निर्णय किया है और पिछले कुछ महीनों से चीन ने ‘सीपीईसी’ परियोजना के तहेत पाकिस्तान में होनेवाला निवेष बंद करने की बात स्पष्ट हुई है|

साथ ही पाकिस्तान की सरकार ने अमरिका के साथ संबंध सुधारने की कोशिश शुरू करना चीन को मंजूर नही है| इसका असर चीन-पाकिस्तान संबंधों पर हो रहा है और इसीलिए चीन ने धारा ३७० के मामले में पाकिस्तान का पक्ष नही लिया है, यह दावे पाकिस्तान के विपक्षी नेता कर रहे है| प्रधानमंत्री इम्रान खान की सरकार ने की हुई यह बडी गलती साबित होगी और अगले दिनों में पाकिस्तान को चीन से भी मदद नही मिलेगी, यह चिंता कुछ विश्‍लेषकों ने व्यक्त की है|विदेशमंत्री एस.जयशंकर चीन की यात्रा पर

Leave a Reply

Your email address will not be published.