भारत इंडो-पैसिफिक में पूरी सुरक्षा प्रदान करने वाली क्षेत्रीय शक्ति है – रक्षामंत्री राजनाथ सिंह

नई दिल्ली – भारत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में पूरी सुरक्षा प्रदान करनेवाली क्षेत्रिय शक्ति है, ऐसा बयान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने किया है। ‘ह्युमैनिटेरियन असिस्टन्स ऐण्ड डिज़ास्टर रिलीफ’ (एचएडीआर) के तहत आयोजित ‘समन्वय २०२२’ के अवसर पर रक्षामंत्री बोल रहे थे। पिछले कुछ हफ्तों से चीन हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी गतिविधियाँ बढ़ाने की खास पहल करता देखा गया है। इस पृष्ठभूमि पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का यह बयान ध्यान आकर्षित कर रहा है।

चीन ने २१ नवंबर को ‘चायना-इंडियन ओशन रिजन फोरम’ की बैठक आयोजित की थी। हिंद महासागर और पैसिफिक महासागर का इसके साथ ज़िक्र करके इसे इंडो-पैसिफिक कहा जाता है। इस समुद्री क्षेत्र में चीन की वर्चस्ववादी हरकतों को देखना इससे अधिक आसान होता है। इसलिए अमरीका ने भी अपनी नौसेना के पैसिफिक कमांड का नाम बदलकर ‘इंडो-पैसिफिक कमांड’ रखा था। लेकिन, यह बदलाव चीन को मंजूर नहीं है। इस पर जवाब देने के लिए चीन ‘चायना-इंडियन ओशन रिजन’ के नाम से हिंद महासागर क्षेत्र का ज़िक्र कर रहा है। खास तौर पर ‘चायना-इंडियन ओशन रिजन’ की बैठक में चीन ने भारत को शामिल किए बिना इस क्षेत्र के १९ देशों को आमंत्रित किया था।

इन देशों में से मालदीव और ऑस्ट्रेलिया ने अपने अधिकृत प्रतिनिधि इस बैठक में ना होने का ऐलान करके चीन को झटका दिया था। इसके बाद भारत के रक्षामंत्री ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को लेकर किए हुए बयान ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। भारत  इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को पूरी सुरक्षा प्रदान करनेवाली क्षेत्रिय शक्ति होने का बयान रक्षामंत्री ने ड़टकर किया। साथ ही इस क्षेत्र की सुरक्षा के लिए भारत अन्य देशों से सहयोग कर रहा है, इस पर भी रक्षामंत्री ने ध्यान आकर्षित किया। अमरीका, फ्रान्स और कनाड़ा जैसे देश इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा संबंधी अहम भागीदार देश के तौर पर भारत को जानते हैं, यह भी स्पष्ट हुआ है।

हाल ही में अमरिकी नौसेना के सेक्रेटरी कार्लोस डेल तोरो भारत की यात्रा के दौरान विमान वाहक युद्धपोत ‘आईएनएस विक्रांत’ पर गए थे इस विमान वाहक युद्धपोत से हम प्रभावित हुए, ऐसा डेल तोरो ने कहा था। इसके बाद भारत और फ्रान्स के रक्षामंत्रियों की दोनों देशों के बीच सालाना रक्षा संबंधी परिषद हुई। इस दौरान हुई चर्चा में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का मुद्दा भी था। भारत और फ्रान्स ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपने रक्षाबलों के युद्धाभ्यास का दायरा अधिक बढ़ाने का ऐलान इस बैठक में किया। इसी बीच एक दिन पहले कनाड़ा ने अपनी इंडो-पैसिफिक नीति जारी की है और इसमें वर्णित समुद्री क्षेत्र के अहम भागीदार देश के तौर पर भारत का ज़िक्र किया है।

यह सभी मुद्दे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की रणनीतिक अहमियत और भारत का स्थान रेखांकित करते हैं। अमरीका, कनाड़ा और फ्रान्स समेत ब्रिटेन भी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए उत्सुक है। ऑस्ट्रेलिया ने भारत के साथ सभी स्तरों के सहयोग को विशेष अहमियत देने की गतिविधियां शुरू की हैं और दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौता भी हुआ है। इसका कार्यान्वयन जल्द ही होगा। अमरीका, कनाड़ा, फ्रान्स, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया इन सभी के चीन के साथ संबंधों में विभिन्न कारणों से तनाव निर्माण हुआ है। चीन से अमरीका को खतरा है, यह अमरिकी रक्षाबलों के अधिकारी बार-बार इशारा दे रहे हैं। कनाड़ा के राष्ट्राध्यक्ष जस्टिन ट्रुडो के इंडोनेशिया की जी २० परिषद में चीन के राष्ट्राध्यक्ष के साथ तीव्र मतभेद पूरे विश्व को ज्ञात हुए थे। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थित अपने द्विपों को चीन से खतरा है, यह फ्रान्स का कहना है। इसी बीच ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने अपने देश और चीन के संबंधों का सूवर्णयूग खत्म होने का ऐलान कर दिया है। ऑस्ट्रेलिया तो चीन की वर्चस्ववादी हरकतों का सख्त विरोध कर रहा है।

ऐसी स्थिति में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के ताकतवर और ज़िम्मेदार देश के तौर पर भारत की अहमियत बढ़ रही है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने समुद्री क्षेत्र में पूरी सुरक्षा प्रदान करनेवाली क्षेत्रिय शक्ति के रूप में भारत का ज़िक्र करके चीन की वर्चस्ववादी हरकतों की वजह से निर्माण हुआ असंतुलन दूर करने के लिए भारत काफी बड़ा योगदान दे सकता है, इसका अहसास पूरे विश्व को दिलाया है।

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