चीन ने ऐलान करने से कम से कम दो हफ्ते पहले कोरोना की महामारी शुरू हुई – अमरिकी वैज्ञानिक का दावा

वॉशिंग्टन/बीजिंग – चीन की हुकूमत ने ‘वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन’ (डब्ल्यूएचओ) समेत पूरे विश्‍व को जानकारी देने से कम से कम १५ दिन पहले ही हमें वुहान में कोरोना की महामारी का फैलाव शुरू होने की जानकारी मिली थी, ऐसा सनसनीखेज दावा नामांकित अमरिकी वैज्ञानिक इयान लिपकिन ने किया है। कोलंबिया युनिवर्सिटी के प्राध्यापक लिपकिन को ‘सार्स’ संबंधित शोधकार्य करने की उपलब्धी पर कुछ वर्ष पहले चीन ने ही सम्मानित किया था। इस वजह से लिपकिन का बयान चीन की हुकूमत के लिए करारा तमाचा साबित हुआ है।

कोरोना की महामारीस्पाईक ली निर्देशित एक वृत्तचित्र में प्राध्यापक लिपकिन ने यह बयान किया कि, हमें वुहान की नई महामारी की जानकारी १५ दिसंबर के दिन ही मिली थी। चीन की स्वास्थ्य प्रणाली एवं सरकार में मौजूद कुछ मित्रों की सहायता से हम कोरोना की महामारी की जानकारी प्राप्त कर रहे थे, ऐसा लिपकिन ने कहा। चीन की ग्वांगझाऊ युनिवर्सिटी के शोधकर्ता लु जिआहाई ने हमें कोरोना संक्रमण से संबंधित समय समय पर जानकारी प्रदान की, यह दावा भी अमरिकी वैज्ञानिक ने किया।

प्राध्यापक लिपकिन ने वर्ष २०२० में चीन की यात्रा करके कोरोना संक्रमण से जुड़ी जानकारी भी प्राप्त की थी। चीन से लौट आने के बाद लिपकिन भी कोरोना संक्रमित हुए थे। शुरू के दिनों में उन्होंने यह संक्रमण वुहान लैब से शुरू हुआ होगा, इस दावे का स्पष्ट विरोध किया था। साथ ही चीन ने कोरोना के खिलाफ किए प्रावधानों की भी उन्होंने सराहना की थी। लेकिन, वुहान लैब के कुछ प्रयोगों की जानकारी पाने के बाद उन्होंने अपनी भूमिका में बदलाव किया था।

कोरोना की महामारीचीन के वैज्ञानिकों के साथ लगभग दो दशक काम करने का तजुर्बे के अलावा चीनी हुकूमत से सम्मानित हुए वैज्ञानिक ने ही चीन का झूठ सामने लाने से चीन फिर से मुश्‍किल में घिरता जा रहा है। बीते कुछ महीनों में कोरोना की महामारी चीन के वुहान लैब से ही शुरू हुई और चीन ने इसकी जानकारी देने से पहले ही इसका फैलाव शुरू हुआ था, यह कहनेवाली जानकारी लगातार सामने आ रही है। यह जानकारी सामने लानेवाले वैश्‍विक स्तर के नामांकित शोधकर्ता एवं विशेषज्ञ ही हैं। इसकी वजह से उनका प्रतिवाद करने में चीन नाकाम होता दिख रहा है।

वर्ष २०१९ में कोरोना वायरस की महामारी शुरू होने के साथ ही इसके प्रति चीन की भूमिका संदिग्ध रही है। अपने खिलाफ लगाए जा रहे आरोपों से बचने के लिए चीन ने कोरोना वायरस की जानकारी लगातार छुपाए रखी। साथ ही इसका उद्गम अन्य देशों में होने के खोखले दावे भी प्रसिद्ध किए। कोरोना की महामारी पर बयान कर रहे चीनी वैज्ञानिकों की जुबान भी बंद की गई। कई पत्रकारों को गायब भी किया गया था।

लेकिन, चीन की इन कोशिशों की पृष्ठभूमि पर अमरीका और यूरोपिय देशों के अलावा विश्‍व के प्रमुख देशों ने कोरोना वायरस का उद्गम चीन से होने का आरोप लगाया था। अमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने बीते वर्ष कोरोना का उद्गम चीन के वुहान लैब से ही होने का आरोप खुलेआम लगाया था। इसके बाद अमरीका के कई वरिष्ठ नेता, अधिकारी एवं वैज्ञानिकों ने वुहान लैब की ओर ही ध्यान आकर्षित किया था। ‘डब्ल्यूएचओ’ के प्रमुख शोधकर्ता पीटर बेन एम्बारेक ने बीते महीने में ही कोरोना वायरस का पहला संक्रमित (पेशंट ज़िरो) चीन के वुहान लैब का ही कर्मचारी रहा होगा, इस वजह से यह महामारी वुहान लैब से ही शुरू हुई होगी, यही संभावना अधिक होने का दावा किया था। अमरीका एवं यूरोप के कुछ वैज्ञानिकों ने नवंबर में ही कोरोना की महामारी शुरू होने की जानकारी साझा की थी।

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