जासूसी के लिए चीन का जहाज़ फिर से हिंद महासागर में दाखिल

नई दिल्ली – चीनी नौसेना का जासूसी करने वाला जहाज़ फिर से हिंद महासागर में दाखिल हुआ हैं। भारत की समुद्री सीमा से यह जहाज़ दूरह होने के बावजूद चीनी नौसेना के इस जहाज़ पर भारत की कड़ी नज़र होने की जानकारी रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने साझ्ाा की। ‘डीआरडीओ’ अगले हफ्ते मिसाइल का परीक्षण कर रहा हैं। इससे पहले चीनी नौसेना के जहाज़ ने हिंद महासागर में प्रवेश करना, इस परीक्षण की जानकारी पाने के लिए होने का दावा किया जा रहा हैं। चीन ने पहले भी इस तरह से भारत के मिसाइल परीक्षण की जानकारी पाने की कोशिश की थी।

हिंद महासागर में भारत का नैसर्गिक प्रभाव चीन को हमेशा से ही बेचैन करता रहै हैं। चीन की ईंधन एवं व्यापारी यातायात इसी क्षेत्र से होती हैं और इसी वजह से भारत मलाक्का की खाड़ी में कही पर भी और किसी भी क्षण चीन की यह यातायात रोक सकता हैं, इस चिंता ने चीन को परेशान रखा हैं। भारतीय नौसेना का इस क्षेत्र में बना वर्चस्व खत्म करने की तैयारी चीन ने जुटाई हैं और जल्द ही चीन की नौसेना इसके लिए कोशिस करेगी, ऐसी चेतावनी चीन के एक विश्लेषक ने दी थी। इस पृष्ठभूमि पर चीनी नौसेना के जहाज़ का हिंद महासागर में मौजूद रहना ध्यान आकर्षित करता हैं।

आनेवाले हफ्ते में डीआरडीओ पनडुब्बी से दागी जाने वाले ‘के-४’ बैलेस्टिक मिसाइल का परीक्षण कर रही हैं। इसकी पूर्व सूचना जारी की गई हैं। इस परीक्षण के दौरान किसी भी देश के जहाज़ और विमानों को इस क्षेत्र में सुरक्षा के कारणों से प्रवेश करना मुमकीन नहीं होगा। ‘के-४’ मिसाइल की मारक क्षमता २,२०० किलोमीटर बतायी जा रही है। यह मिसाइल दाग ने के बाद कितनी उंचाई पर जाकर अपने लक्ष्य को निशाना बनाती हैं, इसकी जानकारी पाने के लिए चीन उत्सुक होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। इसी कारण से चीन की नौसेना का युआन वैंग-६ नामक जासूसी का जहाज़ हिंद महासागर में दाखिल हुआ होगा, ऐसा माध्यमों का कहना हैं।

भारतीय मिसाइल कार्यक्रम को प्राप्त हो रही सफलता की वजह से चीन काफी बेचैन हुआ हैं और बैलेस्टिक मिसाइल के क्षेत्र में भारत को मिली सफलता चीन को भी पीछे धकेलती हैं, ऐसा कहा जा रहा है। कुछ दिन पहले भारत ने ‘एडी-१’ मिसाइल विरोधी इंटरसेप्टर का परीक्षण करके ऐसी क्षमता रखने वाले अमरीका, रशिया, इस्रायल की सुचि में स्थान प्राप्त किया था।

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