फिनलैंड द्वारा नाटो में प्रवेश संबंधित घोषणा – तुर्की का फिनलैंड और स्वीडन की नाटो सदस्यता के लिए कड़ा विरोध

Finland-NATOहेलसिंकी/इस्तंबूल – फिनलैंड के राष्ट्राध्यक्ष सॉली निनिस्तो और प्रधानमंत्री सना मरिन ने रविवार को, अपना देश नाटो की सदस्यता के लिए आवेदन करनेवाला होने की अधिकृत घोषणा की। फिनिश संसद की मान्यता के बाद अगले हफ्ते यह आवेदन दाखिल किया जाएगा, ऐसा इस समय बताया गया। रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन ने दी चेतावनी के बावजूद भी फिनलैंड ने नाटो में सहभागी होने के संदर्भ में किया फैसला, युरोप में संभाव्य संघर्ष और स्थिरता को निमंत्रण देनेवाला साबित होगा, ऐसा दावा विश्लेषक कर रहे हैं। इसी बीच, फिनलैंड तथा स्वीडन ने नाटो में प्रवेश करने के लिए तुर्की ने ज़ोरदार विरोध दर्शाया है। तुर्की दोनों देशों के समावेश के लिए सकारात्मक नहीं है, ऐसी स्पष्ट चेतावनी तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष रेसेप एर्दोगन ने दी।

Russian-Map-scaled‘फिनलैंड के राष्ट्राध्यक्ष और सरकार के विदेश नीति समिति ने एकत्रित रूप में नाटो की सदस्यता के लिए आवेदन करने का फ़ैसला किया है। यह ऐतिहासिक दिवस है और एक नये पर्व की शुरुआत हो रही है’, इन शब्दों में राष्ट्राध्यक्ष निनिस्तो ने नाटो प्रवेश के मामले में घोषणा की। आनेवाले कुछ ही दिनों में फिनलैंड की संसद नाटो सदस्यता के फ़ैसले का समर्थन करनेवाला प्रस्ताव पारित करेगी, ऐसा यक़ीन प्रधानमंत्री सना मरिन ने इस समय दिलाया।

फिनलैंड सरकार ने की हुई घोषणा यह इस देश की नीति में एक बड़ा और निर्णायक परिवर्तन होने की बात बताई जाती है। पिछले 75 साल फिनलैंड ने लष्करी दृष्टि से गुटनिरपेक्षतावाद की नीति अपनाई थी। नाटो में प्रवेश करने के फ़ैसले से यही दिख रहा है कि इस देश ने इस नीति से पूरी तरह किनारा किया है। रविवार को नाटो के संदर्भ में ऐलान करने से पहले राष्ट्राध्यक्ष निनिस्तो ने शनिवार को रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन के साथ चर्चा की थी। इस समय पुतिन ने, नाटो में प्रवेश करना यह सबसे बड़ी ग़लती साबित होगी, ऐसी स्पष्ट चेतावनी दी थी। लेकिन उसके बावजूद भी फिनलैंड ने की हुई यह घोषणा युरोप की सुरक्षा एवं स्थिरता पर दीर्घकालीन असर करनेवाली साबित होगी, ऐसा दावा विश्लेषक कर रहे हैं।

Erdogan-NATO-scaledइसी बीच, नाटो का अग्रसर सदस्य देश होनेवाले तुर्की ने फिनलैंड तथा स्वीडेन के नाटो में प्रवेश का तीव्र विरोध किया है। ‘फिनलैंड तथा स्वीडेन को नाटो की सदस्यता देने के मामले में तुर्की का मत सकारात्मक नहीं है। ये दोनों देश आतंकवादियों को पनाह देनेवाले हैं। कुछ देशों में आतंकवादी सांसद भी बन चुके हैं। ऐसे देशों को तुर्की ने समर्थन देने की उम्मीद ना रखें’, ऐसे स्पष्ट शब्दों में राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने फिनलैंड तथा स्वीडेन इन देशों की नाटो सदस्यता को विरोध दर्शाया। इस समय राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने, सन 1952 में ग्रीस को नाटो की सदस्यता दिलाना यह भी ग़लती ही होने का दोषारोपण भी किया।

नाटो के अग्रसर देश होनेवाले ब्रिटेन तथा जर्मनी ने फिनलैंड और स्वीडेन को नाटो के सदस्य बनाने की प्रक्रिया ‘फास्ट-ट्रैक’ करने के संकेत दिये हैं। लेकिन तुर्की का विरोध इसमें बड़ा रोड़ा बन सकता है। तुर्की ने हालाँकि रशिया-युक्रेन युद्ध में रशिया की आलोचना की है, फिर भी उसके विरोध में आक्रामक भूमिका अपनाना तथा प्रतिबंध लगाना टाला है। उल्टे दोनों देशों के बीच मध्यस्थता करने के लगातार प्रयास  किये हैं। इस पृष्ठभूमि पर, फिनलैंड और स्वीडन को तुर्की ने किया विरोध ग़ौरतलब साबित होता है। युरोप के कुछ देशों ने युक्रेन को नाटो की सदस्यता दिलाने के संदर्भ में भी नकारात्मक भूमिका अपनाने की बात सामने आयी थी।

इसी बीच, रशिया-युक्रेन युद्ध में रशियन सेनाओं को खार्किव्ह शहर छोड़कर भागने के लिए मजबूर किया होने का दावा युक्रेन द्वारा किया गया है। रशिया ने इसकी पुष्टि नहीं की है।

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